उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने आज दिनांक 27.12.2017 को संसदीय शोधए संदर्भ एवं अध्ययन समिति की प्रथम बैठक का उदघाटन किया और इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस समिति का मुख्य उद्देश्य सदस्यों में संसदीय विषयों पर अध्ययन एवं शोध में अभिरूचि उत्पन्न करना है। संसदीय प्रणाली को सफल बनाने में अपना सक्रिय योगदान देकर संसदीय प्रणाली के सफल क्रियान्वयन में उत्पन्न हो रही समस्याओं को सुलझाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना का है।
श्री दीक्षित जी ने इस अवसर पर सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सदन में 60 प्रतिशत से भी अधिक नये लोग प्रथम बार सदन में चुनकर आये हैं। वह बहुत जिज्ञासुए प्रबुद्ध एवं संसदीय व्यवस्था में अपना योगदान देने के लिए सदैव अतुर रहते हैं। नई परिस्थितियों में लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत नई चुनौतियाँ आयी हैं। सदन में नियम व समय की कमी आदि ऐसे कारक होते हैं जिनमें सभी सदस्यों को अपने सुन्दर विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर नहीं मिल पाता। इस समिति में मिल.बैठकर संसदीय प्रणाली को कैसे बेहतर बना सकते हैं। उसमें चिन्तन और निष्कर्ष निकलाने और इसे प्रयोग में लाने का सुअवसर प्राप्त होता है।
श्री दीक्षित ने प्रश्नकाल के बारे में बोलते हुए कहा कि प्रश्नोत्तर काल संसदीय परिपाटी में सर्वोपरि महत्व का होता है। इसमें विभिन्न विषयों पर सदस्यगण प्रश्न पूँछकर नौकरशाही को जवाबदेह बना सकते हैं। प्रशासन को पारदर्शी बनाने में अपना अप्रितम योगदान दे सकते हैं।
मा0 अध्यक्ष ने नियम.300ए 301ए 56 व 51 एवं अन्य सूचनाओं के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि इन नियमों के अन्तर्गत विधायकों के अपने क्षेत्रीय जनसमस्याओं के निवारण के महत्वपूर्ण प्रश्न आते हैं। समय कम होने और नियमों से बँधे होने के कारण अधिक सदस्यों को बोलने का अवसर दिया जाना संभव नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि समिति में हमें इस प्रकार की संसदीय परिपाटी को बदलने के सुझाव देने के साथ.साथ चिन्तन करने की आवश्यकता हैए जिससे पुरानी परिपाटी में सुधार कर अधिक.से.अधिक लोगों को अवसर देने के साथ.साथ उनकी समस्याओं का निराकरण हो सके। सदन में शोर.गुलए राज्यपाल के अभिभाषण के समय व्यवधानए प्रश्नकाल के समय उसमें व्यवधान उत्पन्न करना जैसी समस्याओं पर इस संसदीय समिति में विचार करके नयी परिपाटी का सृजन करना चाहिए। जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्थायें सुदृढ़ व स्थिर हो सकें।
इस अवसर पर समिति के सभी सदस्यों ने सदन में शोर.गुल व प्रश्नकाल बाधित किये जाने व सदन में अवसर न मिलने की अपनी.अपनी समस्याओं पर विचार रखे और मा0 अध्यक्ष से यह अपेक्षा की कि विचार मंथन के बाद कोई ऐसा विकल्प प्रस्तुत हो जिससे उ0प्र0 विधान सभा के मा0 अध्यक्ष के संरक्षण में संसदीय इतिहास में नया अध्याय जुड़ सके। सभी सदस्यों ने सदन की कार्य पद्धति को बेहतर बनाने में अपना योगदान दिये जाने का भरोसा दिलाया है। समिति की बैठक में विधान सभा के विशेष सचिव सहित सभी अधिकारी उपस्थित थे।