सभी नागर निकायों में सेप्टेज उपचार के लिए एसटीपी की स्थापना की जायेगी-सुरेश खन्ना
सुरेंद्र अग्निहोत्री, लखनऊ: 22अप्रैल, 2018
उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य एवं नगर विकास मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि प्रदेश में सेप्टेज तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए शीघ्र ही एक कारगर कार्य योजना तैयार की जायेगी। इसके साथ सभी नागर निकायों मंे सेप्टेज उपचार सुविधा हेतु एसटीपी की स्थापना की जायेगी। इसके अलावा शहरों मंे पूर्ण स्वच्छता का उद्देश्य प्राप्त करने के लिए ठोस कचरे, सिवेज, सेप्टेज, जल निकासी के लिए समन्वित दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया जायेगा।
नगर विकास मंत्री ने यहां विधान भवन स्थिति कक्ष संख्या-80 में मलेशिया में प्रशिक्षण एवं अध्ययन यात्रा से लौटने के पश्चात सेप्टेज एवं अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में प्राप्त अनुभव को मीडिया से साझा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मलेशिया जाकर प्रशिक्षण एवं अध्ययन टूर में मुख्य रूप से मलेशिया सरकार द्वारा अपनायी गयी स्वच्छता के क्षेत्र में विभिन्न रणनीतियों को समझना था और उसके आधार पर उत्तर प्रदेश में कार्य योजना तैयार कर शहरों को साफ-सुथरा बनाये रखने का प्रयास करना है।
श्री खन्ना ने प्रमुख सचिव नगर विकास श्री मनोज कुमार सिंह एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 15 अप्रैल से 19 अप्रैल, 2018 तक प्राप्त किये गये अनुभव का विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि 1994 से पूर्व मलेशिया में सीवरेज सेवायें 144 स्थानीय प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र में थी, उस समय अधिकांश स्थानीय प्राधिकरणों में सीवरेज सुविधाओं का प्रबंधन करने की क्षमता और संसाधनों की कमी थी। वर्तमान मंे मलेशिया में आई0डब्लू0के0 द्वारा 184 स्थानीय प्राधिकरणों में से 87 सीवरेज सेवाओं का प्रबंधन किया जा रहा है।
श्री खन्ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मामले में मलेशिया के एसपीएएन जैसा कोई नियामक निकाय नहीं है जो सीवरेज और स्लज प्रबंधन के लिए एक मंच प्रदान करे। क्वालालमपुर 2015 में एएसपी टेक्नोलाॅजी पर स्काडा के साथ एक भूमिगत स्ट्रक्चर स्थापित किया गया, जो एसटीपी का अत्याधुनिक रूप है। मलेशिया में विगत दो दशकों के दौरान उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं, खासतौर से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में भी मलेशिया द्वारा सराहनीय कार्य किया गया है।
उत्तर प्रदेश में सेप्टेज एवं अपशिष्ट प्रबंधन के लिए समुचित निस्तारण, उपचार हेतु प्रदेश के शहरों द्वारा विश्वस्तर मानकों को अपनाने पर जोर दिया जायेगा क्योंकि गंदगी से विभिन्न बीमारियां पैदा होती हैं। इसके अलावा जनस्वास्थ्य के खतरों को ध्यान में रखते हुए सेप्टेज एवं मल अपशिष्ट प्रबंधन को सभी शहरों में प्राथमिकता के आधार पर अपनाया जायेगा।
नगर विकास मंत्री ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या एवं अन्य गतिविधियों के कारण प्रदूषण एवं भू-जल प्रदूषित हो रहा है, जिससे स्वास्थय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वभाविक है। उन्होंने कहा कि इस आसन्न खतरे को भंापते हुए एक बड़े पैमाने पर कार्य योजना बनाने की जरूरत है और उत्तर प्रदेश सरकार एक व्यापक नीति बनायेगी। उन्होंने कहा कि सड़कें, फूटपाथ एवं आस-पास का वातावरण साफ सुथरा रहे, इसके लिए जन सहयोग भी जरूरी है।
एक प्रश्न के उत्तर में नगर विकास मंत्री ने कहा कि शहरों को साफ-सुथरा बनाये रखने के लिए सारे विकल्पों पर विचार किया जायेगा और कार्य योजना बनाकर सेप्टिक एवं वेस्ट मैनेजमेंट के लिए कार्य योजना बनाकर प्रभावीढंग से क्रियान्वित की जायेगी। उन्होंने बताया कि दिसम्बर 2018 से पूर्व गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए बिना ट्रीटमेंट के कोई भी पानी गंगा में नहीं बहने दिया जायेगा। महाकुम्भ से पूर्व गंगा को प्रदूषणमुक्त एवं निर्मल बनाने का हर संभव प्रयास किया जायेगा। इस मौके पर प्रमुख सचिव नगर विकास श्री मनोज कुमार सिंह, अपर निदेशक स्थानीय निकाय श्री भारद्वाज एवं अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।