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नहीं बंद होगा शीरोज हैंग आउट कैफे सरकार एसिड पीड़िताओं के हितों के लिए प्रतिद्ध -प्रो. रीता बहुगुणा जोशी

Posted on 03 October 2018 by admin

लखनऊ: 03 अक्टूबर, 2018
प्रदेश की महिला कल्याण मंत्री प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि एसिड पीड़िताओं की आत्मनिर्भरता के लिए लखनऊ में चल रहा शीरोज हैंग आउट कैफे बंद नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ एसिड पीड़िताओं के लिए ही नहीं अपितु सभी पीड़ितों के हितों लिए प्रतिबद्ध है। प्रो0 जोशी ने गत कुछ दिनों से शीरोज हैंगआउट कैफे को लेकर विपक्ष द्वारा की जा रही विरोधी राजनीति तथा तथ्यहीन समाचारों से आहत होकर आज सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में अवगत कराया कि छांव फाउण्डेशन द्वारा शीरोज संचालन में की गसी वित्तीय अनियमितताओं की जांच के आदेश दिये गये थे। जिसके उपरान्त इस प्रकार की भ्रामक खबरों को जानबूझकर फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा शीरोज हैंग आउट बंद नहीं किया जायेगा। एसिड पीड़िताओं से बात करके मामले का हल निकालने के आदेश विभाग को दिए जा चुके हैं। ज्ञात हो कि मंत्री जी के निर्देश पर लोटस हास्पिटैलिटी के साथ हुए अनुबंध को विभाग द्वारा पहले ही निरस्त किया जा चुका है। प्रो. जोशी ने मीडिया से अनुरोध किया कि यह जानकारी जनमानस तक पहुंचना आवश्यक है, जिससे भ्रमों का निराकरण हो सके।
इसी क्रम में मंत्री जी के निर्देश पर विभाग द्वारा विस्तृत जानकारी देते हुए अवगत कराया गया है कि प्रदेश में एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक विकास एवं पुनर्वासन के उद्देश्य से शीरोज हैंगआउट कैफे की स्थापना महिला एवं बाल विकास अनुभाग-3, उ0प्र0 शासन के पत्र संख्याः 171/60-3-16, दिनांक 12.02.2016 द्वारा डा0 भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल के सम्मुख स्थित कैन्टीन में उ.प्र. महिला कल्याण निगम द्वारा स्वैच्छिक संस्था छाॅव फाउण्डेशन, दिल्ली के माध्यम से शीरोज हैंगआउट कैफे स्थापित करने हेतु लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा
उ.प्र. महिला कल्याण निगम को उक्त कैन्टीन स्थल 2 वर्ष के लीज पर आवंटित की गयी थी। उक्त पर होने वाले व्यय को रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष द्वारा 02 वर्ष तक ही वहन किया जाना था, जिसकी अवधि माह मार्च,2018 में समाप्त हो गयी है।
उ0प्र0 महिला कल्याण निगम द्वारा छाॅव फाउण्डेशन से किये गये एम.ओ.यू. के अनुसार निगम द्वारा छाॅव फाउण्डेशन को कैफे संचालन मद में रू0 4.10 लाख प्रतिमाह की दर से उपलब्ध कराया जाना था। इस क्रम में निगम द्वारा माह अपै्रल,2016 से माह अक्टूबर,2016 की अवधि में कुल रू0 28.70 लाख धनराशि अवमुक्त की गयी, जिसके सापेक्ष छाॅव फाउण्डेशन द्वारा वास्तविक बिल/बाउचर टिन नम्बर सहित निगम को प्रगति आख्या के साथ उपलब्ध कराने थे साथ ही पृथक रूप से समस्त व्यय विवरण का उपभोग प्रमाण पत्र भी छाॅव फाउण्डेशन द्वारा निगम को उपलब्ध कराने थे किन्तु छाॅव फाउण्डेशन द्वारा एम.ओ.यू. अनुसार किसी भी त्रैमास के पूर्ण प्रपत्र 2 वर्ष पूर्ण होने तक भी उपलब्ध नहीं कराये गये। छाॅव फाउण्डेशन द्वारा माह अक्टूबर,2016 से माह मार्च,2018 की अवधि के प्रपत्र एवं बिल बाउचर दिनांक 17.5.2018 को निगम को उपलब्ध कराये गये जो अभी भी अपूर्ण हैं।
निगम द्वारा उपरोक्तानुसार बिल बाउचर एवं उपभोग प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने एवं एम.ओ.यू. का पालन करने हेतु 19 पत्र पे्रषित किये गये किन्तु छाॅव फाउण्डेशन द्वारा इनका समुचित पालन नहीं किया गया।
कैफे का मूल उद्देश्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स को रोजगारित कर स्वावलम्बी बनाना था किन्तु छाॅव फाउण्डेशन द्वारा मात्र 12 एसिड अटैक सर्वाइवर्स को ही कैफे में नियुक्त किया गया, जबकि अधिकांश पदों पर बाहरी एवं छाॅव फाउण्डेशन के पदाधिकारियों को ही तैनात करते हुए स्वयं उनका मानदेय निर्धारित किया गया, जिसमें एसिड अटैक सर्वाइवर्स को 12000/- प्रतिमाह की दर से तथा अन्य कार्मिकों को 10,000/- से 25000/- तक वेतन निर्धारित करते हुए भुगतान किया गया।
छाॅव फाउण्डेशन कम्पनीज एक्ट 2013 की धारा-8(1) के तहत लाइसेन्स धारक है, जिसका लाइसेन्स संख्या-104303 है। छाॅव फाउण्डेशन को जारी उक्त लाइसेन्स के बिन्दु संख्या-3 में That no remuneration or other benefit in money or money’s worth shall be given by the company to any of its members except payment of out-of-pocket expenses, reasonable and proper interest on money lent, or reasonable and proper rent on premises let to the company उल्लिखित होने के बावजूद अपनी संस्था के दो सदस्यों को निदेशक के पद पर तैनात करते हुए प्रत्येक को रू. 10,000/- मासिक वेतन आहरित कराया गया जो कि उनको प्रदत्त उपरोक्त लाइसेन्स की शर्तों का पूर्ण रूप से उल्लंघन है।
छाॅव फाउण्डेशन द्वारा उ.प्र. महिला कल्याण निगम को उपलब्ध कराये गये आय-व्यय स्टेटमेंट(बैलेनसशीट) अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में कैफे की आय रू0 5,69,124.00 तथा वित्तीय वर्ष 2017-18 में रू. 72,64,521.00 दर्शित है। इससे स्पष्ट है कि द्वितीय वर्ष में कैफे की आय में लगभग 13 गुना वृद्धि हुई है। शीरोज हैंगआउट कैफे की स्थापना एसिड अटैक सर्वाइवर्स के पुर्नउत्थान के उद्देश्य से की गयी थी किन्तु छाॅव फाउण्डेशन द्वारा कैफे के टर्नओवर में 13 गुना वृद्धि होने के बावजूद माह अपै्रल,2016 में एसिड अटैक सर्वाइवर्स को लगभग रू. 12000/- मासिक वेतन दिया जा रहा था और 2 वर्ष उपरान्त माह फरवरी,2018 में भी रू. 12,000/- प्रति सर्वाइवर वेतन दिया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि सर्वाइवर्स के पारिश्रमिक में कोई वृद्धि नहीं की गयी।
छाॅव फाउण्डेशन द्वारा एम.ओ.यू. अनुसार कैफे से होने वाली आय को अलग बैंक खाते में रखा जाना था तथा व्यय विवरण से निगम को अवगत कराया जाना था किन्तु उनके द्वारा इसका पालन न करते हुए मनमाने तरीके से आय की राशि को व्यय किया गया।
उपरोक्त के दृष्टिगत कैफे संचालन हेतु गठित स्टेट मानिटरिंग कमेटी द्वारा दिनांक
6.9.2018 को सम्पन्न बैठक में निम्न निर्णय लिये गये तथा तद्नुसार अनुपालन किया जा रहा हैः-
छाॅव फाउण्डेशन द्वारा उपरोक्तानुसार की गयी अनियमितताओं एवं प्रदेश में लगभग 263 एसिड अटैक सर्वाइवर्स के सापेक्ष कैफे में मात्र 12 की सीमित संख्या में एसिड अटैक सर्वाइवर्स को रोजगारित करने आदि को देखते हुए उक्त कैफे परिसर की लीज अवधि लखनऊ विकास प्राधिकरण से आगे विस्तारित न किये जाने का निर्णय लिया गया ।
उक्त 12 एसिड अटैक सर्वाइवर्स पूर्व से ही उ0प्र0 महिला कल्याण निगम के एकल श्रमजीवी महिला छात्रावास, अलीगंज, लखनऊ में निवास कर रही हैं, उनको यथावत इसी छात्रावास में निःशुल्क निवास करने की सुविधा दी जाती रहेंगी। इन एसिड अटैक सर्वाइवर्स को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम एवं राज्य महिला एवं बाल संसाधन केन्द्र(एस.आर.सी.डब्लू.सी.) के सहयोग से निःशुल्क एवं उनकी अभिरूचि के अनुरूप रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण प्रदान कराया जायेगा, जिस हेतु उक्त दोनों संस्थानों से समन्वय स्थापित किया जा रहा है। प्रदेश में एसिड अटैक के लगभग 263 केसेज हैं, ऐसा प्रयास किया जाएगा कि इन पीड़िताओं को भी कौशल विकास से जोड़ा जाये और उन्हें स्वावलम्बी बनाया जाय।
उपरोक्त संबंध में छाॅव फाउण्डेशन द्वारा विभाग के विरूद्ध मा. उच्च न्यायालय में रिट याचिका संख्याः 26455(एम/बी)/2018 तथा इसी के साथ एक अन्य रिट याचिका दायर की गयी हैं, जिसमें दिनांक 28.9.2018 को हुई सुनवाई में हुए निर्णय की मूल भावना यह है कि छाॅव फाउण्डेशन को कैफे का चार्ज 22.10.2018 तक उ.प्र. महिला कल्याण निगम को हस्तगत कराने का समय निर्धारित किया गया है। मा. न्यायालय के उक्त निर्णय की प्रति अभी प्राप्त नहीं हुई है।

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