लखनऊ, 31 अगस्त 2018। शिरोमणी अकाली दल, उत्तर प्रदेश के ईंचार्ज व अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी 1984 के अध्यक्ष, स. कुलदीप सिंह भोगल ने अपने बयान में कहा कि आज उन्होंने लखनऊ में माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को नवम्बर 1984 दंगापीड़ितों की समस्याओं के बारे में एक मांग-पत्र दिया। जिसमें नवम्बर 1984 का नरसंहार भारतीय लोकतंत्र के माथे पर कलंक है, यह बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश की संसद के अन्दर कही थी। उन्होंने कहा था कि हम रहें या ना रहें, अगर भाजपा सरकार पूर्ण बहुमत से सरकार में आई, तो हम दोषियों को किसी कीमत पर बख्शेंगे नहीं और उनको जेल की सलाखों में भेजेंगे। मगर अब केन्द्र के साथ-साथ उ0प्र0 में भी हमारी सरकार यानि भाजपा की सरकार है, फिर भी दोषियों की सजा में इतनी देरी क्यों की जा रही? मुआवजा पीड़ितों की जो फाइलें हैं उनको दीमक चाट रही है, इंसाफ कब तक मिलेगा। नवम्बर 1984 नरसंहार में जिन लोगों को जानमाल का नुकसान हुआ जिनके परिजन मारे गये उनकी फाइलें अभी भी सरकारी दफ्तरों में धूल चाट रही हैं, मारे गये लोगों की याद में राज्य सरकार मेमोरियल बनाये।
उन्होंने कहा कि दोषियों को सजा दिलाने के लिए हमने माननीय सर्वोच्च न्यायालय का सहारा लेते हुए अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी 1984 की तरफ से एवं दिल्ली सिक्ख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की सहयोग से एक जनहित याचिका ॅच्;ब्त्स्द्ध छवण् 45ध्2017 मार्च 2017 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई के दौरान माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उ0प्र0 सरकार और केन्द्र सरकार को एक सीमित समयावधि में स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने को कहा था। माननीय गृहमंत्रालय द्वारा दिसम्बर 2017 में अपनी स्टेट्स रिपोर्ट पेश की गई और यह भी साफ किया गया कि माननीय उ0 प्र0 सरकार द्वारा स्वतंत्र रूप से स्टे्टस रिपोर्ट पेश की जा सकती है, हमारी तरफ से उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि उक्त संदर्भ में यहां यह स्प्ष्ट करना जरूरी है कि आर0टी0आई0 के खुलासे में कानपुर में 1984 के सिक्ख नरसंहार में 127 लोग मारे गये थे जिसमें कुल 32 गुनाहगारों के नाम आर0टी0आई से सामने निकल कर आये थे। इसी आधार पर मैंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दोषियों के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। माननीय योगी जी, आदरणीय मुख्यमंत्री जी, उ0प्र0 सरकार, से भी उनके दिल्ली आगमन के दौरान मैंने तीन बार मिलकर उक्त मामले से आपको अवगत कराया था। साथ ही उनको यह भी अवगत कराया था कि जब से मैंने उक्त जनहित याचिका डाली है मुझे विभिन्न लोगों से पत्रों द्वारा जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, और अभी तक जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। जिसकी सूचना लिखित में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश कार्यालय में भेजी गई थी। अब चूकि मैं अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी का अध्यक्ष हूं तथा उत्तर प्रदेश में शिरोमणी अकाली दल बादल का ईंचार्ज भी हूं, ऐसे में मुझे उत्तर प्रदेश का दौरा करना पड़ता है जिससे मेरी जान को और भी खतरा बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि अफसोस की बात है कि उ0प्र0 सरकार से दंगापीड़ितों को विशेष उम्मीदें थीं कि वो जल्दी ही स्टे्टस रिपोर्ट माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेश कर देंगे। लेकिन लगातार हो रही देरी यानि करीब डेढ़ साल बीतने के बाद भी दंगापीड़ित परिवारों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें इन्साफ नहीं मिल रहा है। अतः उत्तर प्रदेश सरकार दंगापीड़ितों व उनके परिजनों के भरोसे को कायम रखते हुए शीघ्र स्टेट्स रिपोर्ट माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेश करे।