(1) आर.एस.एस. का दिल्ली में तीन दिनों तक चला बहु-प्रचारित संवाद कार्यक्रम राजनीति से ज्यादा प्रेरित था ताकि बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारों की घोर कमियों व विफलताओं के साथ-साथ देश के करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़ी ज्वलन्त समस्याओं जैसे भयावह गरीबी, जानलेवा महंगाई, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार आदि से अब चुनाव के समय में लोगों का ध्यान बाँटा जा सके।
(2) बीजेपी के केन्द्र व राज्य सरकारों की ग़रीब, मज़दूर, किसान-विरोधी तथा बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठ समर्थक नीतियों से स्वभाविक तौर पर इनकी विफलताओं के कारण देश भर में छाये व्यापक जन आक्रोश से आर.एस.एस. भी चिन्तित क्योंकि धन्नासेठों की तरह इन्होंने भी बीजेपी की जीत के लिये अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया था। लेकिन ’’कथनी’’ से ज्यादा ’’कर्म’’ मायने रखता है। इसलिये लोग अब इनके बहकावे में आने वाले नहीं हैं।
(3) आर.एस.एस. प्रमुख के इस कथन पर कि ’जन्मभूमि पर अगर मुसलमान खुद मन्दिर बनवाते हैं तो बरसों से उन पर उठ रही अंगुलियाँ झुक जायेंगी,’ बी.एस.पी. कतई भी सहमत नहीं है। एक नहीं बल्कि अनेकों मन्दिर बन जायें तब भी संकीर्ण संघी हिन्दुओं व मुसलमानों के बीच रिश्ते सुधरने वाले नहीं हैं
ऽ क्योंकि इनकी बुनियादी सोच व मानसिकता दलित, पिछड़ा, मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यक विरोधी है और इस प्रकार संविधान की मंशा के विरूद्व है जिस कारण ही इन वर्गों के लोग हर प्रकार की जुल्म-ज्यादती से त्रस्त हैं तथा सर्वसमाज के लोगों का जान-माल, मज़हब व स्वतंत्रता के साथ जीने की इच्छा सब ख़तरे में है।
(4) इसके अलावा, केन्द्र सरकार द्वारा ’तीन तलाक’’ पर कल रात अध्यादेश लाना भी पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित कदम। लोगों का ध्यान हिन्दू-मुस्लिम की तरफ भटकाने की कोशिश : बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी।
नई दिल्ली, 20 सितम्बर 2018 : बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने कहा कि देश की राजधानी नई दिल्ली में आर.एस.एस. का तीन दिनों का बहु-प्रचारित संवाद कार्यक्रम राजनीति से ज़्यादा प्रेरित था ताकि अब खासकर चुनावों के समय बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारों की घोर कमियों व विफलताओं के साथ-साथ देश की ज्वलन्त समस्याओं जैसे भयावह गरीबी, जानलेवा महंगाई, बेरोजगारी व बढ़ते भ्रष्टाचार आदि से लोगों का ध्यान बाँटा जा सके।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी सरकारों की ख़ासकर ग़रीब, मज़दूर, किसान-विरोधी तथा बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठ-समर्थक नीतियों से स्वभाविक तौर पर इनकी विफलताओं के कारण देश भर में छाये व्यापक जन आक्रोश से आर.एस.एस. का चिन्तित होना भी स्वाभाविक ही है क्योंकि धन्नासेठों की तरह इन्होंने भी बीजेपी की जीत के लिये अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया था। लेकिन अब बीजेपी सरकार की हर क्षेत्र में घोर कमियों व विफलताओं के साथ-साथ इनकी चुनावी वादाखिलाफी व भ्रष्टाचार आदि के मामलों में इन्हें भी जनाक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। इसीलिए लोगों का ध्यान बांटने के लिये यह सब राजनीतिक मकसद के तहत विभिन्न तरह के ध्यान बांटने वाले प्रयास किये जा रहे हैं, परन्तु वाणी से ज्यादा हमेशा ही कर्म महत्वपूर्ण होता है और वही असली मायने रखता है। अतः जनता इस प्रकार के प्रयासों से अब और ज्यादा भ्रमित होने वाली नहीं हैं क्योंकि अब जनता के खुद अपनी जान के लाले पड़ रहे हैं।
’’जन्मभूमि पर मन्दिर बने और अगर मुसलमान खुद बनवाते हैं तो बरसों से उन पर उठ रही अंगुलियाँ झुक जायेंगी,’’ सम्बन्धी आर.एस.एस. प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि बी.एस.पी. इनके इस तर्क से कतई सहमत नहीं है तथा एक नहीं बल्कि अनेकों मन्दिर बन जायें तब भी संकीर्ण संघी हिन्दु व मुसलमान के बीच रिश्ते सुधरने वाले नहीं हैं क्योंकि इनकी बुनियादी सोच व मानसिकता दलित, मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यक विरोधी है और इसी का ही परिणाम है कि इनकी सोच में परवरिश पायी पार्टी बीजेपी की सरकार में सर्वसमाज में से ख़ासकर दलितों, पिछड़ों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हर प्रकार की जुल्म-ज्यादती, भेदभाव, हिंसा व हत्या का बोलबाला है जिससे देश का लोकतन्त्र कलंकित हो रहा है।
इसलिये आर.एस.एस. को सबसे पहले अपनी नफरत व साम्प्रदायिक सोच को बदल कर संविधान सम्मत मानवीय बनना व बनाना होगा, जो कि आज तक ये लोग नहीं कर पाये हैं और इसी कारण इनकी सर्वसमाज में स्वीकार्यता का घोर अभाव लगातार बना हुआ है।
वास्तव में बीजेपी के केन्द्र व विभिन्न राज्यों में सत्ता में आने के बाद इनका संकीर्ण जातिवादी व साम्प्रदायिक चाल, चरित्र व चेहरा और ज्यादा बेनकाब हुआ है और इसलिए इनकी ’’कथनी’’ का कोई खास असर नहीं है क्योंकि इनकी ’’करनी’’ ने सर्वसमाज के करोड़ों ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों, छोटे व मझोले व्यापारियों एवं अन्य मेहनतकश लोगों का जान-माल व मजहब तथा स्वतंत्रता के साथ जीने की स्वभाविक इच्छा सब खतरे में पड़कर इनका जीना हराम किये हुये है और वे लोग इन जंजालों से मुक्ति चाहते हैं जिसके लिये वे आर.एस.एस. के बहकावे में और ज्यादा नहीं आकर अब बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिये कमर कसे हुये हैं।
साथ ही, आर.एस.एस. की सोच व मानसिकता अगर इतनी ही सही मानवीय, सच्ची संवैधानिक व जनहित में ईमानदार होती तो फिर आजादी के बाद तीन बार इस संगठन को प्रतिबन्धित होने का कलंक नहीं झेलना पड़ता और ना ही सर्वसमाज में अस्वीकार्यता की गंभीर व बुनियादी समस्या आज तक झेलनी पड़ती।
इसके अलावा केन्द्र सरकार द्वारा ’’तीन तलाक’’ पर कल रात अध्यादेश लाकर इसे अपराध घोषित करके इसमें तीन साल तक की जेल की सजा निर्धारित करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों पर भी स्वार्थ की राजनीति करके अब चुनाव के समय लोगों का ध्यान अपनी कमियों व विफलताओं पर से हटाना चाहती है और अगर ऐसा नहीं होता तो इस सम्बंध में कानून बनाने से पहले इस पर समूचित विचार-विमर्श के लिये इस विधेयक को संसदीय समिति में भेजने की मांग केन्द्र सरकार ने ज़रूर मान ली होती।
वैसे भी लोगों की राय में नोटबन्दी व जी.एस.टी. आदि की तरह तीन तलाक के मामले में भी केन्द्र सरकार के अपरिपक्व व काफी अड़ियल रवैये से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की समस्यायें पूरे तौर से व आसानी से हल होने वाली नहीं हैं।