(1) करोड़ों-अरबों रुपया खर्च करके ’इन्वेस्टर्स समिट’ कराना वर्तमान में एक ऐसा फैशन हो गया है जिसके नाम पर बीजेपी सरकारें सरकारी धन पानी की तरह बहाती हैं जबकि जनता के इसी गाढ़ी कमाई के धन से ग़रीबों, किसानों व बेरोज़गार युवाओं को काफी राहत व जनता के असली हित व कल्याण के अनेक महत्त्वपूर्ण काम तत्काल किये जा सकते थे।
(2) ’इन्वेस्टर्स समिट’ महंगाई व बेरोज़गारी आदि की ज़बर्दस्त जनसमस्याओं व सरकार की अन्य विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटने का एक माध्यम बनने के साथ-साथ बीजेपी की सरकारों द्वारा यह खाओ-पकाओ का एक नया साधन भी बन गया लगता है।
(3) अगर उत्तर प्रदेश में अपराध-नियंत्रण व क़ानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी होगी तभी यहाँ उद्योग-धंधे आयेंगे परन्तु वर्तमान हालात में तो ऐसा नहीं लगता है कि प्राइवेट निवेशक यहाँ आने में कोई ख़ास रूचि रखते हैं।
(4) इन्वेस्टर्स समिट के लिये निवेशकों को आमंत्रित करने से पहले क़ानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करके उत्तर प्रदेश में सुरक्षा का अच्छा वातावरण पैदा करे।
(5) चाहे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार हो या उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार इन पर जनता का अब भरोसा नहीं के बराबर ही रह गया है क्योंकि इनकी वादाखिलाफियों की सूची काफी लम्बी होती चली जा रही है। बीजेपी नेताओं की बातों व वायदों पर अब जनता कैसे भरोसा करे?: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी।
नई दिल्ली, 23 फरवरी 2018: ’इन्वेस्टर्स समिट’ अर्थात उद्योगपतियों का सम्मेलन आयोजित कराना वर्तमान में एक ऐसा फैशन हो गया है जिसके नाम पर ख़ासकर बीजेपी सरकारें सरकारी धन पानी की तरह बहाती हैं जबकि जनता के इसी गाढ़ी कमाई के धन से ग़़रीबों, मजदूरों व बेरोजगार युवाओं को बड़ी राहत व जनता के असली हित व कल्याण के अनेक महत्त्वपूर्ण काम तत्काल किये जा सकते थे। साथ ही इससे लाखों किसानों के सर से कर्ज की मुक्ति मिल सकती थी।
इसके अलावा हाल के अनुभवों को देखकर जनता को यह लगने लगा है कि वास्तव में ’इन्वेस्टर्स समिट’ लोगों को काफी ज्यादा सताने वाली महंगाई व बेरोज़गारी आदि की जबर्दस्त जनसमस्याओं व सरकार की अपनी अन्य घोर विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटने का एक माध्यम बनने के साथ-साथ बीजेपी की सरकारों द्वारा यह खाओ-पकाओ का एक अच्छा साधन भी बन गया लगता है।
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुये ’इन्वेस्टर्स समिट’ पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि महाराष्ट्र आदि कई अन्य राज्यों के बाद अब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार पर भी ’इन्वेस्टर्स समिट’ का बुख़ार चढ़ गया है और इसे ही सबसे बड़ी जनसेवा व विकट जनससमयाओं का हल मानकर पूरी सरकार ही इसमें काफी व्यस्त रही है तथा सरकारी धन को भी पानी की तरह इसके प्रचार व प्रसार पर बेहिसाब-किताब ख़र्च किया गया है जबकि यह एक सर्वव्यापी सच है कि जिस भी देश व प्रदेश में अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था की हालत अच्छी नहीं होती है वहाँ कोई भी उद्योगपति उद्योग-धंधा लगाना घाटे का सौदा समझता है।
अगर प्रदेश में अपराध नियंत्रण व क़ानून-व्यवस्था की स्थिति सही होगी तभी यहाँ उद्योग-धंधे आयेंगे परन्तु वर्तमान हालात में तो ऐसा नहीं लगता है कि प्राइवेट निवेशक यहाँ आने में कोई खास रूचि लेंगे। इसलिये इस बात की पूरी आशंका है कि जनता की गाढ़ी कमाई का अरबों रूपया खर्च करके हुआ यह ’इन्वेस्टर्स समिट’ राजनीतिक अखाड़ेबाजी के साथ-साथ ’’शो बाजी’’ ही मात्र बनकर रह जायेगा तथा सरकार कई लाख करोड़ रूपये के एम.ओ.यू. ;डमउवतंदकनउ व िन्दकमतेजंदकपदहद्ध के हस्ताक्षर होने का ढिंढोरा पीटकर जनता को फिर से वरग़लाने का प्रयास कर रही है क्योंकि एम.ओ.यू. की हैसियत अब एक सादे काग़ज से ज़्यादा कुछ भी नहीं रह गया है। एक उद्योगपति बीजेपी नेताओं को खुश करने के लिये आखिर एक साथ कितने बीजेपी- शासित राज्य में कारखाने लगायेंगा?
इसीलिए उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार को अन्य बीजेपी सरकारों का अंध अनुसरण करके कई सौ करोड़ों रूपये फिजूल में खर्च करके ’इन्वेस्टर्स समिट’ करने से पहले प्रदेश की कानून-व्यवस्था को खूब चुस्त-दुरूस्त करके उत्तर प्रदेश में सुरक्षा का अच्छा वातावरण पैदा करना चाहिये था। वैसे भी क्या केवल सैकड़ों पुलिस इन्काउन्टरों के बल पर कानून-व्यवस्था की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है?
इसके साथ ही ज्यादातर स्वयं बीजेपी के लोगों द्वारा ही उत्पन्न किये जा रहे जंगलराज व माफियाराज को समाप्त करने की ईमानदार कोशिश करने के क्रम में सख्त कानूनी कदम उठाये, ना कि अपने मंत्री व नेताओं पर से आपराधिक मुकदमों को वापस लेने का गलत व गै़र-कानूनी प्रयास लगातार करती रहे। बीजेपी सरकार द्वारा अपने नेताओं पर से मुकदमा वापसी की नीति से उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की बदतर स्थिति सुधरने वाला नहीं है बल्कि इससे और ज्यादा बिगडे़गा ही।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि बेहतर कानून-व्यवस्था के माध्यम से आमजनता के जान-माल व मज़हब की सुरक्षा करना सरकार की पहली संवैधानिक ज़िम्मेदारी होती है, जिसमें बीजेपी की सरकारें बुरी तरह से विफल साबित हो रही हंै क्योंकि इनकी नीयत व नीति दोनों में ही नफरत, हिंसा, साम्प्रदायिकता व जातिवाद की ज़हर निहित है। इन अभिशापों आदि से मुक्त होने के कारण ही बी.एस.पी. की चार बार यहाँ उत्तर प्रदेश में रही सरकार अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था तथा जनहित व विकास के मामले में अति-उत्तम सरकार रही और जिस दौरान पूरा उत्तर प्रदेश हिंसा, जातिवाद व दंगा-मुक्त प्रदेश बना हुआ था।
उन्होंने कहा कि चाहे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार हो या प्रदेश की बीजेपी सरकार इन पर उत्तर प्रदेश की जनता का अब भरोसा नहीं के बराबर ही रह गया लगता है क्योंकि इनकी वादाखिलाफियों की सूची काफी लम्बी होती चली जा रही है। ग़रीब परिवार के लोगों को विदेशों में जमा कालाधन को वापस लाकर 15 से 20 लाख रुपये देने का सन् 2014 के लोकसभा आमचुनाव का श्री नरेन्द्र मोदी का लुभावना वायदा अब भी लोगों के मन-मस्तिष्क में कुरेदता रहता है जबकि इनकी सरकार का समय समाप्त होकर अब नया लोकसभा का आमचुनाव आने वाला है। देश व प्रदेश की जनता बीजेपी नेताओं की बातों व वायदों पर अब कैसे भरोसा कर सकती है?
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