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सार्वजनिक तौर पर समाज को अपशब्द कहने वाली और दलितों के शोषण को शह देने वाली मायावती को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए - डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय

Posted on 07 April 2018 by admin

-मायावती जी के इशारे पर जब उनकी पार्टी के लोग सार्वजनिक रूप से एक महिला और उसकी बेटी को पेश करने की बात कर रहे है। तब उनको सभ्यता व संस्कार क्यों नहीं याद आया?
- जातिगत विद्वेष फैलाकर समाज के विभिन्न वर्गों को अपशब्द कहने वाली मायावती जी को अपनी हिटलरशाही व अभद्र व्यवहार पुण्य क्यों लगता है व भाजपा की लोकतंत्र को मजबूत व दलितों, आम जनता का सम्मान बढ़ाने वाली बातें पाप क्यों लगती हैं?
- पश्चिम बंगाल व केरल में बड़े पैमाने पर दलितों की हत्याओं पर मौन मायावती को दलित समाज ही जवाब देगा
- केवल भाजपा ही ऐसा राजनीतिक दल है, जो पश्चिम बंगाल व केरल के दलितों के लिए सडक से लेकर विधानसभा व संसद तक संघर्ष कर रही है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान और सबका साथ सबका विकास की नीति एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी द्वारा दलितों, गरीबों को राजनैतिक व अधिकार दिलाने के कार्यों से घबराए और बौखलाए विपक्ष के षडयंत्रों का उत्तर जनता देगी।
लखनऊ 07 अप्रैल 2018, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि ‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ का नारा लगाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती असंसदीय परपरंपराओं व कृत्य के कारण जानी जाती हैं। मायावती जी जब समाज को बांटने व अपमानित करने वाले ये बोल बोलती थीं तो उन्हें असंसदीय, अपमानजनक व अशिष्ट व्यवहार का ध्यान क्यों नहीं रहता था? मायावती जी के इशारे पर जब उनकी पार्टी के लोग सार्वजनिक रूप से एक महिला और उसकी बेटी का पेश करने को कह रहे थे, तब उनको रोकने के बजाय शह दे रही थीं। तब उनको सभ्यता व संस्कार क्यों नहीं याद आया? डॉ. पांडेय ने पूछा कि मायावती जी को अपनी अशिष्ट, भ्रष्टाचार व दलितों का उत्पीडन पाप और भाजपा के दलित व गरीब हितैषी कार्यक्रम, योजनाएं, कार्य व भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पाप क्यों लगता है?
डॉ. पांडेय ने कहा कि पार्टी का टिकट बेचने के आरोपों के दाग वाली मायावती ने सत्ता हासिल करने के लिए दलितों व गरीबों के साथ ही छल किया। अकूत धन इकट्ठा करने के लिए मायावती ने अपनी पार्टी में दलितों का ही हक मारा और अपनी ही पार्टी के दलित व पिछड़े नेताओं को अपमानित करते हुए बाहर जाने पर विवश किया। उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी के बुजुर्ग व वरिष्ठ दलित नेताओं को जमीन पर बिठाकर और हिटलर की तरह तानाशाही असभ्य, अलोकतांत्रिक व भ्रष्ट व्यवहार करने वाली मायावती किस मुंह से सवाल उठा रही हैं? भ्रष्टाचार, हिटलरशाही व आम जनता, गरीबों का शोषण करने वाली मायावती जी को सभ्यता, संसदीय परंपरा और ईमानदारी की परिभाषा सीखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि ये वही मायावती हैं, जो दलितों में भेद करती हैं। पश्चिम बंगाल व केरल में बड़े पैमाने पर दलितों की हत्याएं हो रही हैं। पर दलितों को वोट बैंक समझने वाली मायावती ने इन दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आज तक एक शब्द भी नहीं बोला है। केवल भाजपा ही ऐसा राजनीतिक दल है, जो इन दलितों के साथ न केवल खड़ा है, बल्कि उनके लिए सडक से लेकर विधानसभा व संसद तक संघर्ष कर रहा है। पूरे देश की जनता और सर्व समाज के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी के दलितों, पिछड़ों व आम लोगों को राजनैतिक अधिकार दिलाकर लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के प्रयासों में न केवल विश्वास करते हैं, बल्कि अपार समर्थन दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान और सबका साथ सबका विकास की नीति से घबराए और बौखलाए विपक्ष के षडयंत्रों का उत्तर जनता देगी।
उन्होंने कहा कि सपा, बसपा व कांग्रेस ने अपने राज में दलितों को असहाय व दीनहीन बना डाला ताकि वोट बैंक के लिए उन्हें भीड़ की तरह हांका जा सके। मायावती को जवाब देना चाहिए कि जहां आम दलित और गरीब की आर्थिक हालत उनके समय में खराब हुई, वहीं उनके व उनके भाई के पास हजारों करोड़ की दौलत कहां से आ गई? जिस धन पर दलितों का हक था, उस पर उन्होंने और उनके भाई ने अपनी व्यक्गित संपत्ति समझकर कब्जा कैसे कर लिया? जिन टिकटों पर दलितों व गरीबों का हक था, उन टिकटों को गैर दलित धन्ना सेठों को देकर मायावती जी ने दलितों को राजनैतिक अधिकार देने से वंचित क्यों किया?

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