लखनऊः 21 अगस्त, 2018
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने महाराष्ट्र के जलगांव क्षेत्र के पूर्व सांसद डाॅ0 गुणवन्त सरोदे की धर्मपत्नी श्रीमती श्यामला के नेतृत्व में तीर्थस्थल नैमिषारण्य आये 225 तीर्थयात्रियों के दल को आज वापसी पर लखनऊ के रेलवे स्टेशन पर विदाई दी एवं दल के सदस्यों को यात्रा हेतु सूक्ष्म जलपान भी वितरित किया। राज्यपाल ने तीर्थयात्रियों से उनकी उत्तर प्रदेश यात्रा के संबंध में अनुभव भी जाने।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के मध्य हुए सांस्कृतिक समझौते के बाद महाराष्ट्र के तीर्थयात्रियों का दल दस दिनों के भ्रमण पर उत्तर प्रदेश के तीर्थस्थल नैमिषारण्य आया था। दल का नेतृत्व कर रही श्रीमती श्यामला के पति पूर्व सांसद डाॅ0 गुणवन्त सरोदे, श्री राम नाईक के पुराने परिचित एवं मित्र हैं। दोनों ही साथ-साथ विधायक एवं सांसद रहे हैं।
राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का रिश्ता बहुत पुराना है। भगवान राम का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था, पर वनवास के समय पर वे नासिक के पंचवटी में रहे थे। शिवाजी को महाराष्ट्र में कुछ सरदार छत्रपति राजा मानने के लिए तैयार नहीं थे। काशी से आमंत्रित पण्डित गागा भट््ट ने शिवाजी का राज्याभिषेक कराया तो उन्हें छत्रपति की मान्यता मिली। संगीत के क्षेत्र में महाराष्ट्र के पंडित विष्णु नारायण भातखण्डे ने लखनऊ को अपनी साधना स्थली बनाया तथा देश के एकमात्र भातखण्डे संगीत संस्थान की स्थापना की। उन्होंने कहा की मुुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बनाने में उत्तर प्रदेश के लोगों का भी बड़ा सहयोग है।
श्री नाईक ने तीर्थयात्रियों के दल को ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक का मर्म साझा करते हुए अपनी पुस्तक की 10 प्रतियाँ और अपने चैथे वार्षिक कार्यवृत्त ‘राजभवन में राम नाईक’ की 25 प्रतियाँ भेंट दी तथा उनके उत्तर प्रदेश प्रवास के लिए धन्यवाद दिया।