पुरुषो का प्रतिनिधित्व लगभग शून्य हो जाएगा - मुलायम सिंह

Posted on 14 March 2010 by admin

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने एक कार्यकृम को संबोधित करते हुये कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का वर्तमान स्वरूप भारत की संसदीय प्रणाली के लिए घातक सिद्ध हो सकता हैइसलिए नही कि इसमे एक तिहाई आरक्षण महिलाओ के लिए है बल्कि इस आरक्षण के लागू होने के दस साल बाद हिन्दुस्तान की लोक सभा मे और राज्यो की विधान सभा मे पुरुषो का प्रतिनिधित्व लगभग शून्य हो जाएगा और देश का स्थापित एवं अनुभवी नेतृत्व किसी दल का हो, संसद से बाहर हो जाएगाm-11

सिंह ने कहा यों तो इस विधेयक मे एक तिहाई सीटे महिलाओ के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है लेकिन जो 33% महिलाए प्रथम आरक्षण के बाद चुनकर लोक सभा मे पहुँचेगीवे अपनी जीती हुई सीट को छोड्ना नही चाहेगीं और कानूनन उन्हे विवश भी नही किया जा सकता जबकि रोटेसन के कारण दूसरे चुनाव मे 33% अन्य सीटे महिलाओ के लिए आरछित कर दी जाएगी।  इस प्रकार ठवीँ वर्ष मे भारत की संसद मे लगभग 66% महिला सदस्य होगीं और तीसरी लोकसभा आते-आते यानी 11वे वर्ष मे यह प्रतिशत बदकर 99 हो जाएगा यादव ने कहा कि यहाँ पर मै  स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि कोई भी पार्टी आमतौर पर 10% से ज्यादा सिटिंग सदस्यो की टिकिट नही काटती और इसे मान भी लिया जाए तो भी आरक्षण लागू होने के बाद 11वी वर्ष मे हिन्दुस्तान की पार्लियामेंट मे कम से कम 80 से 85 प्रतिशत के बीच
महिलाओ का प्रतिनिधित्व होगा

यादव ने कहा कि देश के सामने गंभीर संकट हैहमारे किसी भी पड़ोसी देश से संबंध अच्छे नही हैचीन और पाकिस्तान हमारी सीमा पर आख गड़ाए बैठे हैसे मे देश को अनुभवी नेतृत्व की आवश्यकता होगी लेकिन दुर्भाग्य से पूरा नेतृत्व संसद से बाहर होगा और उसका नीत निर्धारण मे और महत्वपूर्ण निर्णय लेने मे कोई भी साथ नही देगादेश की स्थित
क्या होगी, इसकी अभी कल्पना भी नही की जा सकतीजहाँ तक इस विधेयक पर मुसलमानदलित और पिछदी महिलाओ के आरछन का प्रश्न है,इस संबंध मे मै आपको बताना चाहूगा कि सन 1952 से लेकर अब तक 15 लोकसभाओ मे 7906 लोक सभा सदस्यो मे केवल 14 मुस्लिम महिलाए लोकसभा मे चुनकर पहुँची है जिनका प्रतिशत 0.17 फीसदी है। 15वी लोकसभा मे सर्वाधिक मुस्लिम महिलाए चुनकर लोकसभा मे पहुँची है जिनकी संख्या 3 हैउनमे से 2 उत्तर प्रदेश से तथा एक पश्चिम बंगाल से है

यादव ने कहा, बगैर आरक्षण के जो अन्य महिलाए चुनकर आई है तो वे या तो पूर्व केंद्रीय मंत्रियो और भूतपूर्व या वर्तमान मुख्य मंत्रियो या भूतपूर्व या वर्तमान संसद सदस्यो विधायको की बेटियाँ, पौत्रिया या पत्निया है सामान्य गरीब परिवारो से कोई भी महिला लोक सभा मे चुनकर नही पहुची इसलिए हम माँग करते है कि इस विधेयक मे मुसलमान,दलितो और पिछदी वर्गो की महिलाओ की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान विधेयक का स्वरूप बदला जाये और उसमे इन वर्गो को आरछन दिया जायेबिना आरक्षण के मुस्लिम,दलित और पिडी महिलाए आधुनिकता के रंग मे रॅगीं हुई पढ़ी लिखी फर्राटेदार अंग्रज़ी बोलने वाली और संपन्न महिलाओ का मुकाबला नही कर सकती

यादव ने कहा,आरक्षण के लिए राजनैतिक द्लो को कानून बनाकर प्रस्तावित कोटा के अनुसार आरक्षण देने को बाध्य किया जाएअगर कोई दल इसका उलंघन करता है तो निर्वाचन आयोग को यह अधिकार हो की उस दल का रजिस्ट्रेसन रद्द कर देंयद्यपि प्रस्तावित विधेयक मे दलित महिलाओ के आरक्षण की व्यवस्था है लेकिन वह दलितो के आरक्षण अंदर ही है और इसमे भी दलित वर्ग का जो बड़ा और स्थापित नेतृत्व है उसके खत्म होने की आशंका है इसलिए आरच्छन् उसके बाहर होना चाहिएदेश के नेतृत्व और देश के हित मे सोंचते हुए समाजवादी पार्टी का रुख महिला आरक्षण के वर्तमान प्रारूप के खिलाफ है, महिला आरक्षण के खिलाफ नहीं लेकिन मुझे दुख है कि मीडिया के जरिए समाजवादी पार्टी को महिला आरक्षण विरोधी
प्रचारित किया जा रहा है जो सत्यता से कोसों दूर है

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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