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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की तिथि से ही शुरू होता है नववर्ष-मिथिलेश नारायण

Posted on 24 March 2018 by admin

लखनऊ, 24 मार्च(हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के बौद्धिक प्रमुख मिथिलेश नारायण ने कहा कि व्यक्ति से चैतन्यता तक प्राणी, पेड़, पक्षी और सृष्टि तक सभी नववर्ष मनाते हैं, तभी नववर्ष की शुरूआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की तिथि से होती है।

लखनऊ विश्वविद्यालय में शनिवार को आयोजित नववर्ष उत्सव कार्यक्रम में मुख्य वक्ता रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश के बौद्धिक प्रमुख ​मिथिलेश नारायण ने अपने उद्बोधन की शुरूआत एक उदाहरण से की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मछली को पानी से निकाल कर पानी में रहने का महत्व नहीं बताया जा सकता है, उसी प्रकार से भारत में रहने वाले लोगों को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाले नववर्ष को बताना हास्यास्पद है।
बौद्धिक प्रमुख मिथिलेश नारायण ने कहा कि नववर्ष मनाने की परम्परा हमारे देश में अनगिनत वर्षो से रही है। संघ तो पिछले 93 वर्षो से इसे मना रहा है। कुछ लोग हमारे देश में ठण्ड के मौसम में पड़ने वाले नववर्ष को भी मनाते हैं। उन्हीं की तरह रहते हैं, जन्मदिन मनाते हैं और उन्हीं की भांति नृत्य करते हैं। अपने देश को और देशों के मुकाबले कमजोर मानते हैं। ये मार्क्स और मैकाले को मानने वाले भारत में बाधाएं प्रस्तुत करते हैं।

श्री नारायण ने कहा कि मार्क्स और मैकाले ने अपने देशों को सही जानकारी दी और भारत में आकर भ्रम फैलाया। आज उनको मानने वाले भम्र फैला रहे हैं। कभी असहिष्णुता की बात करते हैं और कभी विश्व पटल पर ग्लोबलाइजेशन की बात कही जाती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि धर्म को आधार बनाकर ही चलें। देश के लिए जीने की संकल्पना रखें। मंदिर में जाने के बाद आज विद्यार्थी अपने लिए बहुत कुछ मांगता है, कभी देश के लिए कुछ मांगा है क्या? पश्चिम बंगाल में नरेन्द्र की मां ने उनसे धन प्राप्त करने के लिए देवी आराधना करने वाले बाबा से मिलने को कहा। जब नरेन्द्र ने अपने गुरू से भेंटकर मां की पूरी बात सुनायी और तभी उनके गुरू ने उनसे गुफा में जाकर देवी आराधना करने का मार्ग दिखाया। जब नरेन्द्र गये और जब लौटे तो बाबा ने उनसे पूछा क्या देवी मां से धन प्राप्ति को कहा, नरेन्द्र ने उत्तर में कहा नहीं। मैंने तो देवी मां से ज्ञान मांगा। बाबा ने पुन: भेजा और फिर वे लौटे तो इस बार आध्यात्म मांगना बताया और अंतिम में वैराग्य।
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र ने अपने गुरू से देवी मां में दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती और भारत मां को देखने की बात कही थी। यहीं नरेन्द्र बाद में स्वामी विवेकानन्द बने। स्वामी विवेकानन्द ने विश्व को भारत के बारे में बताया, उन्होंने ही विदेश में एक महिला का भ्रम समाप्त करते हुए बताया था कि भारत में मां अपने बच्चों को किस प्रकार से सहेज कर रखती हैं।

अध्यक्षता कर रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति डा.एसपी सिंह ने कहा कि देश की परम्परा को निर्वहन करने के लिए आज हम सभी यहां जुटे हैं और अपने नववर्ष को मनाया जा रहा है। यह नववर्ष हमारी संस्कृति की पहचान है और इसे नौजवानों को मनाना चाहिए। कार्यक्रम में विशेष रूप से विज्ञान भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री श्रेयांश, नगर कार्यवाह अखण्ड, नगर बौद्धिक प्रमुख शरद बाजपेयी समेत संघ के विभिन्न विस्तारक और लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यापकगण मौजूद रहे।

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