लखनऊ 06 जुलाई 2018, भाजपा ने गठबंधन तोड़कर बता दिया कि हमारे लिए राष्ट्र और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर कृतज्ञ नमन करते हुए कहा कि डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जिस कश्मीर के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया, आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू कश्मीर में गठबंधन तोड़कर संदेश दे दिया है कि सरकार में बने रहना नहीं बल्कि राष्ट्र की अखण्डता हमारे लिए सर्वोपरि है। मोदी सरकार ने भारत के दुश्मनों को, आतंकवादियों और अलगाववादियों को करारा जबाब देकर घुटनों पर ला दिया है। मोदी सरकार डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा प्रशस्त मार्ग पर चलकर कश्मीर को राष्ट्र द्रोहियों से मुक्त करने के अभियान पर बढ़ गयी है। चार वर्ष पूर्व केन्द्र में मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के साथ ही यह स्पष्ट कर दिया था कि देश की आतंरिक और वाह्य सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और भारत विरोधियों को मुंहतोड़ जबाव दिया जाएगा। कश्मीर में आतंक और आतंकवादियों के सफाए तक मोदी सरकार का यह अभियान जारी रहेगा और डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के स्वप्नों का कश्मीर बनाकर मोदी सरकार उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित करेगी।
प्रदेश अध्यक्ष डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि एक विचारक, प्रखर शिक्षाविद व राष्ट्रवादी नेता के रूप में डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी सदैव हम सभी के प्रेरणापुंज है। डा0 मुखर्जी की धारणा थी कि देश मंे सांस्कृतिक दृष्टि से हम सभी एक है और इसलिए उन्होंने देश के विभाजन का विरोध किया। डा0 पाण्डेय ने कहा कि ब्रिटिश सरकार के भारत विभाजन के षड़यन्त्र को कांग्रेस के नेताओं ने अखण्ड भारत के वादों को ताक पर रखकर स्वीकार किया। डा0 पाण्डेय ने कहा कि डा0 मुखर्जी की मान्यता थी कि राष्ट्र का आधारभूत सत्य यह है कि हम सभी मां भारती के पुत्र है, हममें कोई अंतर नहीं है, हम सभी का भारतीय रक्त है, हमारी एक ही संस्कृति और एक ही विरासत है, इसलिए धर्म के आधार पर विभाजन का उन्होंने विरोध किया।
डा0 पाण्डेय ने कहा कि डा0 मुखर्जी सच्चे अर्थो में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी राजनेता थे। गांधी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर डा0 मुखर्जी भारत के पहले मंत्री मण्डल में शामिल हुए किन्तु उनके राष्ट्रवादी चिंतन के चलते अन्य कांग्रेस के नेताओं से उनके मदभेद सदैव बने रहे। अन्ततः राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए उन्होंने मंत्री मण्डल से त्याग पत्र दे दिया और अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ, जो संघर्ष के थपेड़ो से जूझते हुए राष्ट्रवाद की पताका हाथ में लेकर आज भाजपा के रूप में विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गया है।
डा0 पाण्डेय ने कहा कि डा0 मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाना चाहते थे, उस समय कश्मीर का अलग झण्डा व अलग संविधान था, वहां का मुख्यमंत्री बजीर-ए-आजम अर्थात प्रधानमंत्री कहलाता था। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में डा0 मुखर्जी ने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपकों भारतीय संविधान प्राप्त कराऊंगा या फिर इस उद्देश्य के पूर्ति के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूंगा, उन्होंने तत्कालीन जवाहर लाल नेहरू सरकार को चुनौती दी और अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने बिना परमिट के जम्मू कश्मीर में प्रवेश किया। वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 23 जून 1958 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनका महाप्रयाण हो गया। डा0 मुखर्जी राष्ट्र की अखण्डता के लिए प्राणों का उत्सर्ग करके हम सभी का मार्ग प्रशस्त कर गए। जयंती पर विनम्र श्रद्धाजंलि।