सुरेन्द्र अग्निहोत्री,लखनऊः 28 दिसम्बर, 2017
खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री सत्यदेव पचैरी ने कहा है कि खादी एवं ग्रामोद्योगी नीति में ग्रामीण औद्योगीकरण हेतु प्रदेश के समस्त जनपदों मंे भूमि आरक्षित करने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा, जैविक ऊर्जा एवं बायोगैस परियोजना पर प्रोत्साहन दिये जाने की व्यवस्था भी की गई है। प्राइमरी स्कलों में पढ़ने वाले बच्चे, जो बुनकर की कला सीख रहे हैं, उन बच्चों को वजीफा देने पर भी विचार किया जा रहा है।
श्री पचैरी आज यहां खादी भवन सभागार में आयोजित खादी संस्थाओं एवं ग्रामोद्योग इकाइयों के राज्य स्तरीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा संचालित प्रशिक्षण केन्द्र, कम्बल कारखानों एवं खादी उत्पादन केन्द्रों की अवस्थापना सुविधाओं को प्रभावी बनाते हुए ग्रामोद्योगी उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जायेगी। इसके साथ ही पूर्वांचल एवं बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 100 प्रतिशत, मध्यांचल-पश्चिमांचल क्षेत्र में 75 प्रतिशत स्टैम्प शुक्ल में छूट के साथ नई इकाईयों को 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में छूट दी जायेगी। साथ ही मण्डी शुल्क में भी छूट की व्यवस्था की गई है।
खादी मंत्री ने कहा कि नई खादी नीति का मुख्य उद्देश्य खादी के उत्पाद को बढ़ावा देना है। आने वाली इस नीति से खादी के निर्माताओं और सरकार के बीच का गैप कम होगा। साथ ही खादी को आधुनिक स्वरूप भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी स्वयं खादी के संरक्षण एवं संवर्धन पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। उनका मानना है कि खादी का नया रूप प्रदान किया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि खादी का प्रचलन सन् 1930 से सम्पूर्ण देश में प्रारम्भ हुआ। खादी जहां एक ओर राष्ट्रभक्ति जागृति करती है, वहीं दूसरी ओर स्वावलम्बी बनने का अवसर प्रदान करती है।
श्री पचैरी ने कहा कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति रोजगार के लिए शहरांे का पलायन कर रहे है। उन्होंने ग्रामवासियांे का आह्वान किया कि वे स्वावलम्बी बने और खादी के क्षेत्र में काम करें। इसके लिए राज्य सरकार कई योजनाएं भी बना रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निर्मित खादी उत्पादों के गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। देश-दुनियां मंे खादी की बहुत मांग है। उन्होंने कहा कि जब ‘‘खादी इण्डिया’’ हो सकता है, तो ‘‘खादी यू0पी0’’ क्यों नही।
मंत्री ने निर्देश भी दिए कि इस क्षेत्र में लगे लोगों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाय, ताकि खादी में आधुनिकता का समावेश हो और अन्तर्राष्ट्रीय मांग के अनुसार खादी का निर्माण किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के आने से कुम्हारों का जीवन स्तर गिरा है। सरकार इसे गम्भीरता से लेते हुए कुम्हारों के विकास के लिए नई नीति भी बनाने जा रही है। सोलर चर्खो से खादी बनाने पर जोर दिया जा रहा है। सोलर चलित चर्खो से खादी निर्माण के क्षेत्र में नई क्रांति आयेगी।
प्रमुख सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग, डा0 नवनीत सहगल ने कहा कि खादी के शोध एवं डिजाइन के मानकीकरण एवं प्रचार-प्रसार की व्यवस्था की जायेगी। साथ ही नियमों का सरलीकरण भी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर एवं परम्परागत कारीगरों को उन्नतशील उपकरण निःशुल्क दिया जायेगा। इसके अलावा सोलर चर्खा को प्रोत्साहन भी दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि ‘‘एक जनपद एक उत्पाद’’ की विचार धारा को सभी जनपदों मंे लागू कराया जायेगा। खादी को बढ़ावा देने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जायेगा।
उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री अविनाश कृष्ण सिंह ने बताया कि पं0 दीन दयाल उपाध्याय खादी विपणन विकास योजना चलाने की तैयारी की जा रही है। इसमें खादी प्रोत्साहन में 10 प्रतिशत के स्थान पर खादी उत्पादन हेतु 15 प्रतिशत अनुदान देने की व्यवस्था की गई है, जिसमें से एक तिहाई अनुदान प्रदेश के गरीब कत्तिन एवं बुनकरों को दिया जायेगा।
कार्यशाला में नई खादी नीति, पं दीन दयाल ग्राम रोजगार योजना तथा माटी कला एवं शिल्प कला परिषद के प्रस्ताव का प्रजेंटेशन भी खादी मंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा इंटरनेट पर सामान बेचने वाली संस्था अमेजन के प्रतिनिधि श्री आदित्य अग्रवाल ने आन लाइन ट्रेडिंग के सम्बन्ध में प्रजेंटेशन दिया। निफ्टी के उज्जवल बनर्जी ने अपने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से खादी को प्रमोट करने की बात कही। सम्मेलन में पूरे प्रदेश से आये खादी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएं बताईं और महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये।