समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि बिना खेती की जमीन और बीज-खाद-पानी के लहलहाती फसल का भरपूर आनंद लेना हो तो केन्द्रीय बजट पर ध्यान देना चाहिए। लगभग एक खरब की योजनाएं लम्बित पड़ी हुई है। जीएसटी के बाद सरकारी राजस्व में बराबर घाटा हो रहा है। सरकार चार साल में विŸाीय घाटा नियंत्रित नहीं कर पाई। फिर भी निरर्थक कवायद जारी है।
बड़े जोरशोर से गरीब स्वास्थ्य बीमा की शुरूआत 2 अक्टूबर 2018 से करने का एलान हैं। इस योजना का लाभ तीन जिलों के बीच एक अस्पताल से मिलेगा। अस्पताल की बिल्डिंग बनना ही सब कुछ नहीं होता है। उसमें आवश्यक उपकरण, उनके लिए प्रशिक्षित स्टाफ तथा डाक्टरों और नर्सों की भर्ती भी जरूरी होती है। जो चिकित्सा संस्थान पहले से बने हुए हैं वही कई जगह उपकरण धूल खा रहे हैं। विशेशज्ञ डाक्टरों की भारी कमी है।
श्री अखिलेश यादव ने समाजवादी सरकार के समय असाध्य गंभीर रोगों के इलाज के लिए मुफ्त चिकित्सा सुविधा दी थी। लखनऊ में कैंसर संस्थान की स्थापना की गई जो आज भाजपा सरकार की उपेक्षा का शिकार है। सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क दवा, एक्सरे, पैथालाॅजी जांच एवं अल्ट्रासाउंड की सुविधा दी गई थी। पूर्व स्वीकृत कन्नौज, जालौन, तथा आजमगढ़ के मेडिकल कालेजों को पूर्ण कराकर शिक्षण सत्र प्रारम्भ कराया गया। जौनपुर, चंदौली तथा बदायूं में नए मेडिकल कालेज स्वीकृत किए गए। प्रदेश के मेडिकल कालेजों में 500 एमबीबीएस सीटों की बढ़ोŸारी की गई।
भाजपा जिस बात का बड़ा ढिंढोरा पीट रही है वह है 2000 करोड़ के फंड के तहत 50 करोड़ लोगों का बीमा लाभ देने का। इतनी राशि से गांव के गरीब का कोई भला होने वाला नहीं हैं। भाजपा सरकार मन मोहक घोषणाएं और लोकलुभावन योजनाएं तो ले आने में माहिर है पर जमींनी स्तर पर उसका लाभ किसी को मिलने वाला नहीं है। अब तक उसकी सभी योजनाएं धोखा ही साबित हुई हैं। उसकी नीयत भी कभी अपनी योजना को जमीन पर उतारने की नहीं दिखाई दी है भाजपाई तो जनता को ‘हर्र लगे न फिटकरी और रंग चोखा‘ का चमत्कार दिखाकर वोट की फसल लूट लेने की तिकड़म के ही महारथी बने हुए हैं।