लखनऊः 11 दिसम्बर, 2017
राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों की चारागाह की भूमि को गोचर के क्षेत्र के रुप में विकसित किए जाने के सम्बंध में आवश्यक कार्यवाही किए जाने हेतु प्रदेश के सात जनपदों के जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है। निर्देशों में कहा गया है कि मनरेगा योजना के निर्धारित प्राविधानों के अनुरुप होने की स्थिति तक ग्राम पंचायतों में स्थित चारागाहों में बाड़ लगवाकर गोचर भूमि विकसित अथवा पशु आश्रय बनवाये जा सकते हैं।
प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास श्री अनुराग श्रीवास्तव की ओर से महोबा, बांदा, चित्रकूट, ललितपुर, जालौन, झांसी एवं हमीरपुर के जिलाधिकारियों को प्रेषित शासनादेश में कहा गया है कि ग्रमीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की मार्ग-निर्देशिका-2013 के अनुबंध-36 के अनुसार मनरेगा एवं डेयरी तथा पशुपालन विभाग के मध्य कनवर्जेन्स के अंतर्गत भूमि विकास, चारागाह एवं घेराबंदी को मनरेगा के तहत अनुमन्य कार्यों की श्रेणी में रखा गया है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के राजपत्र -2014 में मनरेगा अधिनियम-2005 की अनुसूची-1 में विहित वर्गों के लिए तथा बिंदू-5 में पशुधन संवर्धन के लिए अवसंरचना का निर्माण जैसे-पशु आश्रय चारा खिलाने का स्थान आदि को अनुमन्य कार्य श्रेणी में सम्मिलित किया गया है।
शासनादेश में यह भी कहा गया है कि चूंकि मनरेगा योजना अधिनियम आधारित है इसलिए कार्य की मांग के आधार पर निर्मित ग्राम/क्षेत्र/जिला पंचायत स्तर से अनुमोदित व ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्वीकृत श्रम बजट के सापेक्ष उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का उपयोग योजना के तहत निर्धारित मानकों के अनुरुप किए जाने का प्राविधान है। अतः मनरेगा योजना के निर्धारित प्राविधानों के अनुरुप होने की स्थिति तक ग्राम पंचायतों में स्थित चारागाहों में बाड़ लगवाकर गोचर भूमि विकसित अथवा पशु आश्रय बनाए जा सकते हैं।
प्रमुख सचिव ने चारागाह की भूमि को गोचर क्षेत्र में विकसित करने के लिए इन 07 जनपदों के जिलाधिकारियों से अपेक्षा की है।