प्रस्तावित डिफेन्स काॅरीडोर पर चिन्हित किए गए 6 नोड्स- अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर व लखनऊ
फीज़िबिलीटी स्टडी के लिए परामर्शी का चयन किया जा चुका है
राज्य की नवीन डिफेन्स एवं एयरोस्पेस मैन्यूफैक्चरिंग
नीति आएगी शीघ्र
उद्योग बन्धु में रक्षा क्षेत्र हेतु एक सेल तथा 6 नोड्स हेतु सिंगल विण्डो सिस्टम स्थापित किया जाएगा
लखनऊः 09 मई, 2018
”सरकार का दायित्व है कि सीमा पर तैनात सेना के जवानों को आवश्यक हथियार उपलब्ध कराये, अतः मा. प्रधानमंत्री जी के निर्देशन में डिफेन्स मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सार्वजनिक एवं निजी उद्योगों को समान प्रकार के अवसर व सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने हेतु कदम उठाये गए हैं। उत्तर प्रदेश में डिफेन्स काॅरीडोर की स्थापना से रक्षा क्षेत्र के विकास का माहौल बनेगा, जिससे स्थानीय नागरिकों को अधिकतम लाभ होगा“, ये उद्गार भारत सरकार के माननीय रक्षा राज्य मंत्री - डाॅ. सुभाष रामराव भामरे ने बुन्देलखण्ड डिफेन्स काॅरीडोर परियोजना के कार्यान्वयन हेतु उद्यमियों के सक्रिय प्रतिभाग को सुनिश्चित कर परियोजना को त्वरित प्रगति प्रदान करने के उद्देश्य से आज यहाँ इण्डियन इण्डस्ट्रीज़ एसोसिएशन व उद्योग बन्धु के सहयोग से आईआईए भवन गोमती नगर में आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किए।
20,000 करोड़ रुपये के सम्भावित निवेश तथा 2.5 लाख रोज़गार सृजन की सम्भावना वाले बुन्देलखण्ड डिफेन्स काॅरीडोर से सम्बन्धित इस गोष्ठी में लगभग 150 उद्यमियों तथा रक्षा उत्पादन से सम्बन्धित सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उद्यमों के अधिकारियों सहित राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भाग लिया गया। अन्य प्रतिभागियों के अतिरिक्त इस कार्यक्रम में प्रमुख सचिव, सूचना एवं जनसम्पर्क - श्री अवनीश अवस्थी, सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास एवं अधिशासी निदेशक, उद्योग बन्धु - श्री संतोष कुमार यादव, सचिव, एमएसएमई - श्री भुवनेश कुमार तथा प्रबन्ध निदेशक, यूपीएसआईडीसी-श्री रणवीर प्रसाद आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि,डाॅ. भामरेने कहाकि डिफेन्स मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर क्षेत्र में स्वावलम्बी बनने के लिए स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु डिफेन्स प्रोक्योरमेंट मैनुअल में परिवर्तन किया गया है तथा लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया व आॅफसेट नीति में बदलाव कर इसे उद्योगों हेतु आसान बनाया गया है।उन्होंने बताया कि मेक इन इण्डिया कार्यक्रम के तहत हम अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों को रक्षा उत्पादन हेतु आमंत्रित कर रहे हैं, जिसके लिए यथोचित इकोसिस्टम के सृजन हेतु भारतीय रणनीतिक पार्टनर का चयन कर लिया गया है तथा भविष्य में विदेशी रणनीतिक पार्टनर का चयन भी किया जाएगा।
राज्य सरकार के मा. औद्योगिक विकास मंत्री, श्री सतीश महाना ने अपने विशेष सम्बोधन में कहा किमा. मुख्यमंत्री जी का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय राज्य में औद्योगीकरण को पुनःस्थापित करने का था। यूपी इन्वेस्टर्स समिट 2018 में मा. प्रधानमंत्री जी की भागीदारी से एक ऐसा माहौल सृजित हुआ है कि निवेशक स्वयं उत्तर प्रदेश में उद्योग स्थापना हेतु रुचि प्रकट कर रहे हैं। श्री महाना ने कहा कि पहले निवेशकों को सरकार के पास जाना पड़ता था किन्तु अब सरकार निवेशकों के पास जा रही है। ‘‘मुझे प्रसन्नता है कि राज्य की नवीन औद्योगिक नीति का स्वागत हुआ है, अब शीघ्र ही घोषित होने वाली डिफेन्स मैन्यूफैक्चरिंग नीति में भी औद्योगिक संगठनों के सुझावों को सम्मिलित किया जाएगा।’’उन्होंने कहा कि लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वे डिफेन्स सेक्टर की आवश्यकताओं के अनुसार उत्पादों का निर्माण कर लाभ उठायें।
इससे पूर्व सोसाइटी आॅफ इण्डियन डिफेन्स मैन्यूफैक्चरर्स (एस.आई.डी.एम.) के सचिव एवं महानिदेशक - सेवा निवृत ले. जनरल सुब्राता साहा ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज थल, वायु एवं नौसेना में उत्तर प्रदेश के जवान सबसे अधिक हैं। उन्होंने बताया किकेन्द्र सरकार की डिफेन्स मैन्यूफैक्चरिंग नीति में आत्मनिर्भता हेतु 13 प्रमुख सिस्टम्स को चिन्हित किया गया है तथा डिफेन्स काॅरीडोर में बुनियादी ढांचा तथा अन्य सुविधाएं विकसित करने के लिए भारत सरकार द्वारायोगदान किया जाएगा। ले. जन. साहा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पूर्व से विद्यमान रक्षा क्षेत्र की इकाइयों व सुविधाओं का विस्तार किया सकता है। उन्होंने एस.आई.डी.एम. के पूर्ण सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि राज्य में प्रचुर भूमि उपलब्ध है, जिस पर ग्रीन-फील्ड परियोजनाएं स्थापित की जा सकती हैं।
इस अवसर पर भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के आर्थिक सलाहकार - श्री रजीब कुमार सेन ने एयरोस्पेस व डिफेन्स क्षेत्र पर एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण किया, जिसमें बताया गया कि अब रक्षा उत्पादों का निर्माण भारत में ही करने हेतु अनेक नवीन कदम उठाये गए हैं। रक्षा उत्पादों में एमएसएमई हेतु आरक्षण की व्यवस्था की गई है तथा निर्यात नीति को सुचारू बनाया गया है। डिफेन्स उत्पादन विभाग द्वारा डिफेन्स इन्वेस्टर सेल स्थापित किया गया है।
उ. प्र. के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी), श्री अनूप चन्द्र पाण्डेयने ‘उŸार प्रदेश में डिफेन्स काॅरीडोर -विकास की साझेदारी, सुरक्षा की जिम्मेदारी’ विषय पर प्रस्तुतिकरण किया।उन्होंने बतायाकि बुन्देलखण्ड के विकास पर मा. मुख्यमंत्री जी ने विशेष बल दिया है, जिसके परिणामस्वरूप बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण का निर्णय लिया गया है, तथा निर्माणाधीन दिल्ली-मुम्बई इण्डस्ट्रियल काॅरीडोर व ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट काॅरीडोर प्रस्तावित डिफेन्स काॅरीडोर पर चिन्हित किए गए 6 नोड्स, यथा- अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर व लखनऊ, को प्रमुख बन्दरगाहों तथा हवाई अड्डों से कनेक्टिविटी मिलेगी।श्री पाण्डेय ने बताया कि राज्य सरकार ने डिफेन्सकाॅरीडोर के व्यवहारिकता अध्ययन (फीज़िबिलीटी स्टडी) के लिए परामर्शी का चयन किया जा चुका है।आईआईडीसी ने कहा कि डिफेन्स काॅरीडोर में मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों को स्थापित करने में सहजता प्रदान करने हेतु उद्योग बन्धु में रक्षा क्षेत्र हेतु एक सेलतथा 6 नोड्स हेतु सिंगल विण्डो सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना हेतु आईआईटी, कानपुर टेक्निकल पार्टनर तथा आईआईटी-बीएचयू मैटलर्जी टेक्निकल पार्टनर होगा।
प्रारम्भ में आईआईए के महासचिव, श्री के. के. अग्रवाल तथा आईआईए के अध्यक्ष, श्री सुनील वैश ने सभी उपस्थित विभूतियों व उद्यमियों का स्वागत करते हुए प्रस्तावित डिफेन्स काॅरीडोर परियोजना से होने वाले सामाजिक एवं आर्थिक विकास तथा एमएसएमई क्षेत्र के प्रतिभाग पर प्रकाश डाला।श्री सुनील वैश ने आश्वस्त किया कि आईआईए इस परियोजना के कार्यान्वयन में पूर्ण सहयोग करेगा।
विदित हो कि 21-22 फरवरी 2018 में आयोजित यूपी इन्वेस्टर्स समिट 2018 में मा. प्रधानमंत्री जी द्वारा उŸार प्रदेश में बुन्देलखण्ड डिफेन्स काॅरीडोरकी स्थापना की घोषणा की गई थी। तदोपरान्त केन्द्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परियोजना के कार्यान्वयन हेतु उद्यमियों के साथ संवाद की प्रक्रिया शुरू की है। इस कड़ी में झांसी एवं आगरामें इस प्रकार के कार्यक्रम हो चुके हैं, जबकि 14 मई को कानपुर में विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा।