गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि स्वतंत्रता के बाद राजनीति ने अपने अर्थ और भाव को खोया है॰ लखनऊ विश्वविद्यालय के 60वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए गृहमंत्री ने कहा कि युवाओं को खुद को राजनीतिक व्यवस्था से अलग नहीं रखना चाहिए।
उन्होने कहा कि संकल्प के बल पर जीवन में कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। उन्होने युवा शक्ति का आहवाहन किया कि वह व्यवस्था के प्रति अनास्था न उत्पन्न होने दें। व्यवस्था के प्रति अनास्था की समाज को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के साहित्य और संस्कृति में ज्ञान का भंडार छिपा है। इसका उपयोग वर्तमान संदर्भों में सफलता पूर्वक किया जा सकता है। उन्होने लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्वानों से आग्रह किया कि वे भारतीय ज्ञान पर शोध कर उसे दुनिया के समक्ष लाएं।
श्री सिंह ने कहा कि शिक्षा चरित्र का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि राम की तुलना में कहीं अधिक धनवान, बलवान और ज्ञानवान होने के बावजूद रावण का विनाश इसलिए हुआ क्योंकि उसका चारित्रिक पतन हो गया था।
प्रदेश के राज्यपाल और कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि वैश्विक स्तर पर स्पर्धा बढ़ने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने की आवश्यकता है। नई खोजों पर बल देते हुए श्री नाईक ने कहा कि इससे शिक्षा का लाभ समाज को मिलेगा। इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि आज शिक्षा के व्यवसायीकरण की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्रों को रोजगार मिलना चाहिए।
दीक्षांत समारोह के मौके पर श्री मेहंदी अग्रवाल और सुश्री अंजली सिंह सहित 192 छात्र छात्राओं को डिग्रियों और पदकों से सम्मानित किया गया। इनमें 32 छात्र और 159 छात्राएं। यानि पदक पाने वाली छात्राओं का प्रतिशत 83 रहा। इस मौके पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह को डी०एस०सी की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।