लखनऊ 24 दिसम्बर, 2017
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने मुख्य अतिथि के रूप में आज तेलीबाग स्थित वृन्दावन योजना में उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद के क्षेत्रीय केन्द्र का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एम0पी0 दुबे, आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 अरविन्द दीक्षित, कुलपति इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद सहित बड़ी संख्या में विशिष्टजन उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर पुस्तक ‘दूरस्थ शिक्षा में सूचना एवं संचार क्रांति’ का विमोचन भी किया।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वे 29 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति है। विशिष्ट शिक्षाओं से संबंधित विश्वविद्यालय लखनऊ में हैं जिनमें चिकित्सा, प्राविधिक, संगीत, विकलांग कल्याण तथा उर्दू शिक्षा से जुड़े विश्वविद्यालय है। इसी के साथ विधि विश्वविद्यालय तथा एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय भी यहाँ स्थापित है। राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्र खुलने से जो लोग किन्हीं कारणों से विश्वविद्यालयी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके हैं, उनके लिये विद्या का एक नया द्वार खुल गया है।
श्री नाईक ने कहा कि इस क्षेत्रीय केन्द्र का निर्माण दिसम्बर 2018 में पूरा होना तय हुआ है। इस दृष्टि से ‘कास्ट ओवर रन’ और ‘टाइम ओवर रन’ पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। तय समय एवं लागत में कार्य समाप्त न होने से जहाँ एक ओर बजट में बढोत्तरी होती है वहीं निर्माण में होने वाली देरी से उसका लाभ भी देर से समाज को मिलता है तथा सरकारी धन का अपव्यय होता है। राज्यपाल ने अपने पेट्रोलियम मंत्री के कार्यकाल के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने योजनाओं को तय समय सीमा तथा बजट में पूरा करवाया था।
राज्यपाल ने बताया कि पहले विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह कई वर्षों तक आयोजित नहीं होते थे। परन्तु अब विश्वविद्यालय शैक्षणिक कैलेण्डर के हिसाब से कार्य कर रहे हैं। 29 राज्य विश्वविद्यालयों में से इस वर्ष 25 विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह सम्पन्न होने थे। शेष 4 विश्वविद्यालय के छात्र अभी स्नातक स्तर तक नहीं पहुँचे हैं। राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह सहित अब तक 23 विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह सम्पन्न हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों का दीक्षांत समारोह समय से सम्पन्न होना अपने आप में एक उपलब्धि है।
श्री नाईक ने कार्यक्रम में विमोचित पुस्तक ‘दूरस्थ शिक्षा में सूचना एवं संचार क्रांति’ की सराहना करते हुए कहा कि यह पुस्तक शिक्षा प्राप्त करने वालों की लिए अत्यन्त सहायक है। आज का युग सूचना एवं संचार क्रांति का है। राज्यपाल ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सहायता से, वर्चुअल क्लास के माध्यम से, वेबसाइट पर सूचना उपलब्ध कराकर तथा सांध्यकालीन कक्षायें चलाकर शिक्षा प्रदान करने का एक अच्छा प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है, प्रत्येक कार्य को बेहतर ढंग से करने से ही उसकी गुणवत्ता बढ़ती है।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा योग पर आयोजित पाठ्यक्रम की शुरूआत करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि योग हमारी प्राचीन सनातन परम्परा का प्रतीक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से अब इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। आज योग के प्रति लोगों में जागरूकता आ रही है तथा योग की शिक्षा ग्रहण करने के लोग आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि योग की शिक्षा ग्रहण कर अन्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ योग आजीविका का माध्यम भी बन रहा है।
श्री नाईक ने बताया कि संविधान शिल्पी बाबा साहब का नाम आम तौर से लोग डाॅ0 ‘भीम राव अम्बेडकर’ लिखते हैं, जो शुद्ध नहीं है जबकि ‘भारत का संविधान’ की मूल प्रतिलिपि (हिन्दी संस्करण) के पृष्ठ 254 पर डाॅ0 आंबेडकर द्वारा हस्ताक्षर में अपना नाम डाॅ0 ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’ लिखा गया है वैसे ही अंग्रेजी में क्तण् श्ठीपउ त्ंव ।उइमकांतश् लिखने के स्थान पर क्तण् श्ठीपउतंव ।उइमकांतश् लिखना चाहिए। उन्होंने इसी दृष्टि से ‘डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा’ का नाम ‘डाॅ0 भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा’ करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी प्रेषित किया था। उन्होंने राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों से इस आशय का विधेयक पारित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
राज्यपाल ने अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ पर भी प्रकाश डालते हुए निरन्तर चलते रहने का जीवन में सफलता प्राप्त करने एवं व्यक्तित्व विकास का मंत्र बताया। इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सम्मानित भी किया। कुलपति प्रो0 एम0पी0 दुबे द्वारा राज्यपाल को अंग वस्त्र व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया तथा विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या भी प्रस्तुत की गयी।