समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि समाजवादी पार्टी ने बिजली की बढ़ी दरों का प्रारम्भ से ही विरोध किया है क्योंकि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी। अभी विधानमण्डल के दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के विधायकों ने भी बिजली की बढ़ी दरों का पुरजोर विरोध किया है। समाजवादी पार्टी के विधायकों को दोनों सदन के वेल में जाने को मजबूर होना पड़ा। यह भाजपा सरकार की मनमानी का ही नतीजा है कि सदनों की गरिमा एवं सम्मान का भाजपा को ख्याल नही रहता है। सरकार की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि उसे लोकतंत्र में जनता की आवाज को अनसुना नहीं करना चाहिए। जन समस्याओं की आवाज सदन के माध्यम से सरकार तक पहुंचाना विपक्ष की जिम्मेदारी है।
खेद है कि भाजपा सरकार अपनी हठधर्मी पर तुली हुई है। उसने बिजली की बढ़ी दरें वापस लेनेे की मांग पर चुप्पी साध रखी है। भाजपा सरकार को विपक्ष की आवाज सुनाई नहीं दे रही है। जबसे भाजपा सरकार बनी है विद्युत व्यवस्था चरमरा गई है। बिजली कटौती से लोग परेशान हैं।
भाजपा सरकार ने बिजली की दरों में अचानक भारी वृद्धि कर साबित कर दिया है कि उसका गांव, गरीब और किसान से कोई वास्ता नहीं है। अनमीटर्ड ग्रामीण उपभोक्ताओं की दरों में 67 से 150 फीसदी और किसानों की दरों में 50 से फीसद की वृद्धि से किसान बुरी तरह आहत हैं। एक तो किसान को वैसे ही फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है दूसरे उस पर बिजली की बढ़ी दरें भी थोप दी गई है।
समाजवादी सरकार के समय विद्युत उत्पादन का बुनियादी ढांचा विकसित कर 8500 मेगावाट से 16500 मेटावाट उत्पादन की व्यवस्था की गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में 14 से 16 घंटे तथा शहरी क्षेत्रों में 22 से 24 घंटे तक विद्युत आपूर्ति भी तब होती थी। भाजपा सरकार ने ये सभी व्यवस्थाएं समाप्त कर दी है। अब अपनी कमियां छुपाने के लिए भाजपा ने किसानों ओर ग्रामीणों को दण्ड़ित करने का काम षुरू कर दिया है। बिजली की बढ़ी दरों की वापसी होने तक इसका समाजवादी पार्टी विरोध करती रहेगी। एक तो भाजपा सरकार ने एक यूनिट भी बिजली का उत्पादन किया नहीं दूसरे भाजपा सरकार किस नैतिक अधिकार से दरों में वृद्धि कर सकती है? यह गरीबों और किसानों के साथ घोर अन्याय है। समाजवादी पार्टी की मांग है कि विद्युत दरों की वृद्धि पूरी की पूरी वापिस की जाये।