Categorized | लखनऊ.

स्थापत्य कला में प्रकाश के महत्व पर एमिटी में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

Posted on 21 March 2018 by admin

लखनऊ 21 मार्च 2018- वास्तु कला से जुड़े विद्यार्थियों को वास्तु कला में प्रकाश के महत्व और उसके उपयोगों से परिचित कराने एवं इस दिशा में हुए प्रयोगों पर चर्चा करने के उद्देश्य से एमिटी स्कूल आॅफ आर्किटेक्चर एण्ड प्लानिंग एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

लाइट इन आर्किटेक्चर विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी का प्रसिद्ध वास्तुविद विनय कुमार पाठक और वास्तुविद् डी.सी. थापा ने बतौर मुख्य अतिथि एवं विशेष अतिथि दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर आर्किटेक्ट प्रोफेसर आलोक रंजन, आर्किटेक्ट डी.एस. भुज, आर्किटेक्ट मुनीश पंडित, आर्किटेक्ट स्मृति रस्तोगी और प्रोफेसर रजत कांत भी शामिल हुए।

एमिटी स्कूल आॅफ आर्किटेक्चर एण्ड प्लानिंग के निदेशक प्रोफेसर जगबीर सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

संगोष्ठी में बोलते हुए प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहा कि प्राचीन काल से ही वास्तु कला में प्रकाश को लेकर प्रयोग किए जाते रहे हैं। प्रकाश हमें मूर्त स्थापत्य कृतियों के आकार और बनावट को समझने और देखने के लिए प्रोत्साहित करता है। प्रकाश के जरिए ही हम स्थान को समझ पाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकाश के उपयोग चाहे वह प्राकृतिक प्रकाश हो या कृत्रिम रोशनी, दोनों ही निर्माण की आकृति में नया आयाम और शांति प्रदान करने वाला प्रभाव उत्पन्न करता है। यह वास्तु निर्माणों में जीवंतता भरने मंे भी सहायक होता है।

प्रकाश के व्यवहार और भूमिका पर चर्चा करते हुए आर्किटेक्ट डी.सी. थापा ने कहा कि वास्तु कला में प्रकाश एक अभिन्न हिस्सा है क्योंकि बिना प्रकाश के हम स्थापत्यकला को देखने की कल्पना भी नहीं कर सकते। इसी विषय पर प्रोफेसर आलोक रंजन ने कहा कि बिना रोशनी के कुछ भी संभव नहीं है। उन्होंने विद्यार्थियों को अपनी सोच वैश्विक रखते हुए स्थानीय तौर पर काम करने की सलाह दी। आर्किटेक्ट स्मृति रस्तोगी ने कहा कि प्रकाश किसी भी स्थापत्य निर्माण के डिजाइन और स्थान निधारण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। स्थापत्य कला में वास्तुविद की भूमिका पर चर्चा करते हुए आर्किटेक्ट रजत कांत ने कहा कि वास्तुविद ही वह कड़ी है जो स्थापत्य कला में स्थान, समय और प्रकाश के साथ खेलते हुए निर्माण कार्य को प्रभावित करता है।

इस अवसर पर प्रकाश और अंधेरे के बारे में बात करते हुए वास्तुविद् ऋतु गुलाटी ने कहा कि अगर हम प्रकाश को सम्यक रूप में देखना चाहते हैं तो हमें बहुत सारे अंधेरे की जरूरत होगी।

संगोष्ठी के दौरान एमिटी स्कूल आॅफ आर्किटेक्चर एण्ड प्लानिंग के प्रवक्तागणांे सहित बड़ी संख्या मंे छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया और वास्तु कला में प्रकाश के प्रयोग के बारे में जानकारी प्राप्त की।

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

April 2025
M T W T F S S
« Sep    
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930  
-->









 Type in