लखनऊ 20 जुलाई।
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत ही भयावह हो चुकी है। जेल में हुई हत्या कानून व्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त होने का प्रमाण हैं। जेल के अन्दर किसी की हत्या यह सिद्ध करने के लिए काफी है कि जेल के अन्दर एक समानान्तर अपराधिक साम्राज्य सरकार के संरक्षण में चलाया जा रहा है। मार्च 2017 से अब तक लगभग 2000 पुलिस मुठभेढ़ों में लगभग 61 लोग मारे जा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इन हत्याओं का सरेआम समर्थन किया जा रहा है जो चिंता का विषय है। 1996 में मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि यदि सरकारी कर्मचारी कानून तोड़ने लगे तो यह निश्चित रूप से कानून के प्रति क्रोध उत्पन्न करेगा और कानून के प्रति लोगों के विश्वास को तोड़ने वाला होगा। प्रदेश की भाजपा सरकार में लोगों के मौलिक अधिकारों का सरेआम हनन हो रहा है। चारों ओर अराजकता का माहौल है। महिला उत्पीड़न की घटनाएं दिनों-दिन इतना वीभत्स रूप लेती जा रही हैं कि उनको मंदिरों के हवन कुण्ड में जलाया जा रहा है। घर में घुसकर ऐसिड डालकर हत्या की जा रही है। परिवार के सामने जबर्दस्ती बलात्कार किया जा रहा है। चोरी, डकैती और हत्या की घटनाएं आम हो गयी है। ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस तंत्र असहाय हो गया है। प्रदेश सरकार कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने में विफल साबित हो रही है।
पुलिस की स्थिति इतनी संदिग्ध हो गयी है कि इनके अधिकारी ही आला अधिकारियों पर आरोप लगा रहे हैं कि थाने पर इंजार्च की पोस्टिंग के लिए अधिकारी रिश्वत मांग रहे हैं। इस प्रकार के आरोप एक पुलिस इंस्पेक्टर ने आई.जी. पुलिस पर लगाये हैं। प्रदेश में सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। जब मुख्यमंत्री कहते हैं कि अपराधी शहर छोड़ दें अपराधों में बाढ़ सी आ जाती है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री राजबब्बर जी सांसद के आवाहन पर प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था, बढ़ते हुए अपराध, महिला उत्पीड़न के खिलाफ कल दिनांक 21जुलाई 2018 को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर शांतिपूर्ण तरीके से एक दिवसीय धरने का आयोजन किया जायेगा।