उपभोक्ता मूल्य सूचकांक$5 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि नहीं होगी
नये प्रवेश लेने वाले छात्रों के शुल्क लेने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं
प्रबन्ध तन्त्र की शंकाओं का परिचर्चा में निराकरण
लखनऊ: 08 मई, 2018
उत्तर प्रदेश सरकार का मन्तव्य यह है कि शिक्षा गुणवत्तापरक हो, शिक्षा की गुणवत्ता में न केवल वृद्धि होती रहे, बल्कि विद्यालयों में पठन-पाठन की प्रक्रिया में भी सुधार हो। सरकार का पूरा प्रयास है कि विद्यालयों एवं अभिभावकों दोनों की कठिनाइयां दूर हों तथा प्रबन्ध तन्त्र को भी कोई परेशानी न हो। अच्छी एवं गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने में निजी विद्यालयों का अहम योगदान है और हम इसे विस्मृत नहीं करना चाहते। सरकार इस भ्रान्ति को दूर करना चाहती है कि सरकारी विद्यालय और निजी विद्यालय एक दूसरे के प्रतिद्वंदी हैं।
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा आज यहां आशियाना स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल में उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश 2018 के क्रियान्वयन पर परिचर्चा के लिए आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अलग-अलग प्रदेशों के शुल्क ढांचे, उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालयों के अभिमत, निजी विद्यालय संगठनों, अभिभावकों, शिक्षक संघों से व्यापक विचार-विमर्श के पश्चात ही शुल्क नियंत्रण हेतु यह अध्यादेश लाया गया है। इस अध्यादेश में इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि विद्यालय प्रबन्धतन्त्र एवं अभिभावकों के बीच शुल्क वृ़िद्ध को लेकर किसी तरह का संशय न रहे। नये विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए शुल्क निर्धारण पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया है। पुराने बच्चों के लिए फीस केवल उस स्थिति में ही बढ़ायी जा सकती है, यदि नया पे कमीशन लागू किया गया हो या कोई सेस (उपकर) प्रभारित हुआ हो, अन्यथा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सी.पी.आई.) तथा छात्र से वसूल किये गये शुल्क के 5 प्रतिशत से अधिक वृद्धि नहीं होगी।
परिचर्चा के दौरान अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा श्री संजय अग्रवाल ने लखनऊ क्षेत्र के विभिन्न जनपदों लखनऊ, उन्नाव, लखीमपुर आदि से आये निजी क्षेत्र के विद्यालयों के प्रबन्धतन्त्रों द्वारा उठाये गये विभिन्न बिन्दुओं एवं शंकाओं को बखूबी दूर किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शुल्क वृद्धि को लेकर किसी तरह की भ्रान्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि नये प्रवेश लेने वाले छात्र के लिए स्कूल अपने फीस स्ट्रक्चर को जो चाहे घोषित करे, उस पर सरकार द्वारा कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया है। मात्र पुराने विद्यार्थियों से मनमाने शुल्क की वसूली को रोकने के लिए एक निश्चित सीमा तक ही फीस वृद्धि की इजाजत दी गयी है। स्पोर्टस शुल्क, विकास शुल्क, लाइब्रेरी शुल्क, कम्प्यूटर शुल्क वसूली आदि के विषय में पूछे गये प्रश्नों का अपर मुख्य सचिव ने विधिवत उत्तर देते हुए उनकी शंकाओं का समाधान किया। परिचर्चा बेहद सौहार्द पूर्ण एवं शान्ति के माहौल में सम्पन्न हुई। इस अवसर पर प्रबन्धतन्त्र के साथ-साथ वरिष्ठ शिक्षा अधिकारियों द्वारा अध्यादेश को लागू कराने में आ रही कठिनाइयों का भी समाधान किया गया।
बैठक में राज्यमंत्री माध्यमिक शिक्षा, श्री संदीप सिंह, सचिव माध्यमिक शिक्षा श्रीमती संध्या तिवारी, विशेष सचिव वी. चन्द्रकला, निदेशक माध्यमिक शिक्षा श्री साहब सिंह निरंजन के अलावा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं विभिन्न जनपदों से आये निजी स्कूलों के प्रबन्धक एवं प्रधानाचार्य उपस्थित थे।