शाहजहांपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा को रंगकर कुछ लोगों ने उनकी आत्मा को चोट पहुंचाने का काम किया है। सत्य और अहिंसा के लिए अपना सारा जीवनयापन करने वाले महापुरूष को लोगों ने महात्मा का नाम दिया, बापू का नाम दिया। ऐसा करके उन लोगों ने उनकी सोच की हत्या करने का प्रयास किया है। महात्मा गांधी जी की पहचान किसी रंग से करने वालों की सोच पर तरस आता है। वह चाहते तो कोई भी रंग का कपड़ा पहन सकते थे परन्तु उन्होने सभी रंगों का त्याग कर दिया था।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को रंगे जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री राजबब्बर जी सांसद ने कहा कि हमारे देश में महापुरूषों की प्रतिमाओं को विशेष रंगों से रंगकर रंगों से राजनीति द्वारा समाज को बांटने और वैमनस्यता फैलाने का कार्य कुछ लोग कर रहे हैं। उन लोगों को यह सोचना चाहिए कि गांधी जी किसी रंग से परिचय के मोहताज नहीं हैं। गांधी जी ने सभी रंगों केा त्यागकर सफेद रंग जो शांति एवं त्याग का प्रतीक है, को अपनाया और लोगों ने उन्हें महात्मा कहा। उन्होने कभी भी सफेद चादर नहीं हटायी जबकि वह किसी और भी रंग की हो सकती थी और न ही कोई रंग ही अपनाया एवं अपने जीवन में पवित्रता, शुचिता को बनाये रखा। रंगों के आधार पर समाज को बांटने की सोच रखने वाले कुछ लोग गांधी जी की सोच को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री राजबब्बर ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा को विशेष रंग देकर उनकी आत्मा को दुःख पहुंचाया जा रहा है जिस नफरत की सोच ने गांधी जी की हत्या की है वह सोच कभी भी गांधी जी के चश्मे के करीब भी नहीं पहुंच सकती है। आज कुछ लोग विशेष रंगों के जरिये गांधी जी की सोच को नुकसान पहंुचाने एवं दुवर््यवहार करने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें इससे बाज आना चाहिए।