एक महत्वपूर्ण निर्णय में सिक्योरिटी एपेलेट ट्रिब्यूनल (ै।ज्) ने इंश्योरेन्स रेग्युलेटरी डेवलपमेंट अथाॅरिटी के दिनांक 28 जुलाई 2017 के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें सहारा लाइफ इंश्योरेन्स के जीवन बीमा व्यवसाय को एक बाहरी बीमाकर्ता - आईसीआईसी पू्रडेन्शियल लाइफ इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड को हस्तांतरित करने को कहा गया था। सहारा की अपील को स्वीकृति देते हुए ै।ज् ने इंश्योरेन्स अथाॅरिटी के ऐसे रवैये पर गहरी चिन्ता जताई जिससे उन्होंने सहारा लाइफ इंश्योरेन्स के विरूद्व मामले में ऐसी कार्यवाही की।
इंश्योरेन्स अथाॅरिटी के इस कदम को बेहद घातक व अनियमित मानते हुए एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति व उसके सभी आगामी कदमों को मामले के तथ्यों व परिस्थितियों के चलते हानि पहुंचाने वाला माना गया। ै।ज् का मत था कि एडमिनिस्ट्रेटर की रिपोर्ट कम से कम विवादित आदेश पारित करने से पहले सहारा लाइफ इंश्योरेन्स को उपलब्ध करवाई जानी चाहिए थी।
सहारा लाइफ इंश्योरेन्स को एक बड़ी मोहलत मिली है और उसके इस पक्ष को ै।ज् ने यह निर्देश देकर सही साबित किया है कि सारा मामला वहां से पुनः देखा जाए जिस चरण पर सहारा लाइफ इंश्योरेन्स को एडमिनिस्ट्रेटर की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्युत्तर देने को कहा गया। साथ ही सहारा लाइफ इंश्योरेन्स व उसके हितधारकों के प्राकृतिक न्याय के नियमानुसार अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए। निर्देश दिया गया है कि सहारा के द्वारा एडमिनिस्ट्रेटर रिपोर्ट पर जवाब की प्राप्ति के 3 माह के अन्दर कानून के अनुसार सुनवाई पूरी की जाए - उन्हंे सुनने का अवसर प्रदान करने के पश्चात।
सहारा लाइफ इंश्योरेन्स ने उक्त अपील में यह तर्क दिया था कि इंश्योरेन्स अथाॅरिटी ने गैर कानूनी तरीके से तथा गलत नीयत से उसका व्यवसाय बिना सुनवाई का अवसर दिये एक बाहरी बीमाकर्ता - आईसीआईसी पू्रडेन्शियल लाइफ इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया था तथा इंश्योरेन्स अथाॅरिटी द्वारा नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर एक थर्ड पार्टी के हित में कार्य कर रहा था जिसने कई अन्य विकल्प होने के बावजूद व्यवसाय को हस्तांतरित कने की एकतरफा सिफारिश कर दी थी।