प्रदेश में निजी नलकूप एवं ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू बिजली के दामों में की गई वृद्धि को वापिस लेने के सम्बन्ध में।
आदरणीय श्री योगी जी
उत्तर प्रदेश में बिजली के दामों में अचानक की गई 50 से लेकर 150 प्रतिशत तक की वृद्धि से किसान व मजदूर की कमर टूट जायेगी। किसी भी वस्तु का रेट थोक मूल्य सूचकांक या महंगाई दर के आधार पर तय किया जाता है। किसानों की फसलों के मूल्य में महंगाई दर से भी कम वृद्धि की जाती है। जिसका उदाहरण हाल में ही गन्ना, धान, गेंहू में की गई वृद्धि है। बिजली की दरों में 50 प्रतिशत वृद्धि से किसानों की लागत में भारी वृद्धि होगी। देश के अन्य राज्यों में किसानों को उत्तर प्रदेश से सस्ती व कुछ राज्यों में राज्य सरकार बिना बिल की बिजली उपलब्ध कराती है। जिससे किसानों पर अधिक भार ना पड़े। प्रदेश सरकार के इस फैसले से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा व किसानों पर कर्ज का भार बढ़ेगा।
आज दिनांक 05 दिसम्बर 2017 को भाकियू द्वारा प्रदेशव्यापी जनपद मुख्यालयों पर आयोजित एक दिवसीय धरना/विरोध प्रदर्शन के माध्यम से निम्न मांग करती है-
1. बिजली विभाग द्वारा घोषित नई दरो को अविलम्ब वापिस लिया जाए। विद्युत दरों के पुनर्निधारण हेतु
हर वर्ग के विद्युत उपभोक्ताओं से वार्ता की जाए।
2. एनजीटी के पुराने वाहनों पर आदेश से ट्रैक्टर को मुक्त किया जाए। सभी तरह के वाहनों की समय सीमा 15 वर्ष की जाए।
3. भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र के अनुसार किसानों की फसल लागत मूल्य में 50 प्रतिशत जोड़कर
न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का फॉर्मूला तुरंत लागू किया जाए।
4. फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे की खरीद को अपराध माना जाये। सभी मुख्य फसलों, फलों, सब्जी व दूध को न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधीन लाया जाए।
4. किसानों को आवारा पशुओं से निजात दिलाई जाए। प्रदेश में अन्ना प्रथा पर रोक लगाई जाए।
5. प्रदेश में आलू, गन्ना, धान के किसान को बोनस दिया जाए।
6. आन्दोलन के दौरान किसानों पर सभी मुकदमे वापस लिये जाये। जनपद कुशीनगर एवं फैजाबाद,कानपुर,
ललितपुर में किसानों पर लगाये गये झूठे मुकदमे समाप्त किये जाएं। जेल में बंद किसानों को रिहा किया जाए।
आशा है कि सरकार सभी बिन्दुओं पर वार्ता कर समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास करेगी। समस्याओं के समाधान तक भाकियू का आन्दोलन जारी रहेगा।