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एडीबी द्वारा प्रदेश में सरकार की घोणाआंे/प्राथमिकताओं के दृष्टिगत 19 जनपदों

Posted on 21 June 2018 by admin

dsc_2583लखनऊ: 21 जून, 2018

एडीबी द्वारा प्रदेश में सरकार की घोणाआंे/प्राथमिकताओं के दृष्टिगत 19 जनपदों
में 11 सेक्टर्स में निम्नलिखित 06 जोने में रोजगार सृजन की संभावनाओं को
चिन्हित किया गया है:-

1. पश्चिमी क्षेत्र
2. दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र
3. सेन्ट्रल क्षेत्र
4. उत्तरीय क्षेत्र
5. पूर्वी क्षेत्र
6. बुन्देलखण्ड क्षेत्र

चिन्हित उक्त जनपदों के अवस्थापना विकास हेतु परिवहन कनेक्टिविटी, उद्योगों की
स्थापना, प्रशिक्षित श्रमिक उपलब्ध कराते हुए औद्योगिक विकास करना, अवस्थापना
सुविधाओं में सुधार हेतु बिजली आपूर्ति की दरो, लास्ट माइल कनेक्टिीविटी एवं
पेयजल की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
ए0डी0बी0 के डिप्टी कण्ट्री डायरेक्टर द्वारा अवगत कराया गया कि पूर्व में
आहूत बैठक में मुख्य सचिव महोदय द्वारा प्रदत्त निर्देशों के क्रम में रोजगार
के अवसरों को बढ़ाने हेतु इण्डस्ट्रियल पार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर, अर्बन, पावर,
लाॅजिस्टिक, रोड, रेलवे एवं एयरपोर्ट क्षेत्रों को 06 जोन यथा बुन्देलखण्ड
जोन, सेन्ट्रल जोन, ईस्टर्न जोन, नादर्न जोन, साउथ वेस्टर्न जोन, वेस्टर्न जोन
के तहत चिन्ह्ति करते हुए रूपये लगभग 150000 करोड़ का एक विस्तृत
इन्फ्रास्ट्राक्चर इन्वेस्टमेंट प्लान चिन्हित किया गया है जिसके अन्तर्गत
उक्त 06 में लगभग 242 मल्टी सेक्टोरल परियोजनाएं चिन्हित की गयी हैं।
ए0डी0बी0 द्वारा तैयार ड्राॅफ्ट रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश के विकास हेतु
निम्नलिखित सुझाव दिये गयेः-
ऽ क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करने हेतु जनसंख्या एवं मैनुफैक्चरिंग
जी0एस0डी0पी0 कन्ट्रीब्यूशन के को दृष्टिगत रखा जाय।
ऽ वर्तमान में आर्गनाइज्ड एवं हाई वैल्यू एडेड जाब्स को बढ़ावा देने की
आवश्यकता है। इस हेतु 19 जनपदों यथा जी0बी0 नगर, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर,
अलीगढ़, आगरा, फिरोजाबाद, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, सोनभद्र, इलाहाबाद, वाराणसी,
गोरखपुर, अमरोहा, बिजनौर, मुरादाबाद, झांसी एवं चित्रकूट जनपदों को फोकस करते
हुये 6 मुख्य इम्प्लाईमेंट जोन्स यथा बुन्देलखण्ड जोन, सेन्ट्रल जोन, ईस्टर्न
जोन, नादर्न जोन, साउथ वेस्टर्न जोन, वेस्टर्न जोन में विभक्त करते हुए फूड
प्रोसेसिंग एवं बिवेजरेस, लेदर एवं सम्बन्धित उत्पाद, बेसिक मिटेल्स एवं
फैब्रिकेटेड मिटेल उत्पाद, कैमिकल्स, इलेक्ट्राॅनिक्स, परिधान, आॅटोमोबाइल
कम्पोनेंट्स तथा शीशे के उत्पादों के रूप में 08 मुख्य आर्गनाइज्ड सेक्टर्स की
पहचान की गयी है।
ऽ तत्क्रम में लेदर एवं सम्बन्धित उत्पादों के निर्माण एवं आयात-निर्यात को
बढ़ावा देने हेतु आवश्यक रूप से इण्डस्ट्रियल क्लस्टर बनाने, काॅमन
इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं प्रदान करने, सी0ई0टी0पी0 एवं ब्रांडिंग सपोर्ट की
आवश्यकता पर ध्यान केन्द्रित किया जाय।
ऽ इलेक्ट्राॅनिक्स सेक्टर के अन्तर्गत इलेक्ट्राॅनिक्स कम्पोनेंट के उत्पादन
में उत्तर प्रदेश की अह्म भूमिका है। अन्य प्रदेशों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश
में 27 प्रतिशत इलेक्ट्राॅनिक्स का उत्पादन होता है जिसमें इण्ड टू इण्ड
इकोसिस्टम का विकास करते हुए इस प्रतिशत को 41 प्रतिशत तक किया जा सकता है।
ऽ दुग्ध उत्पादन के विषय में उत्तर प्रदेश अग्रणी स्थान रखता है किन्तु
असंगठित क्षेत्र होने के कारण उत्तर प्रदेश में कुल दुग्ध उत्पादन प्रतिशत का
मात्र 30 प्रतिशत दुग्ध ही आर्गनाइज्ड तरीके से प्राप्त हो पाता है। अतः दुग्ध
प्रसंस्करण क्षमता पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। इस हेतु मध्यम
श्रेणी की डेयरियां विकसित की जानी चाहिए।
ऽ एम0एस0एम0ई0 सेक्टर के अन्तर्गत एक समर्पित एम0एस0एम0ई0 डेवलपमेंट सेल का
विकास किया जाना चाहिए जो कि एम0एस0एम0ई0 के विकास एवं क्लस्टरों के प्रबन्धन
हेतु मुख्य भूमिका निभायेगी।

ए0डी0बी0 के डिप्टी कण्ट्री डायरेक्टर द्वारा अवगत कराया गया कि मल्टी
सेक्टोरल इन्वेस्टमेंट को दृष्टिगत रखते हुए उत्तर प्रदेश में सड़कों के विकास
हेतु लगभग 50ः, नगरीय क्षेत्रों हेतु 14ः, रेलवे हेतु 14ः, एयरपोर्ट हेतु 11ः,
लाॅजिस्टिक हेतु 7ः एवं इण्डस्ट्रियल पार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर हेतु 2ः एवं पावर
के क्षेत्र में 1ः की वृद्धि अपेक्षित है जिस हेतु लगभग रूपये 150000 करोड़ की
धनराशि का एक विस्तृत इन्फ्रास्ट्राक्चर इन्वेस्टमेंट प्लान चिन्हित किया गया
है जिसके अन्तर्गत चिन्हित 06 जोनों में लगभग 242 मल्टी सेक्टोरल परियोजनाओं
पर कार्य किया जाना है।
एडीबी के डिप्टी कन्ट्री डायरेक्टर द्वारा यू0पी0 इन्फ्रास्ट्रक्चर फ्रेमवर्क
प्लान की निष्कर्षों/परिणामों ;पिदकपदहे व िजीम तमचवतजद्ध को मुख्य सचिव महोदय
के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसमें अवगत कराया गया कि संबंधित विभागों से
प्राप्त आकड़ों/सूचनाओं तथा कतिपय उद्योगों से प्राप्त परामर्श के आधार पर
आधारभूत संरचनाओं को प्रभावित करने वाली बाधाओं/गैप्स् को चिन्हित किया गया
है। एडीबी द्वारा इस हेतु प्रदेश में अवस्थापना संरचना की आवश्यक्ताओं को
चिन्हित करने के लिये अब तक कुल 177 कंसलटेशंस किये गये जिसके आधार पर चिन्हित
बाधाओं/गैप्स् को दूर करने के लिये सुझाव/नीति एवं नियामक उपायांे/आवश्यक
हस्तक्षेपों इत्यादि के संबंध में एडीबी द्वारा तैयार ड्राफ्ट रिपोर्ट में
उल्लेख किया गया है।
dsc_2568
कण्ट्री डायरेक्टर द्वारा अवगत कराया गया कि ए0डी0बी0 के मिशन स्टेटमेंट के
तहत ए0डी0बी0 द्वारा उत्तर प्रदेश के सतत् विकास हेतु उत्तर प्रदेश में पूंजी
निवेश में वृद्धि, गुणवत्ता युक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने, रोजगार
उत्पन्न करने, वर्कफोर्स में कौशलता प्रदान करने, एम0एस0एम0ई0 को सहयोग प्रदान
करने एवं सन्तुलित एवं समावेशी विकास सुनिश्चित करने पर बल दिया जायेगा।
प्रदेश के इण्डस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट एण्ड इम्पलाइमेंट प्रमोशन पाॅलिसी आॅफ
उत्तर प्रदेश-2017 के दृष्टिगत प्रदेश के निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति
हेतु उक्त बाधाओं/गैप्स् को पूर्ण करने की आवश्यकता बताइ्र्र गयी।

मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में आहूत उक्त बैठक का समन्वय अपर मुख्य
सचिव, नियोजन विभाग द्वारा किया गया। बैठक में एडीबी के कन्ट्री डायरेक्टर
द्वारा अपनी टीम यथा- श्री सब्यसाची मित्रा, डिप्टी कन्ट्री डायरेक्टर, श्री
अशोक श्रीवास्तव, सीनियर प्रोजेक्ट आॅफिसर (अर्बन), सुश्री कनुप्रिया गुप्ता,
प्रोजेक्ट आॅफिसर (इकोनाॅमिक्स एण्ड स्किल्स)े, श्री अतुल संगनेरिया,
इकोनाॅमिस्ट, सुश्री मिताली निकोर, इकोनाॅमिस्ट, श्री मोहम्मद अतहर, श्री
सुजाॅय शेट्टी एवं श्री रोहन शाह के साथ प्रतिभाग किया गया गया। इस बैठक में
नियोजन विभाग, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम
तथा निर्यात प्रोत्साहन, लोक निर्माण, ऊर्जा, सिंचाई एवं जल संसाधन, आवास एवं
शहरी नियोजन, परिवहन, आई.टी. एवं इलेक्ट्रानिक्स, वित्त, सहकारिता, वाह्य
सहायतित परियोजना, खाद्य एवं रसद एवं उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण आदि
प्रशासकीय विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव तथा अन्य वरिष्ठ विभागीय
अधिकारियो द्वारा प्रतिभाग किया गया।

उत्तर प्रदेश के सतत् विकास हेतु आज दिनांक 21 जून, 2018 को एशियन डेवलपमेंट
बैंक के कण्ट्री डायरेक्टर श्री केनेची योकोयामा द्वारा मुख्य सचिव, उ0प्र0
शासन के समक्ष उत्तर प्रदेश के विकास हेतु विभिन्न बिन्दुओं
यथा-प्रतिस्पर्धात्मक वृद्धि करते हुए संभावित रोजगार क्षेत्रों को चिन्हित
करने, मुख्य बाजारों एवं मुख्य मार्गों से फ्रेट विलेजे़स को जोड़ने, रोजगार
संभावनाओं में वृद्धि हेतु डैडम्े का क्षमतावर्द्धन करने, क्षेत्रीय असंतुलन
को चिन्हित करने,सीखनें की कमी को कम करने हेतु कौशल सक्षम माहौल का सृजन
करने, अवस्थापना संरचना के अन्तर एवं क्रियान्वयन योग्य परियोजनाओं को चिन्हित
करते हुये विकास मे आ रही बाधाओं/गैप्स् को समाप्त करने के मुख्य उद्देश्यों
के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान फाॅर सपोर्टिंग इन्क्लूसिव ग्रोथ के अन्तर्गत
प्रस्तुतिकरण किया गया।

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