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नदी की जमीन नदी को हो तथा पानी की जमीन पानी की होः जल पुरूष राजेन्द्र सिंह

Posted on 12 May 2018 by admin

नदी, तालाब, झरने कुऐं आदि पुराने जलस्रोंतों को मनरेगा से किया जायेगा जीवितः जिलाधिकारी
पुराने जलस्रोत जिंदा होगें तो पानी की समस्या से मिलेगी निजात
मडावरा ब्लाक सभागार कक्ष में ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी का आयोजन

22ललितपुर।
विकास खण्ड मडावरा सभागार कक्ष में जिला विज्ञान क्लब ललितपुर एवं बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान मुख्य अतिथि जल पुरूष राजेन्द्र सिंह एवं जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी को संबोंधित करते हुए जलपुरूष (रेमन मैग्सेसे पुरूस्कृत) राजेन्द्र सिंह ने कहा कि आज के समय में हमारें पुराने जलस्रोतों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप हमारे पुराने जलस्रोत खात्मे की ओर हैं यही कारण है कि आज पानी की समस्या दिनबादिन बढती जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे गांव एवं खेतों के आस-पास स्थित हमारे पुराने जलस्रोत नदी, नाले, झीलें, कुण्ड आदि समाप्त हो रहें हैं। इनसे ही हमारे धरती के अंदर पानी झिरकर पहुंचता है जिससे पानी का जलसा्रेत मजबूत होता था तथा वर्ष भर लोगों को जरूरत के अनुसार पानी की उपलब्धता हो जाती है, पानी की कमी से नहीं जूझना पडता था। आज जब हमारे पुराने जलस्रोत अंतिम सांसे ले रहें हैं ऐसे में अब बेहद जरूरी हो गया है कि हमस ब मिलकर जनसभागिता के साथ अपने पुराने जलस्रोतों को जीवित करने हेतु दृढसंकल्पित होकर बचाने के लिए आगें आयें। इस कार्य के लिए अब जिले के मुखिया जिलाधिकारी ललितपुर मानवेन्द्र सिंह ने भी कमर कस ली है। उन्होंने अथक प्रयास कर पुराने जलस्रोतों को जिंदा करने हेतु अब बीणा उठा लिया है ऐसे में जरूरत है कि अब लोग उनके साथ मिलकर अपने पुराने जलस्रोतों को बचाने हेतु कंधा से कंधा मिलकर चलें। उन्होंनें कहा कि नदी की जमीन नदी की हो तथा पानी की जमीन में पानी में तभी बात बनेेगी ये सब कार्य सफलता पूर्वक तभी सम्पन्न होगा जब जनभागीदारी होगी। कहा कि नदी बहुत अच्छी है तथा काम के बाद बहुत ही अच्छे परिणाम मिलेगें। संगोष्ठी में उपस्थित सभी लोगों ने हांथ उठकार इस बात का समर्थन किया।
ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी में संबोंधित करते हुए जलपुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि नदी में काम प्रारम्भ करने पहले पूर्व नदी के पूरे भाग का अवलोकन कर वहां की स्थिति को जानना जरूरी है। कहा कि जब हम ठीक प्रकार से अध्ययन कर लेगें तो जहां पर जैसी जरूरत है वैसे रूप में हम कार्य सही रूप में कर पायेंगें। नदी के पांचों अंगों का अध्ययन करें। नदी के आस-पास स्थित तालाब, पोखरों आदि का भी सर्वे कराकर उन्हें जिंदा करने का कार्य करें जिससे नदी का जलस्तर मंे तेजी के साथ वृद्वि होगी। एक टीम बनाकर रिपोर्ट तैयार करायी जाये और फिर इसके बाद कार्य प्रारम्भ किया जाये। उन्होंने कहा कि अब 11 नदियों को जिंदा करने का जनसभागिता से किया है। ओडी नदी को एक वर्ष के अंदर जिंदा करना है। वृक्षारोपण के संबंध में कहा कि नदी के किनारे पंचवटी लगायें। पीपल, बरगद, गूलर आदि पेडों की जडें फैलतीं हैं तथा जमीन के नीचे पाने जाने में सहायक हैं। किसानों के लिए कहा कि किसान भाई शुभ एवं लाभ बांस के पेड़ को लगायें। बांस के पेड से अच्छी इन्कम है तथा कोई नुकसान नहीं हैं।
ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि ओडी नदी को पुर्नजीवन देने का कार्य एक वर्ष में पूर्णं कर लिया जायेगा। आज हमारे लिए बडे़ ही गौरव की बात है कि जलपुरूष (रेमन मैग्सेसे पुरूस्कृत) राजेन्द्र सिंह जी के मार्गदर्शन में ओडी नदी को पुर्नजीवन देने का कार्य करने का मौका मिल रहा है। पानी को लेकर ऐशिया सर्वोच्च सम्मान आपको मिल चुका है। यह हमारे लिए बहुत ही सुखद है। उन्हों कहा कि मनरेगा के धन को कैसे सदुपयोग करना है इसके लिए अब मैने मन बना लिया है। मनरेगा से पुराने जल स्रोत कुआं, तालाब, पोखर आदि को पुर्नजीवित करने का कार्य प्रमुखता के साथ कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि बारिस का पानी धरती पर जाकर जलस्तर की वृ़िद्व करे इसके लिए सभी के सहयोग से पुराने जलस्रोतों को जिंदा करने का कार्य किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार भी यही चाहती है कि जनसहभागिता के साथ कार्य हों जिससे कि लोग इस बात को महसूस करें कि यह काम हमारा है और हमारे फायदे के लिए है। जलस्तर में वृद्वि होने पर पानी की किल्लत की समस्या कम होगी तथा लोगों को पानी की समस्या से निजात मिलेगी।
संगोष्ठी में संचालन करते हुए कार्यक्रम सहआयोजक बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मंत्री वासुदेव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि ललितपुर जनपद के लिए जब भी जलपुरूष राजेन्द्र जी से समय मांगा गया उन्होंने समय दिया है। क्षेत्र में पानी के पुराने जलसा्रेत जिंदा हों इसके लिए उनके सुझाव बेहद महत्वपूर्णं हैं। कहा कि धौरीसागर में स्थित बण्डई नदी में पहले चेकडैम बनाकर पानी को रोका गया और बाद में बण्डई में नदी में बण्डई बांध का निर्माण आपके मार्गदशन में हुआ। बण्डई बांध से अब हजारों किसानों को सिंचाई का पानी मिलेगा। किसाने के साथ ही जंगल के पशु, पक्षियों को पानी मिलेेगा। अब गर्मी में पक्षियों एवं जंगली जानवारों की पानी की कमी से मौतें नहीं होगीं। इसी उम्मीद के साथ ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी का आयोजन हुआ है जिले के जिलाधिकारी बहुत ही संवेदनशील हैं और वे भी नदी को जिंदा करके ऐतिहासिक कार्य की ओर अग्रसर हैं। वे खुद कार्यस्थल का अवलोकन कर सुझाव दे रहें हैं तथा विशेषज्ञों से राय लेकर कार्य को गति दे रहें हैं। जलपुरूष राजेन्द्र सिंह जी के द्वारा दिये गये सुझाव बेहद लाभप्रद हैं। उनके सुझावों पर अमल करके ओडी नदी पुर्नजीवन के कार्य को जनसहभागिता से पूरा किया जायेगा। संस्थान गांव-गांव में जाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए पे्ररित कर रहा है। इसी दिशा में यह भी एक सार्थक पहल जारी है।

ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी में प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी बलीराम वर्मा, प्रभागीय निदेशक वानिकी गोविंद शरण, मृत्युन्जय कुमार अधिशाषी अभियंता लघु सिंचाई, खण्ड विकास अधिकारी मडावरा बी0पी0 शुक्ला, सहायक विकास अधिकारी लखनलाल झां, क्षेत्रीय वनाधिकारी मडावरा रावसाहब यादव, बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मंत्री वासुदेव, जिला विज्ञान क्लब ललितपुर समन्वयक सत्येन्द्र शिवा, विजय सिंह सेंगर, शिवकुमार त्रिपाठी, मानसिंह, राहुल स्रोती, दीपक दुबे, प्रकाश सिंह, प्रेममोहन रिछारिया जेई लघु सिंचाई, आर0बी0 पस्तौर जेई लघु सिंचाई, ग्राम प्रधान उल्दनाखुर्द जगदीश यादव, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि हंसेरा छत्रपाल सिंह, मुकुन्द सिंह पहाडीकलां, सोबरन सिंह धवा, रणवीर सिंह यादव हंसरा, ग्राम प्रधान मदनपुर जाहर सिंह, ग्राम प्रधान बडवार राजाराम, ग्राम प्रधान वनगुवां धनप्रसाद, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रखवारा निर्भान सिंह यादव, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रजौला चाली, तकनीकी सहायक मुकेश जैन, नसीर अहमद खान, गजराज आर्या, परशुराम, सौरभ तिवारी, सुरेशचंद आर्य, अनुज श्रीवास्तव, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा हृदेश कुमार, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ज्योतिस्वरूप शर्मा, गुलझारीलाल, आलोक दुबे, रामदास सुमन, धन सिंह आदि उपस्थित रहे। ओडी नदी पुर्नजीवन संगोष्ठी का संचालन बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मंत्री वासुदेव ने किया।

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