राज्य संग्रहालय में गांधी की जीवन यात्रा विषयक प्रदर्शनी आगामी
06 अक्टूबर तक खुली रहेगी
लखनऊ: दिनांक 03 अक्टूबर, 2018
महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर राज्य संग्रहालय, लखनऊ में गांधी की जीवन यात्रा विषयक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, इसका उद्घाटन उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय के निदेशक डा0 आनन्द कुमार सिंह ने किया। महात्मा गांधी के जीवन के चार आधारभूत सिद्धांत है-सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव। इन्हीं आधारभूत सिद्धांतों पर आधारित प्रदर्शनी के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन के कुछ पहलुओं को उजागर करने का प्रयास किया गया है। यह प्रदर्शनी दर्शकों के अवलोकनार्थ हेतु दिनांक 06 अक्टूबर, 2018 तक खुली रहेगी।
इस अवसर पर निदेशक राज्य संग्रहालय ने कहा कि महात्मा गांधी नेे एक राजनेता के अतिरिक्त एक समाज सुधारक के रुप में जातिवाद, नशाखोरी, बहु विवाह, सती प्रथा तथा साम्प्रदायिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए अनेक कार्य किये। उनके हृदय में पे्रम और सभी धर्मों के प्रति आदर भाव था, इसलिये वह बापू और राष्ट्रपिता कहलाए। प्रदर्शनी में महात्मा गांधी के व्यक्तिगत जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं एवं उसकी कुछ झलकियां दृष्टव्य है।
डा0 ए0के0 सिंह ने कहा कि प्रदर्शनी में उनके सामाजिक कार्यकर्ता एवं देशभक्ति के स्वरुप को चरितार्थ करने वाले छायाचित्रों को प्रदर्शित किया गया है। उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं में दांडी यात्रा, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन आदि थे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी में गांधी जी के अंतिम वर्षों की कुछ झलकियां जिनमें माइक्रोस्कोप से कोढ़ के कीटाणु को देखते हुए, तकली पर सूत कातते हुए, बालक से प्रेम करते हुए, प्लेग से पीड़ित गांव की यात्रा, रविन्द्र नाथ टैगोर के साथ गांधी जी एवं कस्तूरबा तथा गांधी जी की अंतिम विदाई से संबंधित दृष्य दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र है। महात्मा गांधी भले ही अब हमारे बीच न हो किंतु उनके विचार आज भी प्रासंगिक व उपयोगी है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी द्वारा महात्मा गांधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करके उनके विचारों को आत्मसात करने की प्रेरणा देने का एक प्रयास है।
इस अवसर पर राज्य संग्रहालय, लखनऊ की सहायक निदेशक श्रीमती रेनू द्विवेदी, श्रीमती अलशाज फातमी, डा0 मीनाक्षी खेमका, डा0 चन्द्रमोहन वर्मा, डा0 विनय कुमार सिंह तथा उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय राज्य संग्रहालय एवं लोक कला संग्रहालय के कर्मचारी उपस्थित रहे।