लखनऊः 30 मार्च, 2018
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने उत्तर प्रदेश के समस्त अभिलेखों में भारतीय संविधान के शिल्पी डाॅ0 भीमराव रामजी आंबेडकर के सही नाम अंकित करने के संबंध में जारी शासनादेश को उपयुक्त बताते हुए सरकार के निर्णय का स्वागत किया है। ज्ञातव्य है कि सामान्य प्रशासन विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 28 मार्च, 2018 को शासनादेश जारी कर भारत के संविधान की अष्टम अनुसूची (अनुच्छेद-344(1) और-351) भाषाएं में अंकित नाम का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश से संबंधित समस्त अभिलेखों में ‘डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर’ का नाम संशोधित कर ‘डाॅ0 भीमराव रामजी आंबेडकर’ करने का निर्णय लिया गया है। शासनादेश की प्रति समस्त विभागाध्यक्ष उत्तर प्रदेश शासन एवं निबंधक उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं लखनऊ को भी प्रेषित की गयी है।
राज्यपाल ने बताया कि कुलाधिपति के रूप में उन्होंने पाया कि आगरा विश्वविद्यालय का नाम ‘डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा’ अंकित है जबकि ‘भारत का संविधान’ की मूल प्रतिलिपि (हिन्दी संस्करण) के पृष्ठ 254 में डाॅ0 आंबेडकर ने हस्ताक्षर करते हुए ‘डाॅ0 भीमराव रामजी आंबेडकर’ लिखा है। राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में उनका नाम हिन्दी में ‘डाक्टर भीमराव अम्बेडकर’ तथा अंग्रेजी में ‘Doctor Bhim Rao Ambedkar’ लिखा है जो कि उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि डाक्टर के स्थान पर ‘डाॅ0’ एवं अंग्रेजी में ‘Dr.’ लिखना पर्याप्त होगा तथा भीम राव दो शब्द नहीं है बल्कि ‘भीमराव’ एक शब्द है। इसी प्रकार ‘अम्बेडकर’ के स्थान पर ‘आंबेडकर’ लिखना उचित होगा। अंग्रेजी में डाॅ0 आंबेडकर अपना नाम ‘Dr. B.R. Ambedkar’ लिखते थे।
राज्यपाल ने बताया कि डाॅ0 आंबेडकर का सही नाम लिखे जाने के संबंध में उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृह मंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं सुश्री मायावती को भी पत्र प्रेषित किया था। आगरा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह 5 दिसम्बर, 2017 में राष्ट्रपति की उपस्थिति में डाॅ0 भीमराव आंबेडकर के नाम से जुड़े विश्वविद्यालय के नाम में उचित संशोधन की उन्होंने बात कही थी। उन्होंने इस संबंध में 11 दिसम्बर, 2017 को राष्ट्रपति से भेंट की तथा नई दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करके लोगों से डाॅ0 आंबेडकर के सही नाम का प्रयोग करने हेतु आह्वान भी किया। उनके सुझाव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उचित पाया तथा राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों से राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में इस आशय के संशोधन का विधेयक 22 दिसम्बर, 2017 को सभी राजनैतिक दलों की सर्वसम्मति से पारित हुआ जिसके पश्चात् आगरा विश्वविद्यालय का नाम ‘डाॅ0 भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा’ हुआ।
राज्यपाल ने यह भी बताया कि आंबेडकर महासभा द्वारा 6 दिसम्बर, 2017 को आयोजित बाबा साहब डाॅ0 भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि के कार्यक्रम, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे, उन्होंने बाबा साहब के सही नाम की चर्चा की थी। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में बाबा साहब के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करते हुए सभी सरकारी कार्यालयों में बाबा साहब का चित्र लगाने की घोषणा की थी।
राज्यपाल ने 29 और 30 मार्च के समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुए कहा कि 1989 में जब वे पहली बार सांसद निर्वाचित हुए थे तो उन्होंने 28 दिसम्बर, 1989 को लोकसभा के प्रथम अधिवेशन में अतारांकित प्रश्न के रूप में जानकारी चाही थी कि (क) क्या सरकार ने वर्ष 1990 में डाॅ0 बी0आर0 आंबेडकर की जन्म शताब्दी के अवसर पर कोई विशेष डाक टिकट जारी करने का निर्णय लिया है और (ख) यदि हाँ तो सरकार का इस संबंध में क्या समयबद्ध कार्यवाही करने का विचार है। तत्समय सरकार के संचार मंत्री के0पी0 उन्नीकृष्णन ने लोकसभा में जवाब दिया था कि (क) नहीं, डाॅ0 बी0आर0 आंबेडकर के सम्मान में 15 पैसे और 20 पैसे मूल्य वाले दो डाक टिकट क्रमशः 14/4/1966 और 14/4/1973 को जारी किए जा चुके हैं, (ख) फिलहाल कोई अन्य डाक टिकट जारी करने का प्रस्ताव नहीं है। सरकार के इस जवाब के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह से पत्र लिखकर और मुलाकात कर मांग की थी कि जिस प्रकार लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी एवं पं0 जवाहर लाल नेहरू की जन्मशताब्दी मनायी गयी उसी प्रकार डाॅ0 आंबेडकर की जन्मशताब्दी मनायी जानी चाहिए। तत्पश्चात् राजनैतिक कारणों से 10 नवम्बर, 1990 को विश्वनाथ प्रताप सिंह ने त्याग पत्र दिया और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बनें। श्री राम नाईक ने उनसे इस विषय के संबंध में बात की, परिणामतः भारत सरकार की ओर से डाॅ0 आंबेडकर की जन्मशताब्दी के अवसर पर डाक टिकट 1991 में जारी हुआ। उस टिकट पर डाॅ0 आंबेडकर का नाम हिन्दी में ‘डाॅ0 भीमराव रामजी आंबेडकर’ और अंग्रेजी में ‘Dr. B.R. Ambedkar’ लिखा है।