(1) वर्तमान में ख़ासकर दिनंाक 2 अप्रैल के ‘‘भारत बन्द‘‘ की आड़ में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अनुयाइयों की अंधाधुंध गिरफ्तारी तथा उन पर अनेकों प्रकार की अन्य जुल्म-ज्यादती करने वाली बीजेपी व इनकी सरकारों को क्या कोई नैतिक हक बनता है कि वह इन वर्गों के मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती मनाये?
(2) यह विडम्बना नहीं तो और क्या है कि बीजेपी अब बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का नाम लेने की नाटकबाजी तो करती रहती हंैं, किन्तु उनके करोड़ों अनुयाइयों पर जातिवादी जुल्म-ज्यादती करने व इनके संवैधानिक व कानूनी अधिकारों को छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैै।
(3) परन्तु अब वे लोग अपनी सत्ता प्राप्ति के लिये काफी गम्भीर लगते हैं क्यांेकि वे जान गये हैं कि बीजेपी एण्ड कम्पनी के शासन में उन्हें गुलामी से मुक्ति तथा समता व न्याय का जीवन कभी भी नहीं मिल सकता है।
(4) बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयंती मनाने की नैतिकता प्राप्त करने के लिये श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को पहले सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने सम्बंधी संविधान संशोधन विधेयक को, जो राज्यसभा से पारित है, लोकसभा से भी पारित कराना चाहिये जो कि पिछले चार वर्षों से लम्बित पड़ा हुआ है, क्यों?: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी।
नई दिल्ली, 11 अप्रैल, 2018, दिन बुधवार: सरकारी भय व आतंक पैदा करने के बाद विभिन्न राज्यों में हजारों लोगों को इनके ‘‘भारत बन्द‘‘ की आड़ में गिरफ्तार करने तथा उन पर अनेकों प्रकार की अन्य जुल्म-ज्यादती करने वाली बीजेपी व इनकी सरकारों को क्या कोई नैतिक हक बनता है कि वह इन वर्गों के मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती मनाये?
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने कहा कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की असली पहचान उनके करोडों अनुयाइयों के दुःख-दर्द, सुख-चैन, उनकी जातिवाद से मुक्ति तथा उनके हित व कल्याण से पूरी तरह से जुड़ी हुई है जिसके लिये वे जीवन भर संघर्षरत रहे और जिसकी उपेक्षा व अनदेखी करके कोई भी सरकार सही मायने में ’’कल्याणकारी सरकार’’ हो ही नहीं सकती है। ऐसी सरकार हमेशा गरीब, मजदूर व जनविरोधी ही कहलायेगी क्योंकि वे ही बहुसंख्यक हैं और असली भारत हैं।
वोट के स्वार्थ की राजनीति करके सत्ता प्राप्त करने की कोशिश में धर्म का राजनीति में अनुचित इस्तेमाल, धार्मिक उन्माद व हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता फैलाना, आपस में नफरत व वैमन्सयता एवं जातिवादी बर्बर व्यवहार आदि बीजेपी सरकारों की ख़ास विशेषता रही है, परन्तु यह विडम्बना नहीं तो और क्या है कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का नाम तो सरकारी मजबूरीवश लेते हैं तथा इनके नाम पर अन्य और भी नाटकबाजी भी करते हैं, किन्तु उनके करोड़ों अनुयाइयों पर जातिवादी जुल्म-ज्यादती करने तथा इनके संवैधानिक व कानूनी अधिकारों को छीनने व छिनवाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। क्या इसे ही बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर व दलितों के प्रति प्रेम व स्नेह कहेंगे?
सुश्री मायावती जी ने कहा कि वैसे भी दलितों व पिछड़ों ने ऐसा सरकारी फर्जी व वक्ती प्रेम व पाखण्ड बहुत देखा है किन्तु अब वे संगठित होकर अपने कानूनी हक के लिये व खासकर जातिवादी अत्याचार-व्यवहार व भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करना सीख गये हैं और उसके लिये सरकारी अन्याय-अत्याचार के रुप में जेल तक जाकर कीमत चुका रहे हैं।
परन्तु श्री नरेन्द्र मोदी की बीजेपी सरकार को यह समझ लेना चाहिये कि उनके संघर्ष व आकांक्षाओं को अब और ज्यादा दिनों तक दबाया व कुचला नहीं जा सकता है। अब वे लोग अपनी सत्ता को पाने के लिये काफी गम्भीर हैं क्यांेकि वे अच्छी तरह से जान गये हैं कि बीजेपी एण्ड कम्पनी के शासन में उन्हें गुलामी से मुक्ति तथा समता व न्याय का जीवन कभी भी नहीं मिल सकता है बल्कि वे सत्ताधारी मुटठीभर लोग इन बहुसंख्यक तबकों को हमेशा की तरह लाचार व गुलाम बनाये रखने की हीन, जातिवादी व सामन्ती मानसिकता त्यागने वाले नहीं हैं।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि खासकर उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश आदि बीजेपी शासित राज्यों में सरकारी भय, आतंक व गिरफ्तारी का ऐसा ताण्डव मचा हुआ है कि इस बार परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती भी लोग खुलकर मनाने के प्रति आशंकित है, जिसका तत्काल समाधान ज़रुरी है, ऐसी बी.एस.पी. की माँग हैं।
इसके अलावा बीजेपी व केन्द्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को दलितों की कोई भी बात करने व इनके गांवों में जाकर रात बिताने का ढोंग आदि करने के पहले इनको अपनी नेक नीयती व सत्यता का थोड़ा प्रमाण अवश्य देना चाहिये और इस क्रम में सबसे पहले दलित कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण से सम्बन्धित संविधान संशोधन विधेयक को, जो राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से पारित करना चाहिये जो काम श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में लगभग चार वर्षों से लम्बित पड़ा हुआ है। साथ ही एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून, 1989 को उसके मूल रुप में बहाल करने की तत्काल जरुरत है। केन्द्र सरकार अध्यादेश लाकर भी ऐसा कर सकती है। तभी इन्हें आगे चलकर परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की पवित्र जयन्ती को मनाने की नैतिकता प्राप्त हो पायेगी।
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