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बसपा सुप्रीमों संकीर्ण मानसिकता व सोच से ग्रस्त - डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय

Posted on 26 March 2018 by admin

दलित वर्ग का सामान्य व्यक्ति जिनकी कोठी में कदम नहीं रख सकता था, उसके मुंह से बाबा साहब के समतामूलक समाज की बात बड़ी हास्यापद लगती है

लखनऊ 26 मार्च 2018, भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि बसपा सुप्रीमों का चिन्तन अत्यन्त संकीर्ण सोच के सिन्ड्रोम से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि बसपा अपने उद्भव काल से ही संकीर्ण सोच की मानसिकता से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि मायावती जी के मुॅह से बाबा साहब की सोच के समतामूलक समाज की बात अच्छी नहीं लगती। मायावती से मुख्यमंत्री के रूप मंे उन्हीं के दल के सांसद, विधायकों को मिलना समभव नहीं था। नंगे पैर ही उनके आवास में प्रवेश किया जा सकता था तथा उनके सामने उन्हीं के दल का बड़ा से बड़ा नेता कुर्सी पर नहीं बैठ सकता था। ऐसे तानाशाही सोच की बसपा सुप्रीमों के मुख से समता व मानवतावादी समाज संरचना के लिए बाबा साहब अम्बेडकर की बात किसी को अच्छी नहीं लगती है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि तानाशाही सोच व व्यवहार की बसपा सुप्रीमों ने बाबा साहब तथा काशीराम जी के नाम का प्रयोग केवल वोटों के व्यापार के लिए किया, जो जग जाहिर है। उन्होंने कहा कि जातिवादी समाज में भेवभाव तथा समाज को टुकड़ो-टुकड़ो में बांटने की नीति बसपा की रही है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नीति पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी की अन्त्योदय की है। जिस पर भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ-सबका विकास का संकल्प लेकर कार्य कर रहे गरीबों, दलितो, पिछड़ो के उत्थान की अनेक कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित कर भय-भूख व भ्रष्टाचार मुक्त नए भारत के निर्माण के लिए कार्य कर रहे है।
प्रदेश अध्यक्ष डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि परमपूज्य बाबा साहेब अम्बेडकर का दर्शन ही सबका साथ-सबका विकास है। डा0 अम्बेडकर दलित, पिछड़े, शोषित वर्ग की आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समानता और राजनीतिक सहभागिता के पक्षधर थे। मा0 मोदी जी अम्बेडकर जी की प्रेरणा से ही हर योजना से गरीब कल्याण के अभियान को आगे बढ़ा रहे है। मायावती जी यदि अगर मुद्रायोजना, स्टार्टअप, स्टैण्डअप, जनधन खाता, प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला, सौभाग्य योजनाओं के लाभार्थियों की सूची देखेंगी तो दलित, पिछड़ों की समृद्धि से आॅखे चुंधियां जाएगी। दरअसल मायावती जी का उद्देश्य दलित, पिछड़ों को वोटबैंक बनाकर सिर्फ अपनी तिजोरी भरने का काम करती रही। मायावती चार बार मुख्यमंत्री बनने के दौरान अपनों कोई एक काम बताएं जिससे दलित व पिछड़ों को लाभ मिला है। आज देश नहीं पूरे विश्व ने नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व को स्वीकार किया है। मायावती को एक गरीब, पिछड़े समाज से आए व्यक्ति का देश का नेतृत्व करना हजम नहीं हो रहा है।

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