देश में संवैधानिक लोकतंत्र विफल
राज्यसभा के सभापति श्री एम0 वेंकैया नायडू का राज्य सभा सदस्य श्री शरद यादव एवं अली अनवर अन्सारी की सदस्यता खत्म करने का दिनांक 4 दिसम्बर 2017 का निर्णय संविधान की दसवीं अनुसूची कें प्रावधानों एवं नियमों की गलत व्याख्या कर दिया गया असंवैधानिक निर्णय है।
भारत में संवैधानिक लोकतंत्र है और संसदीय दलीय प्रणाली को मजबूत करने एवं दल बदल को रोकने के लिए संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़कर राजनैतिक दलों की भूमिका का पहली बार 1985 प्रावधान किया गया। उसके पश्चात् 1989 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29(ए) में राजनैतिक दलों के पंजीकरण का प्रावधान किया गया। जिसमें भारत निर्वाचन आयोग राजनैतिक दलों के संविधान को पंजीकृत करता है।
साथ ही इसके पूर्व से निर्वाचन आयोग चुनाव चिन्ह आरक्षण, आवंटन नियम 1968 के अनुसार राजनैतिक दलों को चुनाव चिन्ह का आरक्षण एवं आवंटन करता है।
उल्लेखनीय है जनता दल (यूनाइटेड) के विवाद मंे भारत निर्वाचन आयोग ने अपने विस्तृत निर्णय 25/11/2017 में जनप्रतिनिधित्व नियम की धारा 29(ए) के अनुसार पंजीकृत जनता दल (यूनाइटेड) संविधान के अनुसार निर्वाचित पदाधिकारियों की वैद्यता पर अपने निर्णय में कहा कि यह हमारे क्षेत्राधिकार में नही है और इस पर निर्णय पार्टी या सक्षम न्यायालय करेगा। इसी प्रकार राज्य सभा के सभापति ने अपने निर्णय दिनांक 04/12/2017 में जनता दल (यूनाइटेड) के निर्वाचित पदाधिकारियेां की वैद्यता के सवाल पर कहा कि यह हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं है। संवैधनिक प्रश्न यह है कि भारत निर्वाचन आयोग और राज्यसभा के सभापति जब संसद के बनाये हुए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29(ए) के अनुसार पंजीकृत राजनैतिक दल के निर्वाचित पदाधिकारियेां की वैद्यता का निर्धारण उनके क्षेत्राधिकार में नहीं है। फिर वे किस क्षेत्राधिकार से तथाकथित असंवैधानिक एवं फर्जी तरीके से निर्वाचित स्वयंभू पार्टी पदाधिकारियों की सूचना या याचिका के आधार संविधान की दसवीं अनुसूची के प्रावधानों एवं नियमों की व्याख्या कर शदर यादव एवं अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म की और जिन तथाकथित याचिकाकर्ता राम चन्द्र प्रसाद सिंह की सदस्यता खत्म करना चाहिए उस मौन रहकर उन्हें क्यों बचा रहे हैं।
राज्यसभा के सभापति माननीय एम0 वेंकैया नायडू द्वारा जनता दल (यूनाइटेड) के निर्वाचित पदाधिकारियेां की वैद्यता के निर्णय के पूर्व जनता दल (यूनाइटेड) के तथाकथित स्वयंभू प्रधान महासचिव के. सी. त्यागी एवं महासचिव राम चन्द्र प्रसाद सिंह के पत्र एवं याचिका के अनुसार श्री शरद यादव एवं अली अनवर की स्वेच्छा से जनता दल (यूनाइटेड) छोड़ने की सूचना के आधार पर राज्य सभा की सदस्यता खत्म करना संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों के खिलाफ असंवैधानिक निर्णय है और देश में संवैधानिक लोकतंत्र विफल होने का प्रमाण है। जो देश की जनता के सामने बड़ी चुनौती है। जनता दल (यूनाइटेड) सभी देशवासियों से संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनप्रतिरोध शुरू करने की अपील करता है।