लखनऊ 14 जून 2018। उत्तर प्रदेश के 5 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेसवार्ता आज के अखबारों में जब मैंनंे पढ़ी तो लगा कि जिस भाषा का प्रयोग उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा महामहिम उत्तर प्रदेश के बारे में किया है उससे लगता है कि यह एक अस्वस्थ व्यक्ति की भाषा तो हो सकती कदापि स्वस्थ की नहीं। उनकी अपनी वाणी मेें अहंकार साफ दिखता है। वह अधिकारियों को धमकाते है उन्हें देख लेने की धमकी देते है। वह यह कैसे भूल जाते है कि पण्डित (अधिकारी) ही सत्ता का व्यक्ति का स्वयंमबर व श्राद्धा दोनों कराते है।
राणा ने कहा कि व्यक्ति को चार गुण ही महान बनाते है (1) वाणी में माधुर्य (2) दृष्टि में प्रसन्नता व व्यापकता (3) मन में पवित्रता (4) व्यवहार में कुशलता। कल की प्रेसवार्ता में अखिलेश यादव चारों गुणों से निर्धन थे। उन्होंने कहा कि राज्यपाल मंे आरएसएस की आत्मा बसती हैं मैं उनको बताना चाहता हूॅ कि राज्यपाल में एक महान आत्मा जरूर बसती है जिससे वह सरकारी धन से बने बंगले के तहस नहस से दुखी है। अखिलेश जी आप सरकारी बंगले की तहस नहस से खुश है तभी तो आपने उसे तबाह कर दिया वरना जनता के धन से बने बंगले को कभी नुकसान न पहुंचाते।
श्री राणा ने कहा कि जो आपने सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाया है वह दर्शाता है कि आप में न समझदारी है न ईमानदारी है न जवाबदारी है और न ही वफादारी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व राज्यपाल तो गुणों की खान है और आप?