समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन सरकार होने के बावजूद कही विकास की परछाई तक नही दिखाई पड़ रही है। प्रदेश की प्रगति के झूठे दावों के विज्ञापन छपे देखकर भाजपा नेता भले खुश हो लें सच तो यह है कि जन साधारण इसे अपने साथ क्रूर मजाक के तौर पर ही ले रहा है। इसकी भरपाई के लिए ही प्रधानमंत्री जी का भी दौर दौरा तेज हो गया है।
भाजपा ने किसानों को सर्वाधिक उपेक्षित कर रखा है जब कि कृृषि प्रदेश की रीढ़ है। उत्तर प्रदेश के करोड़ों किसानों को कर्जमाफी के नाम पर धोखा दिया गया है। सरकार अंतर्राष्ट्रीय बाजार के दामों की तुलना में किसानों को 14 प्रतिशत कम दाम देती है। आर्गेनाइजेशन फार इकोनामिक कारपोरेशन ऐडं डेवलपमंेट की रिपोर्ट इस तथ्य को उजागर करती है कि यहां किसान को हर तरह से लूटा जा रहा है। अभी भाजपा की कंेद्र सरकार ने 14 फसलों के समर्थन मूल्य बढ़ाने मे स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशे हाशिए में डाल दी हैं। केंद्र सरकार ने अब तक उद्योगपतियों के तीन लाख करोड़ के कर्ज माफ कर जता दिया है कि उसकी प्राथमिकता में किसान नही, पूंजी घराने हंै।
किसानोें को लुभाने के लिए भाजपा चाहे जो प्रचार करे हकीकत यह है कि केंद्र में उसकी सरकार बनते ही हजारों किसानों की आत्महत्याएं भाजपा शासित राज्यों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हुई है। किसानों की आय वर्ष 2022 तक दुगुनी करने का वादा करने वाली सरकार यह नहीं बताती कि अभी किसान की क्या आय है?
किसानो को भाजपा सरकार फसल बीमा के नाम पर भी छल रही है। वास्तव मेें इस योजना का लाभ किसानों को नहीं बीमा कंपनियों को मिल रहा है। ऐसा नियम है कि किसी गांव के किसान को फसल खरीद होने पर तब तक मुआवजा राशि नही मिलेगी जब तक 70 फीसदी अन्य किसान उसी गांव के पीड़ित न हो। यह किसान के साथ छलावा नहीं तो और क्या है? भाजपा इसी तरह बहकाने की राजनीति करती है।
विडंबना यह है कि गांव-गरीब और किसान की बातें करने वाली भाजपा की कथनी करनी में जमीन आसमान का अंतर है। भाजपा राज में किसान को खाद, पानी, बिजली, कीटनाशक सभी पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है और वह भी समय से सुलभ नहीं है। खेतिहर मजदूरों, कृषि में जुटे लोगों का पचास प्रतिशत है, भाजपा की सरकारों ने इनके लिए कुछ नहीं किया है। कृृषि अर्थव्यवस्था पर अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा बाजार का कब्जा हो गया है। प्रधानमंत्री जी देश की तस्वीर और तकदीर बदलने के वादे तो बडे़-बडे़ कर रहे हैं पर जमीन पर उनकी एक भी योजना लागू नहीं दिख रही है।
किसानोें को ऐसे तमाम भाजपा के नेता गुमराह करने में रात-दिन एक किए हुए जो कभी खेत की मेड़ तक भी नहीं गए। इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि भाजपा भी किसानों के हितों की बात करती है। जब कि इस सच्चाई से सभी अवगत हैं कि भाजपा का किसानों से कोई लेना-देना कभी नही रहा। भाजपा का यह कोई हिडन एजेण्डा नही है बल्कि खुल्लम-खुल्ला एजेण्डा है कि बिना विकास किए सिर्फ समाज में नफरत फैलाकर राजनीति करना है। जनता उनके हवाई दावों की हकीकत से उन्हें सन्् 2019 में परिचित करा देगी।