ग्राम प्रधान ने लिखा उच्चाधिकारियों को पत्र
लीजिए जनाब ! गांव के विकास के लिए सरकार द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों में घटिया मोरम प्रयोग होने की शिकायत अब ग्राम प्रधान खुद करने लगे। लेकिन इसके बावजूद भी जिले में अवैध मोरम व बालू खदानों के कारोबारियों की तूती बोल रही है। लोगों को अब फिक्र हो चली है कि इस अवैध व्यापार के कारण कहीं उनके इलाके के आस-पास मौजूद खूबसूरत विंध्यपर्वत श्रेणियां नेस्नाबूद न हो जाएं। जानकार व पर्यावरण विद लोग मानते हैं कि यदि जिले से ऐसी छोटी-छोटी पहाड़ियों का वजूद समाप्त हो जाएगा तो एक दिन यहां के लोगों को भारी परेशानियों का समाना करना पडे़गा।
पहले भी कई लोगों ने जिले में हो रहे बालू, मोरम व पत्थर के अवैध खनन कारोबार को रोक लगाने की मांग सम्बंधित अधिकारियों से की थी। लेकिन विभागीय लोगों की मिलीमिली भगत के चलते यह कारोबार रुकने के बजाए दिनोदिन फल फूल रहा है। इन अवैध कारोबारियों के हौसले इतने बुलन्द है कि गांव के विकास के लिए सरकार द्वारा कराए जा रहे विभिन्न निर्माण कार्यों में भी इनकी घुसपैठ हो गई है। इसी के चलते निर्माण कार्यों से जुड़े ठेकेदार भी अवैध खनन के द्वारा निकाले गए मोरम, बालू व पत्थरों का प्रयोग सड़क, नाली आदि बनाने में करने लगे हैं।
जिला चित्रकूट के विकासखण्ड कर्वी के ग्राम मैनहाईमाफी ग्राम प्रधान छत्रपाल उर्फ नत्थू मुखिया बताते हैं कि उनके गांव में हर्दी-मैनहाई संपर्क मार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार सड़क योजना के तहत बनने वाले इस संपर्क मार्ग का ठेका लेने वाला ठेकेदार व पेटीकांटेक्टर गांव के समीप मौजूद पहाड़ी से अवैध खनन करवा कर घटिया मोरम का प्रयोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बीती 27 नवंबर 09 को प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री व ग्राम्य विकास मंत्री को प्रार्थना पत्र देकर घटिया तरीके से बनवाए जा रहे संपर्क मार्ग का काम बन्द करवाने की मांग की थी। दोनों मंत्रीयों को लिखे गए पत्र की एक प्रति उचित कार्रवाई के लिए 15 दिसम्बर 09 को उपजिलाधिकारी कर्वी कार्यालय में दी थी। इसके साथ ही डीएम व एसपी को इस सम्बंध में पंजीकृत डाक से प्रार्थना पत्र भेजा था। मंत्री सहित प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। और ठेकेदार जेसीबी मशीन से अवैध खुदाई करवा कर संपर्क मार्ग निर्माण में प्रयोग कर रहा है। इसके अलावा लोग बताते हैं कि खनिज विभाग व पुलिस की मिलीभगत के चलते पियरा, खखरी, नेउरा, हनुमानगंज, के पहाड़ों से भी अवैध खनन के द्वारा निकाला गया सैकड़ों ट्रैक्टर पत्थर पड़ोसी जनपदों में बिकने के लिए जाता है। इतना ही आपरेशन पोस्ट भरतकूप के ज्यादातर स्टोन क्रेशर उद्योग मालिक भी अवैध खदानों से निकले पत्थरों का ही प्रयोग करते हैं। क्योंकि यह सस्ता और आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
सूत्रो की माने तो इन अवैध खदानों से पत्थर, बालू व मोरम ढोने वाले वाहनों के चालक सम्बंधित लोगों को 500-1000रुपये तक की सुविधाशुल्क देते है। यदि कहीं ज्यादा फसन्त हो गई तो इससे ज्यादा खर्च करने में भी गुरेज नहीं करते। जबकि जानकार व पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि इन छोटी-छोटी पहाड़ियों पर हो रहे अवैध खनन पर रोक नहीं लगी तो ये पहाड़िया एक दिन नेस्तनाबूद हो जाएंगी और जिले के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। लोगों ने मुख्यमंत्री मायावती से जिले में चल रही अवैध खदानों पर रोक लगाने की मांग की है।
जिले में हो रहे अवैध खनन व्यापार से आजिज आ चुके ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ों न नदियों के किनारे अवैध खदान चलाने वाले माफियाओं की कारस्तानी से उनके खेत भी चौपट होते जा रहे हैं। रात के समय अवैध खदानों से निकाले गए पत्थर और बालू ढोने वाले वाहन अंधेरे में यह भी नहीं देखते कि खेत में फसल खड़ी है या फिर खेत में जुताई की गई है। उन्हें तो बस अपना मतलब सिद्ध करना होता है कि कितनी जल्दी वे अवैध काम होने वाले इलाके से बाहर चले जाएं।
इधर पर्यावरण के जानकार बताते हैं कि पहाड़ों में चल रही अवैध पत्थर खदानों की तर्ज पर नदियों के किनारे से अवैध रूप में अंधाधुंध बालू निकाली जा रही है। जिससे घाट कट रहे हैं यदि इस ओर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में इन ग्रामीण इलाकों के लोगों को प्रकृति के भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
श्री गोपाल
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