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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लखनऊ मंडल के एक हजार हस्तशिल्पियों को दिया जाएगा 10 लाख रुपये तक का लोन- रणवीर प्रसाद

Posted on 11 December 2017 by admin

लखनऊः 11 दिसम्बर, 2017
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 10 लाख रुपये तक का लोन लखनऊ मंडल के एक हजार हस्तशिल्पियों को दिया जाएगा। इसके लिए 8 से 15 दिसम्बर तक हुसैनाबाद, कश्मीरी मोहल्ला, मुफ्तीगंज, चिनहट, ठाकुरगंज, डालीगंज, महोना, मडियाव में जनजागृति शिविरों का संचालन किया जा रहा है। आगामी 24 जनवरी को होने वाले मेगा ऋण वितरण कार्यक्रम में एक हजार हस्तशिल्पियों को लाभांवित किया जाएगा।
यह जानकारी श्री रणवीर प्रसाद, आयुक्त एवं निदेशक, उद्योग एवं प्रोत्साहन ने दी है। उन्होंने बताया कि हस्तशिल्पियों के प्रोत्साहन हेतु हस्तशिल्प सप्ताह के अन्तर्गत यहां कैसरबाग स्थित जिला उद्योग केन्द्र के एक्पो मार्ट में आयोजित हस्तशिल्प मेला लोगों को काफी पसंद आ रहा है। बोन कार्विंग और जर्मन सिल्वर ज्वैलरी ग्राहकों को खूब आकर्षित कर रहीं हैं। इस अवसर पर असली हस्तशिल्प की कलाकृतियां कैसे पहचाने यह भी जानकारी हस्तशिल्पियों द्वारा दी गयी।
उपायुक्त श्री सर्वेश्वर शुक्ला ने बताया कि मेले में बोन कार्विंग के मशहूर कारीगर श्री सल्लाउद्दीन सिद्दीकी इयर रिंगस, पेन्डेन्ट, रिंग, माला, फूलदान, फूल और अन्य सजावटी सामान लाए हैं। उन्होंने बताया कि हाथी दांत और ऊंट की हड्डियों से की जाने वाली कलाकृतियांे की जगह अब भैंस की हड्डियों से ही इसे तैयार किया जा रहा है। प्लास्टिक युग में हर हस्तशिल्प की नकल उतार ली गई है। ऐसे में असली बोनकार्विंग का वर्क मुश्किल से पकड़ में आता है। फाइवर के समान की नक्काशी मशीन से बनी एक सी लगती है, उसमें हाथ के काम की अनगढ़ता का सौन्दर्य नहीं होता। ज्यादा दिन तक इस्तेमाल करने पर प्लास्टिक की कलाकृति पीली पड़ जाती है, लेकिन बोन में ऐसा कुछ भी स्थायी बदलाव नहीं होता है।
श्री शुक्ला ने बताया कि बोन के स्टॉल पर 10 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक की ज्वैलरी और क्राफ्ट का सामान पसंद किया जा रहा है। उन्होंने जर्मन सिल्वर ज्वैलरी के बारे में बताया कि इसमें 60 प्रतिशत ताँबा, 20 प्रतिशत निकल और 20 प्रतिशत जस्ता होता है। इसे 19वीं शताब्दी में जर्मनी में विकसित किया गया। इसलिए इसे जर्मन सिल्वर कहा जाने लागा। मेले में जर्मन सिल्वर के इयर रिंगस, पेंडेन्टस, बिछिया, पायल 50 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक उपलब्ध है।
उपायुक्त ने बताया कि हस्त शिल्प सप्ताह के अवसर पर हस्तशिल्प प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें लखनऊ ही नहीं आस-पास के क्षेत्रों से भी हर उम्र के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इसी क्रम में गत 9 दिसम्बर को चिकनकारी और चटापटी का आयोजन किया गया। आज 11 दिसम्बर को बोन कार्विंग और आर्टिफिशियल ज्वैलरी, 12 दिसम्बर को ब्लॉक प्रिंट, बाटिक और टाई एंड डाई, 13 दिसम्बर को टेराकोटा और मुकैश वर्क, 14 दिसम्बर को जरी जरदोजी की प्रतियोगिताएं होंगी। अंतिम दिन 15 दिसम्बर को विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।

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