लखनऊ 29 जनवरी 2018, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने सोमवार को यहां नौकरियों में भ्रष्टाचार को लेकर राज्य की पूर्व सत्ताधारी पार्टी सपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अखिलेश राज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में भारी भ्रष्टाचार हुआ था। सीबीआई द्वारा शुरू जांच प्रक्रिया में यह पोल खुलनी शुरू हो गई है। पता चला है कि सीबीआई को प्रथम दृष्टया जांच में आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल में हुई भर्तियों में कई गड़बड़ियां दिखने लगी हैं। सीबीआई को प्रथम दृष्टया जांच में आयोग के पांच निर्णय संदेह पैदा करते हुए दिख रहे हैं।
प्रदेश प्रवक्ता श्री शुक्ल ने कहा सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाले अखिलेश यादव योगी सरकार पर रोजगार को लेकर सवाल उठाते हैं तो अच्छा नहीं लगता। उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उनके ही कार्यकाल में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में भारी भ्रष्टाचार हुआ जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश के मेधावियों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ। पता चला है कि सीबीआई को शरुआती जांच में ही आयोग के पांच निर्णय खटकने लगे हैं। यह निर्णय आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल यादव के कार्यकाल में हुए थे। सीबीआई इसके निहितार्थ समझने की कोशिश कर रही है क्योंकि इसमे उसे कहीं ना कहीं सपा शासन के दौरान आयोग में हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार की गंध मिल रही है।
श्री शुक्ल ने कहा कि राज्य के युवाओं की नौकरी के साथ गड़बड़ी की थी। आयोग ने जुलाई 13 में भर्ती परीक्षा में तीन स्तर आरक्षण लागू करने का फैसला लिया था हाईकोर्ट के दखल के बाद फैसला वापस हुआ इस आधार पर तैयार पीसीएस 2011 का परिणाम संशोधित कर दिया गया था। अक्टूबर 13 में आयोग ने आरक्षित वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों के नाम के आगे उनकी जाति वर्ग का उल्लेख ना करने का फैसला लिया था। इस पर भी विवाद हुआ। प्रतियोगियों ने इस फैसले की आड़ में गड़बड़ी करने के आरोप लगाए थे। 2015 की बात करें तो आयोग ने फैसला लिया परिणाम घोषित करते वक्त सफल होने वाले अभ्यर्थियों के नाम का उल्लेख नहीं किया जाएगा सिर्फ रोल नंबर और एनरोलमेंट नंबर ही रहेगा। छात्रों ने इसका विरोध किया था तब नंबर देखने में ओटीपी व्यवस्था लागू हुई जब पीसीएस 2011 के परिणाम को आयोग की वेबसाइट से अपलोड कर प्रतियोगियों ने लिखित में कम अंक पाने वाले खास जाति के अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में अधिक नंबर देने का मामला उजागर किया। ऐसे ही कई अन्य बिंदुओं पर आयोग के कई निर्णयों पर प्रतियोगियों ने सवाल खड़े किए थे जिसके चलते आयोग के तत्कालीक अध्यक्ष अनिल यादव को मा0 उच्चन्यायालय ने बर्खास्त किया।
श्री शुक्ल ने कहा कि वह श्री अखिलेश जिनकी सरकार में उत्तर प्रदेश के युवाओं के साथ अन्याय हुआ, उनको नौकरी नहीं मिली, दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी, वह सपा अध्यक्ष योगी सरकार की पारदर्शी व्यवस्था पर, योगी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हैं तो अच्छा नहीं लगता। योगी सरकार ने 3 साल में 20 लाख रोजगार देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गांव के युवाओं को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्टार्टअप से जोड़कर उन्हें उत्तर प्रदेश का देश और विदेश में ब्रांड एंबेसडर बनाएंगे। इस योजना के जरिए अगले 3 वर्ष में 20 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रदेश सरकार ने इसके लिए बजट में अलग से धनराशि की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। इस योजना को अमलीजामा पहनाने के बाद यूपी के हर गांव से लगभग दो लाख 60 हजार युवाओं को एक बड़ी खेप तैयार होगी। बेरोजगारों को रोजगार दिलाएगी। योगी सरकार में बेसिक शिक्षा हो माध्यमिक शिक्षा विभाग सभी में भर्ती में पारदर्शी व्यवस्था लागू करने के लिए कटिबद्ध है। अब इन विभागों में शिक्षकों की भर्ती लिखित परीक्षा के माध्यम से ही होगी। मेधावी छात्र बेसिक और माध्यमिक में नौकरी पाएंगे। सरकार के इस प्रकार के कई फैसले हैं जो उत्तर प्रदेश के युवाओं का भविष्य उज्जवल बनाएंगे।