फ्रूट राइपनिंग चैम्बर में पके फल होते हैं स्वास्थ्यवर्धक एवं गुणवत्तायुक्त
लखनऊ 20 फरवरी, 2018
बाजार में स्थानीय तकनीकों के आधार पर मुख्यतः आम, केला, पपीता इत्यादि को कार्बाइड के माध्यम से पकाया जाता है। इससे पके फल हमारे शरीर को क्षति पहुँचाते हैं तथा इसका प्रयोग शरीर में अनेक बीमारियों को जन्म देता है। अतः यह मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। फलों को पकाने के लिए कार्बाइड का प्रयोग करने पर निषेध है। उपभोक्ता को ऐसे फल उपलब्ध होने चाहिए जो बिना कार्बाइड के प्रयोग के पकाये गये हों। फलों को पकाने के लिए फ्रूट राइपनिंग चैम्बर काफी उपयोगी है। फलों में एथलीन नामक तत्व पाया जाता है, जो कि फलों को प्राकृतिक रूप में पकाने में सहायक होता है। इससे फल पेड़ पर ही पकते हैं। प्रकृति की इसी देन का उपयोग फ्रूट राइपनिंग चैम्बर में किया जाता है।
प्रदेश के उद्यान निदेशक श्री एस.पी. जोशी ने इस संबंध में फल उत्पादकों को सलाह देते हुए कहा कि फलों को पूर्ण परिपक्व होने किन्तु पकने से पहले से तोड़ लिया जाता है। फिर उन्हें फ्रूट राइपनिंग चैम्बर में रखा जाता है। फ्रूट राइपनिंग चैम्बर में उचित तापक्रम तथा एथीलीन की संतुलित मात्रा की उपस्थिति में फलों को रखकर बन्द कर दिया जाता है। तीन से पांच दिन के अन्दर फल पककर तैयार हो जाते हैं, जिन्हे कक्ष खोलकर निकाल लिया जाता है। अब ये फल मानवीय उपभोग के लिए उपयुक्त होते हैं, क्योंकि ये स्वास्थ्यवर्धक होते हैं तथा इनमें स्वास्थ्य के लिए कोई हानिकारक तत्व नहीं होते हैं।
राज्य औद्यानिक मिशन उ0प्र0 द्वारा प्रदेश में संचालित राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अन्तर्गत मुजफ्फरनगर, आगरा, लखनऊ, इलाहाबाद, हाथरस, गोरखपुर में फ्रूट राइपनिंग इकाईयां स्थापित हो चुकी हैं तथा फैजाबाद, वाराणसी, बाराबंकी में फ्रूट राइपनिंग इकाईयां स्थापित हो रही हैं।