Categorized | लखनऊ.

हिन्दी के विकास के बिना विश्व अधूरा: संजय तिवारी

Posted on 10 January 2018 by admin

विश्व हिंदी दिवस पर कमल ज्योति कार्यालय में संगोष्ठी पर ली गई शपथ

लखनऊ 10 जनवरी 2018, हमारी हिन्दी विश्व के 100 करोड़ लोगों द्वारा बोली जानी वाली भाषा है। संस्कृत के बाद हिन्दी पहली ऐसी भाषा है जिस पर विश्व के 336 विश्वविद्यालयों में शोध कार्य किया जा रहा है। सही मायनों में हिन्दी भाषा के विकास के बिना विश्व का बाजार मजबूत नहीं बन सकता है। अगर हम ये कहें कि, हिन्दी के बिना विश्व बाजार आज अधूरा है तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह उद्गार विश्व हिन्दी दिवस पर कमल ज्योति कार्यालय में आयोजित संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार संजय तिवारी ने व्यक्त किए।
संजय तिवारी ने कहा कि अब से 42 वर्ष पहले 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में घोषित किया गया था। उस समय से अब तक हिंदी की वैश्विक यात्रा अबाध गति से जारी है। आज दुनिया के लगभग सभी देशों में हिंदी भाषी लोग मौजूद हैं। दुनिया की प्रत्येक उत्पादक संस्था को हिंदी की जरुरत है। वर्ष 1975 से ही विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था, इसीलिए इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनियाभर में करीब 154 करोड़ लोग हिंदी भाषी हैं। देश के बाहर पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में भी हिंदी भाषा बोली और समझी जाती है। फिजी दक्षिण प्रशान्त महासागर के मेलानेशिया में बसा एक द्वीप देश है। फिजी में हिंदी को आधाकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। इसे फिजियन हिन्दी या फिजियन हिन्दुस्तानी भी कहते हैं। इसमें भारत में बोली जाने वाली अवधी, भोजपुरी और अन्य बोलियों का समावेश है।
संगोष्ठी में विशिष्टि वक्ता भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि, हिन्दी से मात्रात्मक त्रुटियों को हमें समाप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए। हिन्दी भारत मां के भाल की बिन्दी है। भारत की पहचान हिन्दी से है। हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान ही हमारी पहचान है। हिंदुओं की तरह से हिन्दी भी समावेशी भाषा है। हिन्दुओं की तरह ही हिन्दी भी विश्व की सभी भाषाओं से उनके शब्द लेकर आगे बढ़ती रही है। जिसके कारण हिन्दी विश्वि की पारंपरिक भाषा बनने की ओर अग्रसर है।
संगोष्ठी में बोलते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि, हिन्दी दिवस पर आज मैं कह सकता हूँ कि पूरी दुनिया में संस्कृत के बाद हिंदी ही साहित्य की संपूर्ण भाषा बन रही है। आंग्ल भाषा की ओर आज भले ही हमारी पीढ़ी भाग रही हो लेकिन अंततः हिन्दी की ओर ही उसे लौटना होगा। आज दुनिया के 336 विश्वविद्यालयों में हिंदी एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है। भारत में 14 सितंबर 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था इसलिए 14 सितंबर को देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कमल ज्योति के संपादक अरुण त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी के विकास के लिए आज जरूरी हो गया है कि हम केवल हिन्दी के लिए नहीं बल्कि देश की दूसरी भाषाओं के विकास के लिए भी काम करें। अगर भारत में हिंदी का विकास करना है तो हमको दूसरी भाषाओं को भी पढ़ना-लिखना आना चाहिए। तभी हिन्दी विश्व में अपना परचम लहरा सकेगी।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कमल ज्योति के प्रबंध संपादक राजकुमार ने उपस्थित लोगों को हिंदी भाषा के विकास उसके संवर्धन के लिए शपथ दिलायी और कहा कि भाषा के विकास से ही देश का विकास भी होता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डा सतीश चंद्र राय ने कहा कि, हिन्दी को पूरे विश्व की भाषा बनाने के लिए न केवल प्रवासी भारतीय आगे आकर काम कर रहे हैं बल्कि अखिल भारतीय स्तर पर हिन्दी को प्रतिष्ठित करने का काम कर रहे हैं। हमारे देश में हिन्दीं को शालीनता की भाषा माना जाता है। हिन्दी ही हमको एक सूत्र में बांधने का काम करती है। संगोष्ठी का संचालन श्री राजकुमार ने किया। संगोष्ठी में शैलेन्द्र पांडेय, सोमदत्त वाजपेई, डा कालिका पांडेय, एडवोकेट अनिल चैबे, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, राजीव द्विवेदी, अश्विनी पाठक, चंद्रमोहन चैबे, अमर सिंह, ओम प्रकाश आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in