18 वर्ष सेवा के बाद भी आउट सोर्सिंग से भी तिहाई दिया जा रहा मानदेय।
लखनऊ दिनांक 16.04.2018। प्रदेश के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में लगभग 18 वर्ष से विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा देने हेतु अनुदेशको की भर्ती न होने पर मानदेय पर अतिथिवक्ताओं की पूर्ण प्रक्रिया के तहत भर्तियाँ की गई, उन्हे 100 रु0/-प्रतिदिन तथा अधिकतम 20 दिन अर्थात 2000 रु0/- प्रतिमाह के आधार पर मानदेय तय किया गया। जिसे राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा वर्ष 2014-15 में मुख्य सचिव स्तर पर रखने पर अब 300 रु0/-प्रतिदिन अधिकतम 6000 रु0/- कर दिया गया। इन्हें जब हटाने की बात आई तब कुछ कार्मिकों ने मा0 न्यायालय में वाद दायर किया, जिससे स्थगन आदेश प्राप्त हो गया, इस कारण विभाग और शासन इनके विरूद्ध उत्पीड़नात्मक रवैया अपनाने लगा। बिडम्बना इस बात की है, कि जहाँ एक ओर 18 वर्ष के अनुभवी अतिधिवक्ताओं को 6000 रु0/- मिल रहा है वहीं आज समान कार्य करने वाले आउट सोर्सिग कार्मिकों को 18000 रु0/-(अट्ठारा हजार) मिल रहा है।
इन कार्मिकों से नाराजगी इतनी है, कि कार्मिक अनुभाग-2 में 12 सितम्बर, 2016 के आदेश में सरकारी विभागों में कार्यरत दैनिक मजदूरी या संविदा पर कार्य कर रहे कर्मचारियों का विनियमितीकरण करने के आदेश भी हैं, और उन्हे अन्य विभागों में दिया भी गया है, इस प्रकार कहीं न कहीं कािर्मकों को शोषण और उच्च स्तर पर मनमानी दिखाई पड़ रही है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी महामंत्री शिवबरन ंिसंह यादव ने मा0 मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव उ0प्र0 को प्रकरण संज्ञानित कराया, उन्होंनेे वार्ता कर पत्रावली मंगाने के आदेश भी दिये, परन्तु फिर वहीं बात संज्ञान में आई कि उन्हें गलत तथ्यों के आधार पर संज्ञानित कराने का प्रयास किया जा रहा है। परिषद ने मांग की कि यदि बैठक में परिषद के प्रतिनिधि को रखा जाये, तब समस्या का समाधान निकल सकता है। अन्यथा मनमानी जारी रहेगी