‘‘अज्ञात बुखार’’ से उ0प्र0 के विभिन्न जनपदों जैसे बरेली, बहराइच, पीलीभीत, सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहांपुर आदि में साढ़े सात सौ से अधिक बच्चे और वयस्क असमय मौत के काल कवलित गाल में समां, यह साबित कर गये कि योगी सरकार योगत्व के अनुसार उत्तर प्रदेश को अपने अज्ञातवास का अभयारण्य बना मौत के हवाले कर दिया है।
उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डाॅ0 अनूप पटेल ने आज जारी बयान में कहा कि प्रदेश सरकार अपनी स्वास्थ्य नीतियों एवं कार्यक्रमों से प्रदेशवासियों का ‘‘डेथ वारन्ट’’ निकाल चुकी है तिस पर सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह मौत की ‘‘डेथ आडिट’’ होगी, की बात कर रहे हैं। आडिट जीवन रहते अगर सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों की हुई होती तो आज हमें अपनी जिन्दगियों को खो, शवों को गिनना नहीं पड़ता। भाजपा सरकार ने उधर सीमाओं पर और इधर स्वास्थ्य कारणों से शवों को गिनने का देश व प्रदेश वासियों को अभ्यस्त बना दिया है।
बरसात, बीमारियों की जननी के रूप में जाना जाता है उसके बाद भी कोई निरोधात्मक और लोगों को जागरूक करने का कदम और कार्यक्रम नहीं अपनाया गया और न बनाया गया।
अस्पताल और लोग साधनों और संसाधनों के अभाव में कराह रहे हैं और उ0प्र0 सरकार बजट में नियोजित धन भी नहीं खर्च कर पा रही है। सरकार की यह अक्षमता लोगों की जान की दुश्मन बनी हुई है। प्रदेश के 22 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य, देखभाल व इलाज हेतु 821 सामुदायिक केन्द्र हैं। एक सामुदायिक केन्द्र में 30 बिस्तर हैं इस तरह सामुदायिक केन्द्रों में कुल बिस्तरों की संख्या 24630 है। प्रदेश में 3621 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं जिसमें कुल बिस्तरों की संख्या 14484 है। इस प्रकार सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का मिलाकर 39114 बिस्तर हैं। उत्तर प्रदेश में डाक्टर के कुल सृजित पद 18382 हैं जिसमें 7348 पद खाली हैं। प्रदेश में 20 हजार लोगों पर एक डाक्टर और 3500 लोगों पर एक बेड का औसत है। इसके बाद भी यह अक्षम सरकार अपनी स्वास्थ्य बजट राशि 7056 करोड़ में से 1498 करोड़ नहीं खर्च कर पाती है। मुख्यमंत्री के गृह नगर गोरखपुर स्थित बी.आर.डी. मेडिकल कालेज में 6 महीने के अंदर 1041 नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है। 39114 बिस्तरों और 11034 डाक्टरों के कन्धों पर 22 करोड़ जिन्दगियों का भार डालना उपरोक्त कथन ‘डेथ वारन्ट’ को सच साबित करता है।
बहराइच में जिन्दगियों को मौत धड़ाधड़ निगलती रही और अपने गृह जनपद बहराइच में प्रदेश सरकार की बेसिक शिक्षा मंत्री श्रीमती अनुपमा जायसवाल नृत्य कर गणेश चतुर्थी कार्यक्रम का आनन्द लेती रहीं। क्या गणेश भगवान इस भगवाधारी मंत्री को मानवीय जिन्दगियों की मौत का आनन्द ले गणेश चतुर्थी को कलंकित करने देने की इजाजत दे सकते हैं?
निर्मम मौतों से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के महत्वपूर्ण कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन की भी कलई खुल गयी है। लगता है स्वच्छ भारत मिशन प्रदेश सरकार की अक्षमता और असंवेदनशीलता का शिकार हो चुका है।
निर्वाचित सरकारें भी इतना अक्षम, असंवेदनशील और अमानवीय हो सकती हैं यह सोचकर रूह कांप जाती हैं। स्वास्थ्य सेवा संसाधनों के इस अभाव में भी स्वास्थ्य बजट का न खर्च हो पाना, बजट रहते हुए डाक्टरों का पद उस वक्त भी खाली रहना जब हमारा प्रति व्यक्ति डाक्टर औसत राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है।
मंत्रियों को मच्छर काटने पर उन्हें प्रसन्नता होती है ऐसा बयान देना जैसे येागीराज में मच्छर, मलेरिया, डेंगू आदि बीमारियां न पैदा कर प्रसन्नता बांट रहे हैं इसी प्रसन्नता वितरण का परिणाम मौत के रूप में प्रदेश के सामने उपस्थित हुआ है।
बीमारियों की रोकथाम व स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाने के समय इन्वेस्टर्स समिट कर पूंजीपतियों को प्रमोट करना यह साबित करता है कि इस सरकार की प्राथमिकताओं में वह आम जनता नहीं है जो सरकार की अक्षमता से मौत के मुंह में समां सकती है।
भाजपा और योगी सरकार की समझ, निवेश कार्यक्रम, समृद्धि और विकास के झूठे नारे और प्रचार इस हालात में असंवेदनशीलता एवं अमानवीयता केा पार कर ‘‘लोकतांत्रिक डेथ वारन्ट’’ जारी करने वाली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह को अपने पद पर बने रहने का कोई भी नैतिक अधिकार नहीं बचता।