‘‘विश्व पशुचिकित्सा दिवस‘‘ के अवसर पर उत्कृष्ट कार्य हेतु 25 पशुचिकित्साविद् सम्मानित
लखनऊ: 28 अप्रैल, 2018
प्रदेश के पशुधन,लघु सिंचाई एवं मत्स्य विकास मंत्री प्रो0 एस.पी. सिंह बघेल ने कहा है कि सरकार द्वारा पशु स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, रोग नियंत्रण, उच्च पशु प्रजनन, पशु एवं चारा विकास आदि कार्यक्रमों के सुनियोजित संचालन के साथ-साथ पशुपालन कार्यक्रमों को स्वरोजगारपरक बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग प्रदेश में दूध, अण्डा एवं ऊन उत्पादन में वृद्धि कर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है और उत्पादकता बढ़ाने हेतु पशुपालकों को अधिक से अधिक उन्नत पशुपालन सेवाएं उपलबध कराने जैसे अनुदान सहायता, सुलभ ऋण, पशुधन बीमा सुरक्षा तथा समुचित पशुधन उत्पाद विपणन की व्यवस्था सुनिश्चत की जा रही है।
प्रो0 एस.पी. सिंह बघेल आज ‘‘विश्व पशुचिकित्सा दिवस‘‘ के उपलक्ष्य में पशुपालन निदेशालय बादशाह बाग, लखनऊ में पशुपालन विभाग एवं लेबोरेटरी एनीमल सांइस एसोसिएशन आफ इण्डिया के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी का मुख्य विषय प्रयोगशाला पशु स्वास्थ्य पर अनुसंधान एवं शोध, प्रयोगशालीय पशुओं व प्रक्षेत्र के पशुओं का वैज्ञानिक प्रबन्धन, उनके कल्याण व उनके प्रति मानवीय दृष्टिकोण है, जो अत्यंत प्रासंगिक है।
प्रो0 एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के 34 शोध कार्यों पर चर्चा की जायेगी जिसका पशुचिकित्सकों को पशु स्वास्थ्य, चिकित्सा, प्रजनन, उत्पादन एवं समय-समय पर फैलने वाली विभिन्न पशुमहामारियों के नियंत्रण एवं उन्मूलन में विशेष लाभ होगा और पशु चिकित्सा के क्षेत्र में आधुनिक वैज्ञानिक विधियों का समावेश होगा। उन्होंनें कहा कि पशु स्वास्थ्य सुरक्षा एवं चिकित्सा कार्यक्रमों के माध्यम से पशुओं को स्वस्थ्य रखा जाय।
पशुधन मंत्री ने इस अवसर पर पशुपालन विभाग उ0प्र0 के स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण होने तथा विश्व पशु चिकित्सा दिवस के शुभ अवसर पर देश के 18 पशुचिकित्साविदों एवं 07 सेवानिवृत्त वरिष्ठ पशुचिकित्साविद्ों को सम्मानित किया गया। इस संगोष्ठी में इण्डियन ब्रिगेडियर डी अहलावत, कमान्डेंट आर.वी.सी., बाबूगढ़, डा0 चरन सिंह यादव, निदेशक पशुपालन(प्रशासन एवं विकास), डा0 ए0 एन0 सिंह, निदेशक पशुपालन (रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र) ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस संगोष्ठी में देश भर के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों, शोधकर्ताओें तथा पशुचिकित्सा विज्ञान से संबंधित विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों के द्वारा प्रतिभाग किया गया।