लखनऊ: 09 जून, 2018
प्रदेश के बढ़ रहे आवारा निराश्रित पशुओं को संरक्षण देने व इनको उपयोगी बनाने के लिए नीति निर्धारण हेतु एक राज्य स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज यहां पशुपालन निदेशालय में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में गोचर गोसदनों व चारागाहों को मजबूत बनाये जाने तथा पशु चिकित्सावियों को केन्द्र व राज्य सरकार पशु क्रूरता, पशु संरक्षण एवं अन्य अधिनियमों के सम्बन्ध में व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए निदेशक, पंचायतीराज श्री आकाशदीप ने कहा कि हमारी संस्कृति में प्रत्येक पशु महत्वपूर्ण है और उनका संरक्षण व संवर्द्धन करना हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तर पर पशुओं के लिए भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए पशुकल्याण हेतु सभी कार्य किये जायेंगे। इसके लिए सम्बन्धित विभागों को आपसी समन्वय बनाकर कार्य करना होगा।
इस अवसर पर पशुपालन विभाग के निदेशक (प्रशासन एवं विकास) डा0 चरण सिंह यादव ने कहा कि पशुपालन विभाग पशुओं की देखभाल एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु सतत् क्रियाशील है और यह कार्यशाला पशु कल्याण डेयरी विनियमन, गोशालाओं का स्वावलम्बन एवं निराश्रित मवेशियों के प्रबन्धन में विशेष लाभकारी सिद्ध होगी।
गौसेवा आयोग के सचिव डा0 एस0पी0 गुप्ता ने पशु गोबर के प्रयोग को बढ़ावा देने, पंचगव्य का व्यापक प्रचार प्रसार करने एवं गांवों में कार्यशालाएं आयोजित करने पर अपने सुझाव दिए।
संगोष्ठी में पशुपालन निदेशक (रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र) डा0 एस0के0 श्रीवास्तव, उत्तराखण्ड के पशु कल्याण के नोडल अधिकारी डा0 आशुतोष जोशी, नगर विकास विभाग उ0प्र0 गो-सेवा आयोग, पंचायती राज विभाग, दुग्धशाला विकास विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, बाॅयफ इंस्ट्टियूट फाॅर स्स्टेनेबल लाइबलीहुड एण्ड डेवलेपमेन्ट लखनऊ, पशु क्रूरता निवारण समिति (एस0पी0सी0ए0) एवं पशु कल्याण से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं ने भाग लिया।
अ0सूचना अधिकारी- निधि वर्मा