Categorized | लखनऊ.

आंबेडकर के नाम पर राजनीति हो रही है, कभी उन्होंने भी इस तरह के आरक्षण की कल्पना नहीं की थी

Posted on 22 April 2018 by admin

अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद द्वारा भगवान श्री परशुराम व्याख्यान माला एवं ब्राह्मण महा सम्मेलन का आयोजन गणपति लॉन में किया गया। इस सम्मेलन में देश भर से आए सैकड़ों ब्राह्मणों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. रामेश्वर प्रसाद मिश्र पकंज पूर्व परामर्शदाता संस्कृति विभाग भारत सरकार ने कहा कि 1861 में अंग्रेजों ने जनगणना की थी कि क्योंकि उन्हें लगता था कि अछूत 70 से 80 फीसदी होंगी लेकिन जनगणना में सिर्फ 4 फीसदी जाति ही अछूत निकली। जिसके बाद ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के बीच जहर बोया गया। जो चार फीसदी जाति अछूत थी उसके हाथ का सिर्फ पानी पीना मना था छूना नहीं। आंबेडकर का प्रयास था कि सिर्फ अछूतों को आरक्षण दिया जाए लेकिन पहले सारी अनुसूचित जाति और फिर जनजाति को भी आरक्षण दिया गया।

उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के आरक्षण को छीनने का प्रयास किया जा रहा है यह गलत है। मंडल कमिश्न की रिपोर्ट पढ़ने पर आरक्षण की बात साफ हो जाती है। आरक्षण राजनीतिक सत्ता हड़पने की कोशिश है। जिस उद्देश्य के साथ शुरू हुआ था वह पूरा नहीं हुआ। आंबेडकर ने इस तरह के आरक्षण की कभी कल्पना नहीं की थी। उन्होंने लिखा था कि कोई भी किसी भी जाति का तिरस्कार करता है तो उसे सजा दी जाए लेकिन इसे इंदिरा गांधी ने अपनी सरकार में संशोधन करके सिर्फ हरिजन के लिए कर दिया।

सैंपल सर्वे करेंगे जिससे साबित करेंगे कि ब्राह्मणों का क्या हाल है। सैंपल सर्वे करके तथ्य देंगे। ब्राह्मण घरों में काम कर रहे हैं ओबीसी और एससी के ऐसे में सैंपल सर्वे से सब सामने आ सकेगा। दलित शब्द न तो संविधान में है न ही कभी था। अनुसूचित जाति के हैं दलित शब्द राजनीतिक शब्द है। 1989 में जातिगत जनगणना की मांग की थी। अगर जातिवाद जनगणना पद, आय, व्यापार और आर्थिक स्थिति पर किया जाए तो सब साफ हो जाएगा।

गुरुजी उत्तर प्रदेश में 22 फीसदी हैं और देश में 14 फीसदी हैं। एक ब्राह्मण सीजेआई हुआ वह पच नहीं रहा लोगों से। जो दलित पूरा देश बंद करा सकते हैं वह दलित कहां हैं? कहां से कमजोर है? चाहे कितने प्रयास हों ब्राह्मण कभी निचले पायदान पर नहीं आएगा।

पूर्व डीएसपी पं. शरदचंद्र पाण्डेय ने कहा कि ब्राह्मण एक जाति है जो संस्कारों का पुंज है। ब्राह्मणों में कोई भी बड़ा या छोटा नहीं है। सभी ब्राह्मणों का अपना महत्व है। ब्राह्मण हमेशा कर्मशील रहा है। जो होता है होने दो, यह पौरुषहीन कथन है, जो हम चाहेंगे वह होगा, इन शब्दों में ही जीवन है।

राजस्थान से आए नरेंद्र कुमार भारद्वाज ने कहा एक दशक से 1948 से पहले तक राजा कोई भी हो मार्गदर्शक हमेशा ब्राह्मण ही होते थे। आपस में स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं। जातियों में बांटा जा रहा है जबकि जाति नहीं हम गुणों के आधार पर बंटे हैं।

जुगुल किशोर तिवारी ने आशीर्वचन दिया। कार्यक्रम का संचालन अरविंद पाण्डेय ने किया। इस मौके पर अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव पं. विनय मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष पूर्व आईपीएस अशोक कुमार शुक्ला, डॉ. दिवाकर पाण्डेय, पं. साजन दीक्षित, परिवर्तन शुक्ला, रवि द्विवेदी, अरविंद पचौरी, रामचंद्र तिवारी आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

May 2024
M T W T F S S
« Sep    
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
-->









 Type in