जैसा कि यह सर्वविदित है कि बी.एस.पी. सर्वजन हिताय एवं सर्वजन सुखाय तथा धर्म-निरपेक्ष व सर्व-धर्म सम्मान की सोच एवं नीतियों में विश्वास रखती है

Posted on 17 July 2018 by admin

बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व
पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी की प्रेसवार्ता के मूल व मुख्य अंश

नई दिल्ली, 17 जुलाई, 2018: जैसा कि यह सर्वविदित है कि बी.एस.पी. सर्वजन
हिताय एवं सर्वजन सुखाय तथा धर्म-निरपेक्ष व सर्व-धर्म सम्मान की सोच एवं
नीतियों में विश्वास रखती है तथा उन पर पूरी ईमानदारी व निष्ठा से अमल भी
करती है और यह सब उत्तर प्रदेश में, बी.एस.पी. की व मेरे नेतृत्व में चार
बार चली सरकार में भी देखने के लिये मिला है और यह सब जग-जाहिर है।
लेकिन मुझे कल लखनऊ में बी.एस.पी. के हुये कार्यकर्ता-सम्मेलन में,
पार्टी के खासकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ‘‘श्री जयप्रकाश सिंह’’ द्वारा दिये
गये भाषण के बारे में यह जानकारी मिली है कि उसने कल बी.एस.पी. की इस
मानवतावादी सोच व नीतियों के विरूद्ध जाकर तथा अपनी विरोधी पार्टियों के
सर्वोच्च राष्ट्रीय नेताओं के बारे में भी काफी कुछ व्यक्तिगत
टीका-टिप्पणी करके उनके बारे में काफी अनर्गल बातें भी कही हैं, जो
बी.एस.पी. के कल्चर के पूरेतौर से विरूद्ध है।
और जिनका बी.एस.पी. से कोई लेना-देना नहीं है अर्थात इनके द्वारा इस
किस्म की कही गई बातें उनकी व्यक्तिगत सोच की उपज हैं तथा बी.एस.पी. की
नहीं और साथ ही उनकी ऐसी सभी बातें बी.एस.पी. की सोच व नीतियों के
विरूद्ध भी हैं। जिसे अति गम्भीरता से लेते हुये तथा पार्टी व मूवमेन्ट
के हित में भी आज हमारी पार्टी ने अभी हाल ही में नये-नये बने बी.एस.पी.
के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री जयप्रकाश सिंह को उनके इस पद से तत्काल
प्रभाव से हटा दिया गया है और साथ ही, इनको आज ही बी.एस.पी. के राष्ट्रीय
कोओडिनेटर के पद से भी हटा दिया गया है।
इसके साथ-साथ, आज मैं मीडिया के माध्यम से पूरे देश में, अपनी पार्टी के
सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों व नेताओं को भी यह चेतावनी देती
हूँ कि वे बी.एस.पी. की हर छोटी-बड़ी मीटिंग व कैडर-कैम्प एवं जनसभा आदि
में भी केवल बी.एस.पी. की विचारधारा, नीतियों व मूवमेन्ट के बारे में तथा
दलित एवं पिछडे़ वर्ग में जन्में अपने महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों
एवं पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में भी, केवल उनके जीवन-संघर्ष
एवं सिद्धान्तों व सोच के सम्बन्ध में ही अपनी बातें रखें।
लेकिन उनकी आड़ में दूसरों के सन्तों गुरूओं व महापुरूषों के बारे में
अभद्र एवं अशोभनीय भाषा का कतई भी इस्तेमाल ना करें। अर्थात दूसरी
पार्टियों के कुछ सिरफिरे नेताओं के पदचिन्हों पर चलकर, अपनी पार्टी के
लोगों को किसी के बारे में भी अनर्गल भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश व देश के अन्य राज्यों में भी किसी भी पार्टी के
साथ जब तक चुनावी गठबन्धन की घोषणा नहीं हो जाती है, तो तब तक, पार्टी के
लोगों को उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में भी गठबन्धन के बारे मे कुछ भी
बात, किसी भी स्तर पर नहीं करनी चाहिये। अर्थात यह सब पार्टी के लोगों को
अपनी पार्टी की हाईकमान पर ही छोड़ देना चाहिये।
इसके साथ ही, पार्टी के लोगों को अपने हर स्तर के कार्यक्रम में केवल
अपनी पार्टी की विचारधारा, सिद्धान्त एवं मूवमेन्ट के बारे में ही बोलना
चाहिये और दूसरी पार्टियों के सम्बन्ध में केवल उनकी खासकर दलित, पिछड़ा,
मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक, गरीब मजदूर, किसान, व्यापारी व अन्य
जन-विरोधी गलत नीतियों व गलत कार्यशैली के बारे में ही बोलना चाहिये तथा
उनके किसी भी छोटे-बडे़ राष्ट्रीय नेताओं एवं उच्च पदों पर बैठे लोगों के
व्यक्तिगत मामलों में कतई भी कोई भी टीका-टिप्पणी व अभद्र भाषा का
इस्तेमाल नहीं करनी चाहिये।
इसके साथ-साथ मैं पार्टी के खासकर वरिष्ठ नेताओं व पदाधिकारियों को आज यह
भी सलाह देती हूँ कि उन्हें विशेषकर गम्भीर व महत्वपूर्ण विषयों पर तथा
प्रेसवार्ता में भी ज्यादातर अपनी बातों को लिखकर ही रखना व बोलना
चाहिये। ताकि खासकर जातिवादी मीडिया व हमारी विरोधी पार्टियों को फिर
किसी भी प्रकार से हमारी पार्टी के बारे में उन्हें कोई भी गलत बात को
कहने व प्रचार करने का मौका ना मिल सके। ऐसी मेरी बी.एस.पी. के लोगों को
सलाह है। मुझे पूरी उम्मीद है कि बी.एस.पी. के लोग मेरी इन सब बातों पर
जरूर अमल करेंगे।

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

April 2024
M T W T F S S
« Sep    
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  
-->









 Type in