स्व0 लाल बहादुर शास्त्री के पैतृक स्थल वाराणसी में स्थापित हुई मूर्ति
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लखनऊः 27 सितम्बर, 2018
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज रामनगर, वाराणसी में भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री एवं उनकी पत्नी स्व0 ललिता शास्त्री की मूर्ति का अनावरण किया तथा अपनी एवं प्रदेश की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर स्व0 लाल बहादुर शास्त्री के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया। कार्यक्रम का आयोजन राज्य संग्रहालय, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया था। कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थ सिंह, स्व0 लाल बहादुर शास्त्री के बेटे श्री सुनील शास्त्री, श्री अनिल शास्त्री व परिवार के अन्य सदस्यगण, जिला एवं पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीगण, अन्य विशिष्टजन सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
राज्यपाल ने स्व0 लाल बहादुर शास्त्री को देश का सच्चा सपूत बताते हुये कहा कि गांधी जी से प्रेरित होकर लाल बहादुर शास्त्री ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। शास्त्री जी ने स्वतंत्रता के पश्चात् उत्तर प्रदेश एवं केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री रहते हुये अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये। पड़ोसी देश से युद्ध के समय एवं खाद्यान्न समस्या की विषम परिस्थितियों में उन्होंने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा देकर देश को नई दिशा दी। शास्त्री जी का सरल, सहज एवं ईमानदारीपूर्ण जीवन अनुकरणीय है। शास्त्री जी की धर्मपत्नी ललिता शास्त्री भी सदा उनके आदर्शों का अनुकरण करते हुये देश सेवा के कार्यों में सहयोग करती थी। उन्होंने कहा कि स्व0 लाल बहादुर शास्त्री के दिखाये मार्ग पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगा।
उल्लेखनीय है कि स्व0 लाल बहादुर शास्त्री के पैतृक निवास को अब ‘लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय’ के रूप में अनुरक्षित किया गया है। स्व0 लाल बहादुर शास्त्री जी के मूल भवन, जिसमें पांच कमरे हैं, में उनके जीवन से जुड़ी हुई स्मृतियों को सहेजते हुये जीवंत करने का प्रयास किया गया है। कक्ष संख्या 1 में शास्त्री जी के सम्पूर्ण जीवन को छायाचित्रों के माध्यम से प्रदशर््िात करने का प्रयास किया गया है। कक्ष संख्या 2 में शास्त्री जी की बैठक जिसमें वें आगुन्तकों से मुलाकात करते थे। कक्षा संख्या 3 में शास्त्री जी की धर्मपत्नी ललिता शास्त्री जी का कक्ष है जिसमें वे रहा करती थी, में उनकी दिनचर्या व जीवन शैली को संयोजित किया गया है। कक्ष संख्या 4 शास्त्री जी की रसोई घर से जुड़ी सामग्रियों को संयोजित किया गया है तथा कक्षा संख्या 5 शास्त्री जी का खपरैल से निर्मित मूल है जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहा करते थे, के मूल स्वरूप को संरक्षित करते हुये उनकी जीवन शैली को संयोजित किया गया है।