लखनऊ 14 मार्च, 2018
प्रदेश में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति (माइक्रो इरीगेशन) के माध्यम से पौधों की जड़ों को सीधे विभिन्न प्रकार के संयन्त्रों, पाइप तकनीकों को अपनाकर पौधों की आयु, आवश्यकता के अनुसार जल उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे उत्पादन में गुणवत्ता तो आयेगी ही साथ ही बहुमूल्य जल तथा ऊर्जा की भी बचत की जा सकेगी।
‘‘पर ड्राप-मोर क्राप’’ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का एक उपघटक है, जो कि प्रदेश में कृषकों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए उद्यान निदेशक एस.पी. जोशी ने बताया कि इस योजना को अपनाकर कृषक लगभग 35 से 40 प्रतिशत पानी की बचत कर रहे हैं। वही दूसरी ओर पानी देने के लिए मेड़ व नालियों को बनाने में खर्च हो रहे श्रम एवं समय की भी बचत होती है। इसके अलावा उबड़-खाबड़ जमीन में भी इस विधि से सिंचाई करने में कोई असुविधा नहीं होती है।
इस विधि का उपयोग फलों के बागों जैसे-आम, अमरूद, आँवला, नीबू, बेर, बेल व पपीता तथा केला के स्थापित बागों अथवा नवीन रोपित बागों एवं गन्ना की फसल में कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कद्दूवर्गीय सब्जियों समेत मौसमी सब्जियों एवं सुगन्धित पुष्पों व औषधियों पौधों के लिए भी यह विधि उपयोगी है। स्प्रिंकलर सिंचाई से मटर, आलू, गाजर तथा व्यावसायिक पत्तेदार सब्जियों में गुणवत्तायुक्त उत्पादन हो रहा है। उद्यान निदेशक ने किसान भाइयों व बागवानों को सलाह दी है कि इस प्रकार की पद्धति को अपनाकर कृषक अधिकाधिक लाभ उठायें।