लखनऊ 03 जुलाई 2018, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उप्र पुलिस खंूखार अपराधियों, माफियाओं और संगठित अपराधियों के सफाये के लिए शानदार काम कर रही है। बीते डेढ़ सालों के दौरान उप्र पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स और मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के दायरें में रहते हुए ही आत्मरक्षा और आम लोगों की हिफाजत के लिए अपराधियों के खिलाफ कार्रवाईयां की हंै और इस दौरान हुई मुठभेड़ांे में अपराधियों के मारे जाने से जनता में खुशी है। इन मुठभेड़ांे के दौरान यूपी पुलिस के 4 बहादुर पुलिसकर्मी भी शहीद हुए हंै और 390 पुलिसकर्मी घायल हुए है। इन ताबड़तोड़ कार्रवाईयों से पुलिस का मनोबल बढ़ा हुआ है। ऐसे में इन अपराधियों और माफियाओं को संरक्षण देने वाले कुछ संगठनों की नींद उड़ी हुई है और ये संगठन राजनीति की आड़ में पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाकर अपराधियों और माफियाओं के मददगार बन रहे हैं, प्रदेश सरकर ऐसे तत्वों के दबाव में नहीं आने वाली है, और आगे भी जो अपराधी पुलिस व निर्दोष लोगों पर गोलियां चलायेंगे उन्हें पुलिस की गोलियों का सामना करना पड़ेगा।
शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जब प्रदेश की कमान संभाली थी तब प्रदेश में जंगल राज जैसे हालात थे। जवाहर बाग कांड और कुण्डा काण्ड समेत तमाम घटनाओं में बहादुर पुलिस अफसर मारे जाते रहे पर सपा सरकार ने अपराधियों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की। इसी का नतीजा था कि पुलिस का मनोबल टूट चुका था और अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ था। ऐसे में मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट ऐलान किया कि पुलिस और आम लोगों पर गोलियां चलाने वाले बदमाशों के साथ कोई रियायत नहीं की जायेगी और पुलिस भी ऐसे अपराधियों की गोली का जबाव गोली से ही देगी।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस ने पिछले डेढ़ सालों के दौरान हुई हर मुठभेड में सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का पालन किया है। जिन मुठभेड़ो में अपराधी मारे गये हंै उन सभी मुठभेड़ांे में कुल 59 मुकदमे दर्ज किये गये। इनमें से 24 मुकदमों में पुलिस की भूमिका सही पाते हुए अंतिम रिपोर्ट लग चुकी हैं, जबकि बाकी मामलों की विवेचना अभी जारी है। इन 24 अंतिम रिर्पोटों में से 19 को अदालत ने भी स्वीकार करते हुए पुलिस की भूमिका सही पाई है जबकि बाकी 5 मामलों में अभी अदालती प्रक्रिया चल रही है। वहीं न्यायिक जांच के उपरांत भी 59 मामलों में से 27 मामलों में पुलिस की भूमिका को सही पाते हुए पुलिस को क्लीन चिट दी जा चुकी है जबकि बाकी मामलों की जांच जारी है।
शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि पिछले डेढ़ सालों के दौरान प्रदेश में 7 हजार अपराधी गिरफ्तार किये गये, वहीं 8 हजार से ज्यादा अपराधियों ने आत्मसमर्पण किया। इन गिरफ्तारियों और आत्मसमर्पण की तुलना में एनकाउन्टर में अपराधियों के मारे जाने की संख्या काफी कम है। जाहिर है कि ऐसे में पुलिस की कोशिश हमेशा से अपराधियों को गिरफ्तार करने की ही रही है पर कुछ घटनाओं में अपराधियों की तरफ से गोली बारी करने की हालत में पुलिस को भी आत्मरक्षार्थ गोलियां चलानी पड़ी है। खास बात यह भी है कि पुलिस कार्रवाई में बड़े पैमाने पर असलहों और असलहा फैक्टरियों की भी बरामदगी हुई है, ऐसे में स्पष्ट है कि मुठभेड़ों के दौरान जो आरोपी गिरफ्तार हुए है या मारे गये है वे खूंखार आपराधी ही हैं और इन कार्रवाईयों से कानून व्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार आया है।