सरकार के हाथ इतने लम्बे व ताकतवर होते है कि दीन दुःखी के आंसु टपकने से पहले पोंछ सकती है, आंसु आने से रोक सकती है। परमपिता परमात्मा राम-कृष्ण के हाथों की लम्बाई व ताकत तो किसी को नहीं प्राप्त है चाहे वह कोई व्यक्ति हो या कोई सरकार हो परन्तु उनसे प्रेरणा पाकर व्यक्ति या सरकार अपनी ताकत-हैसियत व पहुॅच बढा सकती है। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ है। जिनकी मेहनत संकल्प व लगन के सामने बडी से बडी चुनौती हार मानती है। योगी जी की सरकार के कल्याणकारी निर्णय अन्य प्रान्तों की सरकारों के लिए नजीर बनते जा रहे है। सबसे पहले योगी जी का प्रदेश की जनता के लिए 18 से 19 घंटे सतत् कार्य करना। योगी जी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अब तक नो लीव नो सिकलिव लिए काम कर दिखा दिया कि उनके लिए जनता की सेवा ही सर्वोपरि है। योगी सरकार के राज में सब प्रसन्नचित व सुखी है चुनौतियों को योगी जी लोहे के चने चबवा रहे है। चुनौति चाहे दैहिक-दैविक व भौतिक ही क्यों न हो। रामचरित मानस के रचयिता पूज्य गुरूदेव भगवन तुलसीदास जी लिखते है। ‘‘दैहिक दैविक भौतिक तापा-रामराज काहू न व्यापा‘‘। राम स्वयं परमपिता परमात्मा है वे मात्र लीला करने के लिए उन लीलाओं से अपने भक्तो का दुःख हरण करने व प्राणी मात्र के कल्याण के लिए आये थे। उत्तर प्रदेश में आयोध्या के राजाराम बने व लम्बे कालतक राज्य भी किया था। भगवान राम के उस राज्य की तुलना की बात हम सब करते है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री काल में अब तक अनेको गरीबों को बीमारी से निजात पाने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री जी ने धन दिया है। गम्भीर बिमारियों में मुख्यमंत्री जी ने अधिक से अधिक धन पीड़ित को उपलब्ध करा कर सिद्ध किया कि उनकी सरकार रोगी के इलाज में तत्पर है। अब तक मुख्यमंत्री जी की 100 करोड़ से अधिक धनराशि मुख्यमंत्री सहायता कोष से मात्र 11 महीने में रोगियों के उपचार हेतु दे चुके है आगे भी यह सहायता निरन्तर जारी रहेगी। यह कल्याणकारी कदम मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री जी ने अपने तथा अपने मंत्रियों के रहन-सहन व रख-रखाव आदि पर भी दोनों बजटों में कोई विशेष धनराशि का प्रावधान नही किया है, जो प्राप्त है उसी से काम चलाना है। यही मंत्र है योगी जी का। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड मे दैवीय आपदा (ओला वृष्टि) आई तो पूज्य संत ने तुरन्त प्रभावितों को 52.50 करोड़ की सहायता दे दी। योगी जी ने तुरन्त इस आपदा से निपटने हेतु बिना विलम्ब किये उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाई और 48 घंटे के अन्दर पीड़ितों को चिन्हित कर उनकी हानि का पता लगाकर सूचित करने के कडे निर्देश दिये और लापरवाही बरतने पर कडी कार्रवाही के लिए तैयार रहने को भी कहा। योगी सरकार ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए सर्वाधिक प्रभावित जिलो के लिए 52.50 करोड़ रूपये मंजूर किए। 11 व 12 फरवरी को बुन्देलखण्ड के 16 जिलों में बारिश के साथ ओले गिरने से फसलों को व्यापक क्षति पहुॅची थी। इन गांवों के करीब 55 हजार किसान ओलावृष्टि से प्र्रभावित है। मुख्यमंत्री जी ने आपात बैठक कर इसकी समीक्षा की और सम्बधित जिलो के जिलाधिकारियों को 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट भेजने को कहा। प्रभावित किसानों को 48 घंटे के अन्दर ही मदद मुहैया कराने व राहत वितरण का काम किया गया। शेष जगहों पर मदद पहुॅचा दी गई है। किसानों को इस तेजी से राहत पहुंचाने का काम किया गया। शेष जगहों पर मदद पहुॅचा दी गई है। किसानों को इस त्वरित गति से राहत पहुंचाने का काम पहले कभी नहीं हुआ। आमतौर पर समस्या की गंूज मुख्यमंत्री तक पहुॅचाने, नुकसान आंकलन, बजट के आवंटन और किसानों को क्षतिपूर्ति तक की प्रक्रिया पूरी होने में महिनों गूजर जाते थे। सबसे बड़ी परेशानी होती थी कई बार तो रवि की सफल आपदा राहत का चैक जब दूरी खरीफ फसल की तबाही के बाद भी नहीं मिल पाता था। कि पीड़ित पीछे हो जाते है और अनुचित लाभ उठाने वालों को जोड़तोड और संाठ-गाठ कर लाभार्थी बनने का मौका मिल जाता था। अभी तक सरकारी सहायता के नाम से भेजी गई धनराशि का बंदरबांट ही होता था। मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता, ईमानदारी व कडे़ फैसले लेने से यह संदेश चला गया कि बेहिचक सरकारी मदद में कोई कोताही बरदाश्त नहीं की जाएगी। उसी का परिणाम है कि अब वास्तविक पीड़ित न केवल लाभ उठा रहे है बल्कि समय से मुआवजा भी पा रहे है। मुख्यमंत्री का यह कदम आने वाली सरकारों के लिए नजीर भी बनेगा। वास्तव में इसके दो निहितार्थ निकलते है। पहला यह कि किसी भी मामले में शिथिल और स्थूल प्रक्रिया अपनाने से उसका वास्तविक लाभ पीड़ित को पूरा-पूरा नहीं मिल पाता हैं। इसी कमी को दूर करने का काम मुख्यमंत्री जी ने किया है। दूसरा यह कि योगी सरकार का बुन्देलखण्ड पर विशेष फोकस है। योगी राज से लम्बे समय से सुखे, भूखमरी, पलायन आदि से जुझ रहे इस क्षेत्र को अब संवारा जाएगा। बुन्देखखण्ड में उम्मीद जगनने लगी है कि उसका कायाकल्प हो कर रहेगा, उसकी तकदीर बदलेगी। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि योगी सरकार ने बजट में बुन्देलखण्ड पर उसके लिए उपयोगी योजनाओं पर फोकस किया गया है। अटल अमृत योजना का दूसरा फेज को रद्द हो गया था उसे पुनः अनुमति दे दी गई है। लगभग साढ़े नौ सौ करोड़ की इस योजना से रवैसी तथा आस-पास की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान होगा। पिछली सरकारों में किसी ने बुन्देलखण्ड के साथ न्याय करने से रोका नही था न ही अन्याय करने को कहा था। बुन्देलखण्ड ने पूर्ववर्ती सरकरों को चुनाव में विधायक व सांसद देने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। सपा-बसपा में कई कद्वार मंत्री बुन्देखण्ड से ही थे। उन्होंने अपनी क्षमता का प्रयोग खुद को बढाने में अपने तथा अपने चेहेतों को चमकाने मे जितना किया उसका आधा भी इस क्षेत्र के लिए कर देते तो आज हालात ऐसे न होते। एक कहावत है जो अपनांे का नहीं हुआ वह किसी का कैसे हो सकता है। शायद इसी कारण आज वे सत्ता की डाली से टूटे हुए फूल की तरह अपनी चमक व खुशबू खो चुके है। अपने क्षेत्र को तो कम से कम चमकाने के लिए काम करना ही चाहिए। उत्तर प्रदेश में अब लोगो को लगने लगा है कि उन्होने बेकार में सपा व बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाकर अपने पैरों पर प्रहार किया। योगी जी के हाथों से जनकल्याण अपने चर्म पर पहुॅचेगा। इस बात पर कोई संदेश नहीं रह गया है। इस कहावत के साथ लेख की बात खत्म करता हॅू। पूत के पैर पालने में ही दिख जाते है। योगी राज कल्याणकारी राज है।