लखनऊ 22 मई 2018, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि सरकारी बंगलों को लेकर उन तमाम नेताओं की पोल खुल गई है जो पिछड़ों, दलितों, वंचितों और शोषितों के नाम पर सियासत करते रहे हैं जबकि उनका इन तबकों से ना तो कोई जुड़ाव है ना ही लगाव। जनता की गाढी कमाई का बड़ा हिस्सा इन बंगलों में अपनी सुख सुविधाओं के लिए लगाने के चलते ये नेता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाजजूद अपने बंगले खाली करने को राजी नहीं हैं। कोई इन बंगले को विश्राम स्थल बनाने की कवायद में जुटा है तो कोई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार से दो साल की मोहलत मांग रहा है। इन नेताओं को उनसे नसीहत लेनी चाहिए जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही अपने अपने बंगले तुरंत खाली करने का प्रस्ताव सरकार को दे दिया है और उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपने बंगले खाली कर रहे हैं।
शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के लोगों ने भी देखा है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले दिए जाने की परंपरा के बहाने सपा और बसपा की सरकारों ने जनता की गाढी कमाई का किस तरह दुरूपयोग किया। सपा सरकार में जहां कई बंगलों को तोड़ कर पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम पर आलीशान बंगले बनवा लिए गए तो वहीं बसपा सरकारों में भी कई बंगले तोड़ कर पूर्व मुख्यमंत्री के लिए बंगला तैयार किया गया। यही नहीं इन बंगलों में साज सज्जा के नाम पर भी पानी की तरह पैसा बहाया गया। यही वजह है कि आज जब सुप्रीम कोर्ट ने बंगला खाली करने को कह दिया है तब वंचितों, शोषितों के नाम पर सियासत करने वाले इन नेताओं को सरकारी बंगले खाली करने में तकलीफ हो रही है। सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार के स्पष्ट निर्देश के बाद भी बंगले बचाने की पूरी कवायद हो रही है।
किसे याद नहीं कि बंगलों के नाम पर सपा और बसपा के नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ कैसी ओछी सियासत की। सपा सरकार में बसपा सुप्रीमो के बंगले के सामने पुल बना दिया गया और तत्कालीन सपा सरकार ने बड़ी उपलब्धि के तौर पर इसका बखान भी किया। सपा नेताओं ने खुल कर बीएसपी सुप्रीमो के बंगले के सामने पुल निकाले जाने का मजाक उड़ाया। इसके जबाव में बीएसपी नेताओं की तरफ से ये कहा गया कि बीएसपी सरकार आई तो श्री मुलायम सिंह यादव और श्री अखिलेश यादव के सरकारी बंगलों के सामने भी पुल बना दिया जाएगा। आज ये दोनों नेता एक होकर अपने अपने बंगले बचाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। प्रदेश और देश की जनता ये सारा तमाशा देख रही है और ये महसूस कर रही है कि सपा और बसपा दरअसल नीतियों और जनभावनाओं की नहीं, बल्कि अपने निजी हितों की राजनीति कर रहे हैं।