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शहीदो को श्रद्धांजलि के साथ मनाई गई महाशिवरात्रि

Posted on 14 February 2018 by admin

img_20180214_092323_4–151 लीटर गोमती जल से हुआ महादेव का जलाभिषेक। 20180214_024315

–पुष्पांजलि के साथ हुआ शहीद स्मृति दिवस का आयोजन।

–सांध्यकालीन महाआरती के साथ समाप्त हुआ 4 दिवसीय “मनकामेश्वर महाशिवरात्रि पर्व।

आदि गंगा गोमती के 151 लीटर से किया गया महादेव का जलाभिषेक ।

हर हर महादेव, बम बम भोले के जय गोष, लाखों भक्तजनों के भीड़, सेवादारों की सेवा, आदिदेव भस्म महाआरती व अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुख देव को स्मरण कर डालीगंज स्थित त्रेताकालीन महादेव धाम मनकामेश्वर मठ-मंदिर मे मनाई गई महाशिवरात्रि। 11 फ़रवरी से शुरू हुए मनकामेश्वर पर्व का समापन बुधवार को मंदिर प्रांगण मे सांध्यकालीन महाआरती के साथ हुआ। पूरे मंदिर परिसर को सुंदर बिजली की झालरों से सजाया गया व 51 किलो फूलो के साथ मंदिर परिसर की सुंदरता अपने चरम पर थी। 151 लीटर आदि गंगा के जल से 14 फरवरी को शिवरात्रि को महाभिषेक किया गया। 11 फ़रवरी को दिन दोपहर 12 बजे से बच्चों के लिए “हम शिव के शिव हमारे” विषय पर होगी महाशिवरात्रि मनकामेश्वर चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई । यही नहीं महिलाओं के लिए खासतौर से पार्थिव शिवलिंग तैयार करने की दिलचस्प प्रतिस्पर्धा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। चूंकि इस बार 13 की रात से ही चतुदर्शी लगी थी, इसलिए 13 फरवरी की रात दो बजे से ही मंदिर के कपाट खोल दिये गए । इस अवसर पर खासतौर से मां चंद्रिका देवी मंदिर के पास से लाए गए आदि गंगा मां गोमती का जल वितरित किया गया । 151 लीटर गोमती जल से भोलेनाथ का महा अभिषेक किया गया, तत्पश्च्यात भस्म आरती व मुख्यआरती के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं दर्शन हेतु खोल दिए गए।

भस्म आरती के जय गोष से गूंजा उठा मठ-मंदिर।

img_20180214_042547मंदिर प्रमुख महंत दिया गिरि महाराज ने मंदिर परिसर मे मुख्य महाआरती की। आचार्य शिव राम अवस्थी के आचार्यत्व व 11 पंडितो के सानिध्य में सभी महादेव रुद्राभिषेक पश्च्यात सभी सेवादार ने एक ही वेश भूषा में मंत्रों उच्चार के साथ व ढोल, डमरू, ताशे, नागफनी की धुन में माँ गोमती की आरती और पूजा अर्चना की। महाआरती से पहले रात्रि 2 बजे विहंगम भस्म आरती का आयोजन हुआ। मुख्य महाआरती में जगदीश गुप्त “अग्रहरि”, अमित गुप्ता, गजेंद्र प्रताप सिंह, मन्नी युवेंद्र, यश अग्रवाल, अंकुर पांडेय, मोहित कश्यप, राजकुमार, मुकेश, विजय मिश्रा, अमन शुक्ला, कार्तिक तोमर, चरित्र,दीपू ठाकुर, कमल जायसवाल, नीतू, नीरज, पूनम, शुभतिवारी, सोनू शर्मा, तरुण, आदित्य मिश्र, मुकेश, संजीत, संजय सोनकर, हिमांशु गुप्ता ,कृष्णा सिंह की अहम भूमिका रही।

रघुवीर शरण श्रीवास्तव “रघु”, संगीता श्रीवास्तव व केवल कुमार के भजनों से मंत्र मुग्द हुए श्रद्धालु।

प्रख्यत भजन गायक रघुवीर शरण श्रीवास्तव “रघु” के भजन के साथ प्रातः कालीन भजनांजलि आरम्भ हुई, निरंतर 8 घंटे भजन गा रघुवीर ने सबको आस्चर्यचकित कर दिया, शिव तांडव श्रोत, शिव चालीसा, शिव शंकर स्तुति व अन्य भजन सुनकर दर्शक भाव विभोर हो गए, साथ ही साथ झंकार संस्था की भजन गायिका संगीता श्रीवास्तव ने भजनो की प्रसत्तुति की। गायक संगीतकार यश भारती सम्मानित केवल कुमार जी ने शिव जी के भजनो की प्रस्तुति की। अमिताभ श्रीवास्तव ने माँ के भजन गाये।कीबोर्ड पर विजय सैनी जी ढोलक पर राजेश तिवारी और डीप पेड पर सोनी त्रिपाठी ने संगत दी।

पुष्पांजलि के साथ हुआ शहीद स्मृति दिवस का आयोजन।

20180214_031357मठ-मंदिर परिसर मे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की याद मे शहीदों स्मृति दिवस का आयोजन किया गया। महंत देव्यागिरि ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की इस अवसर पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के विसि प्रोफेसर एम.एल. भट्ट व ट्रामा सेण्टर के प्रमुख डॉक्टर संदीप तिवारी मौजूद रहे । देव्यागिरि ने कहा आज के परिवेश मे हमे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु व समस्त देश भक्तो के जीवन के मूल्यों को अपने अंदर संगृहीत करना बहुत जरुरी है। 14 फरवरी का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा की अगर ऐतिहासिक तथ्यों की बात करें तो भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर षढ़यंत्र मामले में ट्रिब्यूनल कोर्ट ने 7 अक्टूबर 1930 को 300 पेज के जजमेंट पर आधारित तीनों को फांसी की सजा सुनायी थी। तीन शहीदों के अलावा उनके 12 साथ‍ियों को उम्रकैद की सजा दी गई थी। उसके बाद 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी, लेकिन विशेष आदेश के अंतर्गत उन्हें 23 मार्च 1931 को शाम 7:30 बजे फांसी दे दी गई लेकिन 14 फ़रवरी वो दिन है जब पूरा देश एक चमत्कार की आस लगा कर बैठा था की उनके क्रांतिकारियों को अंग्रेज़ हुक्मरान शायद बरी कर दे किन्तु प्रिविसी काउंसिल द्वारा अपील खारिज किये जाने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय ने 14 फरवरी 1931 को लॉर्ड इरविन के समक्ष दया याचिका दाख‍िल की थी, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया और सम्पूर्ण देश शोक की लहर मे डूब गया।

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